मुंबई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने बताया कि संघ प्रेरित संगठन समाज के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने का प्रयास करेंगे। डॉ. वैद्य शनिवार को पुणे में संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक संपन्न होने के बाद पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर भी मौजूद रहे। बैठक का समापन सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के पाथेय के साथ हुआ। बैठक में 36 विभिन्न संगठनों के कुल 246 प्रतिनिधि उपस्थित थे।
डॉ. वैद्य ने कहा कि भारत के चिंतन में परिवार सबसे छोटी इकाई होती है। परिवार में महिलाओं की भूमिका सबसे प्रमुख होती है। इसलिए समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। महिलाओं की समाज में सक्रियता बढ़ रही है, जो सराहनीय है। इसी संदर्भ में संघ की शताब्दी योजना के अंतर्गत महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने पर बैठक में चर्चा की गई। महिलाओं में आपसी संपर्क बढ़ाने के लिए देशभर में 411 सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। अब तक 12 प्रांतों में इस तरह के 73 सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं, जिन्हें अच्छा प्रतिसाद मिला है। इनमें 1.23 लाख से अधिक महिलाओं ने सहभागिता की।
डॉ. वैद्य ने बताया कि बैठक के दौरान समाज में सज्जन शक्ति को संगठित और समाज कार्यों में सक्रिय करने के प्रयासों पर चर्चा की गई। सनातन संस्कृति से जुड़े सवाल पर डॉ. वैद्य ने कहा कि सनातन का अर्थ रिलीजन नहीं है। सनातन सभ्यता एक आध्यात्मिक लोकतंत्र है। जो लोग सनातन को लेकर वक्तव्य देते हैं, उन्हें पहले इस शब्द का अर्थ समझ लेना चाहिए। इंडिया और भारत नामों को लेकर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि देश का नाम भारत है, वह भारत ही रहना चाहिए, बल्कि प्राचीन काल से यही प्रचलित नाम है। भारत नाम सभ्यता का मूल है।
सह सरकार्यवाह डॉ. वैद्य ने बताया कि देशभर में संघ कार्य को लेकर प्रतिसाद बढ़ रहा है। संघ की शाखाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। सन् 2020 में देश में 38,913 स्थानों पर शाखाएं थीं, 2023 में यह संख्या बढक़र 42,613 हो गई है यानी 9.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। संघ की दैनिक शाखाओं की संख्या 62,491 से बढ़कर 68,651 हो गई हैं। संघ की देश में कुल 68,651 दैनिक शाखाएं हैं और इनमें से 60 प्रतिशत विद्यार्थी शाखाएं हैं। चालीस वर्ष की आयु तक के स्वयंसेवकों की शाखाएं 30 प्रतिशत हैं, जबकि चालीस वर्ष से ऊपर के आयु के स्वयंसेवकों की शाखाएं 10 प्रतिशत हैं। संघ की आधिकारिक वेबसाइट पर ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से प्रति वर्ष 1 से सवा लाख नए लोग जुड़ने की इच्छा जता रहे हैं। उनमें से अधिकतर 20 से 35 वर्ष तक की आयु के हैं।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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