आज के लोग अतीत के त्याग और संघर्ष के बारे में नहीं जानते हैं। तत्कालीन समय संघर्ष में तानाशाह सत्ता द्वारा विभाजन के अत्याचार को दोहराया गया।
गत दिनों इंदौर में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख सुनील देशपांडे और कृष्ण कुमार अस्थाना ने ‘मैं मीसाबंदी’ पुस्तक का विमोचन किया। इसके लेखक हैं आपातकाल के दौरान 19 माह तक जेल में रहे रमेश गुप्ता।
आपातकाल के समय सरकार की जो निरंकुश व दमनकारी प्रवृत्ति थी, वह आज की पीढ़ी के संज्ञान में आनी चाहिए। सुमित्रा महाजन ने कहा कि यह किताब नहीं स्वयं से संवाद है, वास्तविकता का सजीव वर्णन है।
पुस्तक में उन्होंने आपातकाल में सरकार द्वारा किए गए अन्याय, अत्याचार और तत्कालीन तानाशाही का सजीव चित्रण किया है। सुनील देशपांडे ने कहा कि इस पुस्तक का प्रकाशित होना इसलिए भी आवश्यक था कि आपातकाल के समय सरकार की जो निरंकुश व दमनकारी प्रवृत्ति थी, वह आज की पीढ़ी के संज्ञान में आनी चाहिए। सुमित्रा महाजन ने कहा कि यह किताब नहीं स्वयं से संवाद है, वास्तविकता का सजीव वर्णन है।
आज के लोग अतीत के त्याग और संघर्ष के बारे में नहीं जानते हैं। तत्कालीन समय संघर्ष में तानाशाह सत्ता द्वारा विभाजन के अत्याचार को दोहराया गया। कृष्ण कुमार अस्थाना ने कहा कि यह किताब नहीं, बल्कि भोगा हुआ सत्य है। इस पुस्तक के हर शब्द का मैं साक्षी हूं। इस अवसर पर अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
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