देहरादून जिले के विकास नगर के ढकरानी, नवाबगढ़, शक्ति नहर किनारे अवैध रूप से कब्जे कर बसी मुस्लिम आबादी के अतिक्रमण पर धामी सरकार का बुलडोजर चलने के बाद अब देहरादून जिले में ऐसे स्थानों को चिन्हित करना शुरू कर दिया है जो सरकारी है और उस पर अवैध कब्जे हो रखे हैं।
इस बीच वन विभाग ने अभी तक नदी श्रेणी की अपनी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने की कोई ठोस योजना नहीं बनाई है, जिस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नाराजगी जाहिर की है।
उल्लेखनीय है मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर सभी जिलों में अतिक्रमण चिन्हित करने के लिए टास्क फोर्स बनाई गई है, जिसमें वन, पीडब्ल्यूडी और राजस्व विभाग के अधिकारी शामिल किए गए हैं। इस टास्क फोर्स की देहरादून जिले में नियमित बैठकें नहीं हो रही हैं।जिसकी वजह से राजधानी और उसके आसपास अतिक्रमण हटाओ अभियान सुस्त गति से चल रहा है, वन विभाग के अधिकारी भी कोई ठोस योजना पर काम नहीं कर रहे हैं।
देहरादून जिले में विकास नगर परगना क्षेत्र जिसे पछुवा दून कहा जाता है यहां जनसंख्या असंतुलन की समस्या सरकार के सामने खड़ी हो गई है। यहां सैकड़ों नहीं, हजारों की संख्या में यूपी, असम, बिहार यहां तक कि कथित रूप से बंग्लादेशी और रोहिंग्या भी आकर बस गए हैं जिनमें ज्यादातर मुस्लिम हैं। ये मुस्लिम आबादी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, इनके नेता कांग्रेस से जुड़े हुए बताए जाते हैं और ये आबादी यहां कांग्रेस शासन काल में ज्यादा बसी
ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि उन्हें यहां के आधार कार्ड और वोटर लिस्ट में नाम आने की वजह से यहां के स्थानीय नेता मजबूत हुए, अतिक्रमण करने वालों से पैसा लेकर स्थानीय दबंग नेताओं ने अपने अपने गुट बनाए और इनका इस्तेमाल राजनीति के लिए किया।
जानकारी के मुताबिक पुलिस प्रशासन के द्वारा, सीएम धामी के निर्देश पर पिछले साल यहां के लोगों का सत्यापन सर्वे करवाया गया था, जिसके बाद ये जानकारी मिली है कि विकासनगर परगने में वन भूमि की जमीन जोकि नदियों किनारे है वहां हजारों की संख्या में मुस्लिम आबादी ने अपने पक्के ठिकाने बना लिए हैं। जिन्हे ग्राम प्रधानों का समर्थन मिला हुआ है।
जानकारी के मुताबिक वन क्षेत्र तिमली, छरबा, खुशलपुर, शंकरपुर, चोई बस्ती, जाटोंवाला, माजरा, चाहनचक, सहस्त्रधारा, मसूरी आदि क्षेत्रों में जंगलों के भीतर तक अवैध कब्जे हो चुके हैं।
ये जमीन फॉरेस्ट लैंड है, जिसे दरिया क्षेत्र भी कहा जाता है ,जहां कब्ज़ा करके मुस्लिम आबादी अब जनसंख्या असंतुलन पैदा कर रही है। ये बसने वाले ज्यादातर मुस्लिम पहले नदी में मजदूरी करने आए और झोपड़ी डाल कर बसे और फिर धीरे धीरे उन्होंने एक षड्यंत्र के तहत अपने पक्के मकान, मस्जिदें ,मजारें बनानी शुरू कर दी। कांग्रेस के जन प्रतिनिधियों ने वोटर लिस्ट में इनके नाम डलवाए, यहां बिजली पानी के जुगाड़ भी कर दिए।
आज ये आबादी टोंस, कालसी, जमुना और उनकी सहायक नदियों से अवैध खनन कारोबार से जुड़े हुई है, जोकि पिछले कुछ सालो में ट्रैक्टर, डंपर मालिक हो गए हैं ,कुछ ने यहां आसपास जमीन कब्जाने के लिए गैंग बना लिए हैं। खास बात ये कि इतने बड़े पैमाने पर वन भूमि पर अवैध कब्जा हुआ और वन विभाग कुंभकर्णी नींद सोया रहा। इस बारे में जानकारी मिली है कि तिवारी शासनकाल में वन मंत्री का संरक्षण इन्हें मिला। इसी दौरान अवैध रूप से लोगों को बसाने और उनके नाम वोटर लिस्ट में डालने का खेल चला। जब धामी सरकार के बुल्डोजर ढकरानी में चलने वाले थे तो उसी समय विकासनगर के कांग्रेस नेता नवप्रभात ने समर्थको के साथ जाकर सरकार की कारवाई का विरोध किया।
इसी तरह चकराता जनजाति क्षेत्र में मुस्लिम गुज्जरों के कब्जे, कांग्रेस के नेताओ के संरक्षण में देखे जा रहे हैं और उनके नाम वोटर लिस्ट में भी दर्ज हो गए हैं। जंगल में ये लोग कैसे ठिकाने बनाते चले गए ? बहरहाल इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों से जवाब तलब किया जा रहा है। इन्ही जंगलों में हाल ही में हजारों की संख्या में हरे पेड़ों की अवैध कटाई के मामले सामने आए हैं।
यही बनी थीं अवैध मजारें
पछुवा देहरादून में वन भूमि पर कब्जा करने वाली मुस्लिम आबादी ने ही आसपास जंगलों में अवैध रूप से मजारें बना दी थीं, जिन्हें हाल ही में वन विभाग ने बुलडोजरों से ध्वस्त कर दिया था।
सीएम धामी ने कहा नही रुकेगा अतिक्रमण हटाओ अभियान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फिर से कहा है कि सरकारी जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त करवाना सरकार की प्राथमिकता है। खास तौर पर वन विभाग की जमीनों पर अतिक्रमण बर्दाश्त से बाहर है। बेहतर होगा लोग खुद ही अतिक्रमण हटा लें अन्यथा प्रशासन के बुल्डोजर उन्हें हटा देंगे। उन्होंने कहा कि देवभूमि का स्वरूप बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। हर जिले में टास्क फोर्स बना दी है जो सर्वे के बाद एक्शन लेगी। देहरादून ही नहीं, सभी जिलों में एक्शन शुरू कर दिया है और ये रुकने वाला नहीं है।
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