कादियां। अहमदिया मुसलमानों ने केंद्र सरकार का आभार जताया है, क्योंकि अल्पसंख्यक मंत्रालय ने वक्फ बोर्ड के उस फैसले को अमान्य करार दिया है जिसमें बोर्ड ने अहमदिया मुसलमानों को इस्लाम से निष्कासित करने की बात कही है। अहमदिया जमात के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में इस संप्रदाय के प्रवक्ता तारिक अहमद ने कहा कि अहमदियों पर कुछ संगठन झूठे आरोप मढ़ते हैं कि यह संप्रदाय हजरत मोहम्मद साहिब व कुरान शरीफ का विरोध करता है। इस शांतिप्रिय संप्रदाय पर कई तरह के झूठी तोहमतें मढ़ी जाती हैं जो निराधार हैं।
उन्होंने कहा कि अहमदिया संप्रदाय हजरत मोहम्मद साहिब, कुरान शरीफ व इस्लाम की उन सभी रिवायतों को मानता है जो एक सच्चे मुसलमान को माननी चाहिए। लेकिन कुछ लोग उन्हें परेशान करने के लिए इस तरह की हरकतें करते हैं। तारिक अहमद ने कहा कि केंद्र सरकार ने उचित निर्णय लेकर देश में सांप्रदायिक सौहार्द को बचाए रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।
आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के प्रस्ताव में कहा गया कि अहमदिया ‘काफिर’ और ‘गैर मुस्लिम’ होते हैं। आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने इससे पहले वर्ष 2012 में भी प्रस्ताव पारित कर अहमदिया को मुसलमान मानने से इंकार किया था। उस समय यह मामला हाई कोर्ट में गया और हाई कोर्ट ने इस प्रस्ताव को अंतिम रूप से निलंबित करने का आदेश सुनाया। इसके बाद आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने इस साल फरवरी में दूसरी बार ऐसा प्रस्ताव पारित किया है। इसमें कहा गया कि 26 मई 2009 के आंध्र प्रदेश के जमायतुल उलेमा के फतवे के अनुसार कादियानी समुदाय को काफिर घोषित किया जाता है। इस संबंध में गत दिनों भारत के अल्पासंख्यकक कल्यायण मंत्रालय को एक शिकायत प्राप्त हुई। इस पर मंत्रालय ने वक्फ बोर्ड को कड़ी फटकार लगाई। मंत्रालय ने कहा कि किसी समुदाय को इस्लाम से बाहर करने का फतवा जारी करने अधिकार राज्य के वक्फ बोर्ड के पास नहीं है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस तरह का प्रस्ताव नफरत फैलाने जैसा है। इससे पूरे देश पर असर पड़ सकता है।
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