‘विविधता में एकता हमारी परंपरा का अंग’

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WEB DESK

 विविधता में एकता हमारी परंपरा का अंग है। मनुष्य मात्र को अपनी लघु-चेतना को विकसित करना चाहिए,

गत दिनों अगस्त को देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ विषय पर एक व्याख्यानमाला आयोजित हुई। पहले दिन इस व्याख्यानमाला को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री जे.पी. नड्डा सहित अनेक विद्वानों ने संबोधित किया। दूसरे दिन के मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत।

उन्होंने कहा कि विविधता में एकता हमारी परंपरा का अंग है। मनुष्य मात्र को अपनी लघु-चेतना को विकसित करना चाहिए, जिससे वे विविधता में एकता को समझ सकें और अपना सकें। उन्होंने कहा कि भारत तेज का उपासक है। गायत्री परिवार भी सूर्य यानी इसी तेज की उपासना करता है।

सारी दुनिया में शांति हो, इस दिशा में सबको मिलकर कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का उत्थान केवल भारत के लिए नहीं, वरन् पूरे विश्व के लिए कल्याणकारी है, यही देव संस्कृति है। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि यह समय अपरिमित संभावना को लेकर आया है। परिवर्तन सुनिश्चित है।

इस यात्रा में चलने वाला प्रत्येक मनुष्य, साधक विश्व को बचाने के लिए कार्य कर रहा है। सारी दुनिया में शांति हो, इस दिशा में सबको मिलकर कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का उत्थान केवल भारत के लिए नहीं, वरन् पूरे विश्व के लिए कल्याणकारी है, यही देव संस्कृति है। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि यह समय अपरिमित संभावना को लेकर आया है। परिवर्तन सुनिश्चित है। भारत में ज्ञान की वे धाराएं विद्यमान हैं, जो पूरे विश्व को प्रकाशित करेंगी।

धन्यवाद ज्ञापन देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति श्री शरद पारधी ने दिया। इससे पूर्व श्री भागवत ने विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न प्रकल्पों का अवलोकन किया। श्री भागवत कुछ समय के लिए गायत्री तीर्थ शांतिकुंज भी पहुंचे। वहां उन्होंने अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुखद्वय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं शैल दीदी से भेंट कर परामर्श किया।

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