केंद्र सरकार भारत में आपराधिक कानून के बदलाव करने की तैयारी में है। सरकार की ओर से संसद में औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून (124 ए) को खत्म करने का फैसला लिया गया है। इस कानून को सरकार भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 के साथ बदलने जा रही है। नए बिल से राजद्रोह नाम हटा दिया गया है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में आईपीसी, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए तीन विधेयक पेश किया था, जहां उन्होंने कहा था कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) पर नया विधेयक राजद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त कर देगा। उन्होंने यह भी कहा कि आगामी 15 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव समाप्त होगा और 16 अगस्त से आजादी की 100 वर्ष की यात्रा की शुरुआत के साथ अमृत काल का आरंभ होगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में देश के सामने पांच प्रण लिए थे, जिनमें एक प्रण यह था कि हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 एक साथ लेकर आया हूं। ये सभी प्रधानमंत्री के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं। गृह मंत्री ने कहा कि कहा कि भारतीय दंड संहिता, 1860 की जगह अब भारतीय न्याय संहिता 2023 होगा। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 प्रस्थापित होगा और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ प्रस्थापित होगा।
क्या कहती है आईपीसी की धारा 124-ए
राजद्रोह से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 124 A के अनुसार, बोले या लिखे गए शब्दों या संकेतों द्वारा या दृश्य प्रस्तुति द्वारा, जो कोई भी भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमानना पैदा करेगा या पैदा करने का प्रयत्न करेगा, असंतोष उत्पन्न करेगा या करने का प्रयत्न करेगा, उसे आजीवन कारावास या तीन वर्ष तक की .सजा और ज़ुर्माना अथवा सभी से दंडित किया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 150
भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से संबंधित है। इसमें अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों और अलगाववादी गतिविधियों का संदर्भ जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है कि जो कोई भी जानबूझकर या शब्दों के माध्यम से या मौखिक या लिखित या संकेतों या दृश्य प्रतिनिधित्व या इलेक्ट्रॉनिक संचार या वित्तीय साधनों का उपयोग करके या उत्तेजित करता है या उत्तेजित करने का प्रयास करता है, अलगाववाद या सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित करता है या प्रयास करता है या अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करता है या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है या इस तरह के किसी भी कृत्य में शामिल होने या करने पर आजीवन कारावास या 7 साल तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माना भी लगाया जाएगा। नए कानून में धारा 150 के तहत कुछ प्रावधान में बदलाव करके उसे बरकरार रखा गया है। इस धारा में इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन की मदद से वित्तीय साधनों को जोड़ा गया है।
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