नई दिल्ली। जी 20 शिखर सम्मेलन में जहां भारत की पूरी झलक दिख रही है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व कल्याण के लिए तीन महत्वपूर्व सुझाव रखे। उन्होंने आई से वी यानी स्व से समष्टि की ओर बढ़ने का संकल्प रखा। प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अभी अभी एक खुशखबरी मिली है। हमारे टीम्स की हार्ड वर्क से और आप सभी के सहयोग से New Delhi G20 Leaders’ Summit Declaration पर सहमति बनी है। मेरा प्रस्ताव है की इस लीडर्स डिक्लेरेशन को भी अपनाया जाये। मैं इस डिक्लेरेशन को अपनाने की घोषणा करता हूँ।
उन्होंने कहा कि इस अवसर पर मैं हमारे मंत्रिगढ़, शेरपा, और सभी अधिकारियों का हृदय से अभिनन्दन करता हूँ जिन्होंने अथक परिश्रम करके इसे सार्थक किया है और इसलिए भी ये सभी अभिनन्दन के अधिकारी हैं। हमारे यहां हजारों वर्ष पूर्व रचित वेदों में कहा गया है – एको अहम् बहुस्याम! यानि, I am one; let me become many. हमें Creation, Innovation और Viable Solutions के लिए “आई” से “वी” की तरफ बढ़ना होगा। “आई” से “वी”, यानि स्व से समष्टि की सोच, अहं से वयं का कल्याण, इस पर हमें बल देना होगा।
हमें दुनिया के हर वर्ग, हर देश, हर समाज, हर रीजन को जोड़ना होगा। और यही One Family (वसुधैव कुटुम्बकम) की भावना है। जिस तरह हर परिवार का अपना एक सपोर्ट सिस्टम होता है, वैसे ही हमें मिलकर एक ग्लोबल सपोर्ट सिस्टम का निर्माण करना होगा। किसी का सुख हमें सुखी करे, किसी का भी दुख हमें उतना ही दुखी करे, ये भाव हम में आना चाहिए। जब हम One Family के तौर पर सोचते हैं, तो हम ये भी ध्यान रखते हैं कि हर सदस्य को कैसे Empower किया जाए। भारत इसी भावना के साथ अपने हर अनुभव को अपने विशाल वैश्विक परिवार के साथ शेयर करना चाहता है। भारत में हमने विकास के लिए तकनीकी को एक ब्रिज के रूप में अपनाया है।
भारत ने बैंक अकाउंट्स, आधार आइडेंटिटी और मोबाइल फोन की JAM (Jan Dhan, Aadhar, and Mobile) ट्रिनिटी से Inclusion (समावेश) का, Transparency (पारदर्शिता) का, targeted interventions (लक्षित हस्तक्षेप) का नया मॉडल विकसित किया है। विश्व बैंक ने भी कहा है कि JAM ट्रिनिटी ने सिर्फ 6 साल में वो financial inclusion rate हासिल करके दिखाई है, जिसे पाने में 47 साल लग जाते। इस मॉडल का उपयोग करके भारत ने, पिछले 10 साल में 360 बिलियन डॉलर, ज़रूरतमंदों के बैंक अकाउंट में सीधे ट्रांसफर किए हैं। इससे करीब 33 बिलियन डॉलर्स की लीकेज होने से भी रुकी है, जो GDP का करीब सवा परसेंट होता है। निश्चित तौर पर, ये मॉडल दुनिया के लिए, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के लिए, पूरे वैश्विक परिवार के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
One Family के रूप में भारत का Youth भी, हमारा युवा टैलेंट भी, एक प्रकार से ग्लोबल गुड के लिए है। आने वाले समय में दुनिया की ग्रोथ को बनाए रखने के लिए एक बड़ा स्किल्ड young talent pool बहुत ज़रूरी है। इसलिए हमें “Global Skill Mapping” की तरफ बढ़ना चाहिए। ये ग्लोबल साउथ की भी प्राथमिकता है। One Family की बात करते हुए, हमें अपनी Global Family के सामने आ रहे Challenges को भी ध्यान में रखना होगा। हमने देखा है कि कोविड के रूप में बहुत बड़ी वैश्विक चुनौती आई, तो दशकों से बनाई गई Global supply chains (वैश्विक नेटवर्क) की सच्चाई सामने आ गई। One Family की भावना के तहत आज हमें ऐसी ग्लोबल सप्लाई चेन का निर्माण करना है, जो विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ावा दे। ये हम सभी की ज़िम्मेदारी है।
