पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक प्रेस कांफ्रेंस से रूस के पत्रकार को बाहर करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। यह घटना ‘प्रेस की आजादी’ को पलीता लगाने के लिए बदनाम पाकिस्तान के असली चेहरे को एक बार फिर सामने रखती है। दरअसल यूक्रेन के विदेश मंत्री कल पाकिस्तान में थे। इस्लामाबाद में उनकी पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के मुलाकात हुई। उसके बाद दोनों ने मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में रूस का भी एक पत्रकार मौजूद था। उसके वहां होने की भनक यूक्रेन के विदेश मंत्री को लगी और उसके कहने पर उस रूसी पत्रकार को प्रेस कांफ्रेंस से बाहर निकाल दिया गया। इस घटना से रूस का आक्रोशित होना स्वाभाविक था। उसके फौरन पाकिस्तान सरकार से इस मुद्दे पर सफाई पेश करने को कहा है।
दरअसल यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा अपने ‘सहयोगी’ पाकिस्तान के अधिकृत दौरे पर थे। वहां इस्लामाबाद में अन्य नेताओं के अलावा दिमित्री ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो से भी मिले। मुलाकात के बाद दोनों ने एक प्रेस वार्ता भी की। उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अन्य विदेशी पत्रकारों के साथ, रूस का पत्रकार भी उपस्थित था। रूस—यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में उसके लिए यह प्रेस वार्ता महत्वपूर्ण थी और बातचीत का सार रिपोर्ट करने की पेशेवराना जिम्मेदारी भी थी।
लेकिन प्रेस वार्ता के शुरू होने से पहले ही, पाकिस्तान ने कुछ ऐसा कदम उठाया कि जो उसके गले की फांस बन गया। यूक्रेन के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री से कहा कि रूस के पत्रकार को इस प्रेस कांफ्रेस से बाहर कराया जाए। ‘बेरीढ़’ के पाकिस्तानी अनुभवहीन मंत्री ने दखल दी और रूस के पत्रकार को बाहर निकलवा दिया। लेकिन इस घटना पर रूस चुप नहीं बैठा। उसने इस अपमान पर फौरन पाकिस्तान को अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा।
यूक्रेन और पाकिस्तान की उस संयुक्त प्रेस वार्ता की घटना के बाद इस्लामाबाद का रूसी दूतावास फौरन हरकत में आया। दूतावास ने अपनी यानी रूस की नाराजगी से इस्लामाबाद को अवगत कराने के साथ ही, पाकिस्तान के विदेश विभाग को एक शिकायती पत्र लिखकर इस घटना पर उसका जवाब तलब किया है। रूसी दूतावास ने अपने पत्र में लिखा है कि यह घटना पत्रकारों की सूचना तक पहुंच के अधिकार पर रोक लगाने जैसी है, जो किसी सूरत में स्वीकार नहीं की जा सकती है।
आज की स्थितियों में यूक्रेन के विदेश मंत्री की ‘मददगार’ पाकिस्तान की यह यात्रा एक तरह से महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। इसके पीछे वजह यह है कि 1993 में यूक्रेन और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे। उसके बाद यह पहला मौका था जब यूक्रेन के किसी विदेश मंत्री ने पाकिस्तान का सरकारी दौरा किया था।
उधर इस दौरे को देखते हुए भारत का पड़ोसी इस्लामी देश पूरी कोशिश कर रहा था कि रूस से भी वैर मोल न लिया जाए। भारत से उलट पाकिस्तान की कोई अपनी स्वतंत्र विदेश नीति भी नहीं है, न ही उसकी दुनिया में कोई पूछ या आवाज है। लेकिन तो भी वह रूस की नाराजगी तो मोल लेने की हिमाकत कर ही नहीं सकता था। लेकिन प्रेस कांफ्रेंस वाली घटना ने पाकिस्तान की कूटनीतिक विफलता को उजागर करके रख दिया। लेकिन जो हुआ उससे पाकिस्तान के प्रति रूस में दिल में पनपती रही खटास और बढ़ी ही है।
यूक्रेन और पाकिस्तान की उस संयुक्त प्रेस वार्ता की घटना के बाद इस्लामाबाद का रूसी दूतावास फौरन हरकत में आया। दूतावास ने अपनी यानी रूस की नाराजगी से इस्लामाबाद को अवगत कराने के साथ ही, पाकिस्तान के विदेश विभाग को एक शिकायती पत्र लिखकर इस घटना पर उसका जवाब तलब किया है। रूसी दूतावास ने अपने पत्र में लिखा है कि यह घटना पत्रकारों की सूचना तक पहुंच के अधिकार पर रोक लगाने जैसी है, जो किसी सूरत में स्वीकार नहीं की जा सकती है।
इस मुद्दे पर पाकिस्तानी पत्रकारों की भी टिप्पणियां आई हैं। एक पत्रकार का कहना है कि शायद रूस के पत्रकार को पाकिस्तान की तरफ से ही बुलाया ही न गया होता तो संभवत: कुछ विशेष बात नहीं होती। लेकिन यूक्रेन के मंत्री के एतराज के बाद ऐसा करने से यह मामला और गंभीर होगा। रूस पहले से ही यूक्रेन के किसी मंत्री के पाकिस्तान जाने से खुश नहीं है। शायद यही वजह थी कि इस सप्ताह जब विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने सरकार भोज रखा था तो उसमें रूस की तरफ से कोई राजनयिक शामिल नहीं हुआ था। उस भोज में इस्लामाबाद में कार्यरत अन्य देशों के तमाम देशों के राजनयिक शामिल थे।
टिप्पणियाँ