कन्याओं को बचा रही एक ‘देवी’

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चंद्रशेखर धरणी

पी.एन.डी.टी. यानी गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम,1994। यह महिला पहले इस कानून के अंतर्गत आने वाले मामलों की गहन जानकारियां हासिल करती है।

बहादुरी, साहस और पराक्रम की मिसाल बनी अंबाला जिले की एक महिला अपनी जान जोखिम में डालकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता में योगदान दे रही है। कुछ कारणवश इस रपट में उस महिला का नाम नहीं दिया जा रहा, लेकिन उसका काम वाकई जबरदस्त है। वह जन्म पूर्व लिंग जांच और भ्रूणहत्या से संबंधित मामलों की पुख्ता जानकारियां इकट्ठी करने में माहिर है। उसकी मदद से प्रशासन कई राज्यों में ऐसे क्लीनिक, अल्ट्रासाउंड केंद्र और अस्पतालों को बंद कर चुका है। इस कार्य के लिए यह महिला अंबाला के उपायुक्त और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) से कई बार सम्मानित हो चुकी है।

पी.एन.डी.टी. यानी गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम,1994। यह महिला पहले इस कानून के अंतर्गत आने वाले मामलों की गहन जानकारियां हासिल करती है। इसके बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की मदद से अपराधियों को पकड़ा जाता है। महिला या तो खुद या उसकी कोई साथी योजनाबद्ध तरीके से जन्म पूर्व लिंग जांच करने वाले अस्पतालों, अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालकों के बिचौलियों के संपर्क में आती है और उनसे बेटे की चाहत की बात कर अपने पेट में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच की इच्छा जाहिर करती है।

दरअसल, यह महिला खुद चार बेटियों की मां है। इसलिए जन्म पूर्व लिंग जांच की उनकी चाहत को बिचौलिए आसानी से मान भी लेते हैं। वह अब तक ऐसे 30 मामले पकड़वा चुकी है। 15 दिन पहले भी एक साथ 12 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। इस महिला की मदद से न केवल हरियाणा, बल्कि पंजाब और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में चल रहे अल्ट्रासाउंड केंद्रों और अस्पतालों को प्रशासन ने बंद करवा दिया है और सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।

यह महिला बताती है कि इस बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य में कई बार उसकी जान पर भी बन आई थी। महिला पूर्व नियोजित तरीके से स्वास्थ्य और पुलिस विभाग को पूरी तरह से विश्वास में लेने के बाद संबंधित बिचौलिए के साथ लिंग जांच के लिए जाती है। चूंकि इस पूरी गतिविधि पर पुलिस भी निगाह रखती है। इसलिए बिचौलिए आसानी से पकड़े जाते हैं।

महिला के अनुसार बिचौलिए जन्म पूर्व लिंग जांच के लिए 30-60 हजार रु. तक वसूलते हैं। कुछ रकम पहले ही बिचौलिए के बैंक खाते में डलवाई जाती है और जांच में लड़का होने की पुष्टि होने पर 5 से 10 हजार रुपए इनाम स्वरूप भी देने की मांग होती है। महिला के अनुसार उनकी टीम में 10-12 लोग होते हैं, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं।

पी.एन.डी.टी. एक्ट के अंतर्गत गर्भधारण पूर्व या बाद में लिंग चयन और जन्म से पहले कन्या भ्रूणहत्या के लिए लिंग परीक्षण करना, इसके लिए सहयोग देना व विज्ञापन करना कानूनन अपराध है। बावजूद इसके देशभर में खास तौर पर हरियाणा में कन्या भू्रणहत्या जैसे पाप होते रहे हैं। यही कारण है कि हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज संबंधित लोगों को समय-समय पर चेतावनी देते रहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने ऐसे अपराधियों को पकड़ने के लिए 1,00,000 रु. का इनाम भी रखा है।

इस सख्ती के कारण हरियाणा में लिंगानुपात में काफी हद तक संतुलन आ गया है। अब तक इस महिला को पुरस्कार स्वरूप हरियाणा सरकार द्वारा 26,00,000 रु. की राशि प्राप्त हो चुकी है। इस नगद पुरस्कार से और लोग भी इस कार्य के लिए प्रेरणा प्राप्त कर रहे हैं। उक्त महिला ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत उनके पति हमेशा इस कार्य के लिए उन्हें प्रेरित करते हैं।

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