हम देशों को, मानवता को, सिर्फ मार्केट्स के रूप में नहीं देख सकते। हमें संवेदनशील और दीर्घकालिक रणनीति की ज़रूरत है। हमें विकासशील देशों की क्षमता निर्माण पर विशेष रूप से ध्यान देना होगा। इसलिए, भारत ने जिस मैपिंग फ्रेमवर्क का प्रस्ताव रखा है, उससे मौजूदा सप्लाई चेन को सशक्त करने में मदद मिलेगी। ग्लोबल सप्लाई चेन को इंक्लूसिव बनाने के लिए हमें छोटे व्यवसाय की भूमिका को भी स्वीकारना होगा। ये ज़रूरी है कि उनकी बाजार और सूचना तक पहुंच हो और उनके लिए ट्रेड कॉस्ट कम हो।
One Family के मंत्र पर चलते हुए हमें संवेदनशीलता के साथ विकासशील देशों की जो ऋण की समस्या है, उसे भी देखना है। हमें ऐसी व्यवस्था बनानी होगी, ताकि संकट से घिरे देश इससे बाहर निकल सकें, और भविष्य में ऐसा संकट कभी ना आए। मुझे ख़ुशी है कि सतत विकास लक्ष्यों में तेजी लाने के लिए कार्य योजना (Action Plan to Accelerate Sustainable Development Goals) के अंतर्गत फाइनेंस को बढाने पर सहमति बनी है। इसके लिए मैं आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं।
One Family की अप्रोच, “Holistic health (समग्र स्वास्थ्य) और Wellness (कल्याण)” सिस्टम के लिए भी उतनी ही जरूरी है। भारत में बन रहे WHO Global Centre for Traditional Medicine से पूरी दुनिया में इसे बढ़ावा मिलेगा। मैं आशा करता हूँ कि हम शीघ्र ही पारंपरिक औषधि के वैश्विक भंडार बनाने का प्रयास करेंगे। दुनिया के हर समाज में मां, परिवार को आगे ले जाती है। आज के भारत में महिला नेतृत्व हर सेक्टर में दिख रहा है। भारत में करीब 45 प्रतिशत STEM यानि साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथेमैटिक्स ग्रेजुएट्स लड़कियां हैं।
आज भारत के स्पेस प्रोग्राम में अनेक क्रिटिकल मिशन को हमारी महिला साइंटिस्ट हैंडल कर रही हैं। आज भारत के गांव-गांव में 90 मिलियन महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप्स अभियान से जुड़कर छोटे-छोटे बिजनेस को आगे बढ़ा रही हैं।
मेरा विश्वास है कि women-led development, इक्कीसवीं सदी में एक बहुत बड़े बदलाव का वाहक बनेगा। इस सत्र मैं तीन सुझाव आपके बीच रखना चाहता हूं।
– पहला, हम दुनिया की टॉप स्पोर्ट्स लीग्स से आग्रह कर सकते हैं, कि वे अपनी कमाई का 5 प्रतिशत हिस्सा ग्लोबल साउथ के देशों में महिलाओं के लिए स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करें। यह वैश्विक स्तर पर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप का एक नए प्रकार का मॉडल हो सकता है।
– दूसरा, जिस तरह सभी देश अलग-अलग कैटगरी के वीज़ा जारी करते हैं, उसी तरह हम “G20 Talent Visa” की एक स्पेशल कैटगरी बना सकते हैं।
इस प्रकार का वीसा, हम सभी के विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रतिभा को बढ़ाने में बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। उनकी प्रतिभा और उनके प्रयास, हम सभी की अर्थव्यवस्थाओं में बहुत बड़ा योगदान कर सकते हैं।
– तीसरा, हम WHO की देख-रेख में Global Bio-banks बनाने के बारे में सोच सकते हैं। इसमें विशेष रूप से, ह्रदय रोग, सिकल सेल एनीमिया, एंडोक्राइन और ब्रैस्ट कैंसर जैसी बीमारियों पर ध्यान दिया जा सकता है। ऐसे Global Bio-Bank को भारत में स्थापित करने पर हमें बहुत खुशी होगी।
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