आज देश ने रक्षा उत्पादन में 1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर लिया है। सेमीकंडक्टर को लेकर भी अच्छे समाचार हैं कि आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा भारत सेमीकंडक्टर चिप भी बनाएगा। ताईवान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, जापान व चीन की तरह अब भारत भी 768 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर चिप उत्पादन के क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है।
औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र में भारत विगत ढाई वर्ष से सतत व द्रुत कीर्तिमान बना रहा है और सेवाओं के कारोबार में 13 वर्षों से सतत वृद्धि का सिरमौर बना हुआ है। विगत नौ वर्षों में रक्षा क्षेत्र के निर्यात में 23 गुना वृद्धि के साथ आज देश ने रक्षा उत्पादन में 1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर लिया है। सेमीकंडक्टर को लेकर भी अच्छे समाचार हैं कि आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा भारत सेमीकंडक्टर चिप भी बनाएगा। ताईवान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, जापान व चीन की तरह अब भारत भी 768 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर चिप उत्पादन के क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है।
गुजरात में सेमीकंडक्टर चिप उत्पादन प्रारम्भ होने जा रहा है। देश आज जापान व अमेरिका को पीछे छोड़ दूसरा प्रमुख स्टील उत्पादक देश बन गया है। चीन सहित सम्पूर्ण विश्व जब मंदी व रोजगार क्षति की सम्भावनाओं का सामना कर रहा है, वहीं इस वर्ष की पहली वित्तीय तिमाही (अप्रैल-जून 2023) में रोजगार के अवसर तेजी से बढ़े हैं। इस दौरान रोजगार बढ़ने की दर 6 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
विनिर्माण सूचकांक ऊंचाई पर
‘परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स’ (पीएमआई) के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि मई में विविध क्षेत्रों में बढ़ी हुई मांग से देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सतत व शानदार वृद्धि देखने को मिली है। जून में भी वृद्धि का पीएमआई सूचकांक 57.8 के स्तर पर है। ग्लोबल परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स के आंकड़ों के अनुसार मई की मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई अप्रैल के 57.2 से बढ़कर 58.7 रही है, जो विगत 31 महीने में सर्वोच्च है। यह लगातार 22वां अवसर है, जब भारत की मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 50 के ऊपर थी। जून का पीएमआई सूचकांक भी 50 से ऊपर 57.8 बना हुआ है। वस्तुत: पीएमआई का आंकड़ा 50 के ऊपर हो तो यह मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि में विस्तार का संकेत देता है, 50 से नीचे मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि में कमी को दर्शाता है।
ताईवान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, जापान व चीन की तरह अब भारत भी 768 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर चिप उत्पादन के क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है। एक समय रक्षा उपकरणों में पूरी तरह आयात पर निर्भर, भारत आज 85 से ज्यादा देशों को निर्यात कर रहा है। आज 100 से अधिक कंपनियां रक्षा उपकरणों का निर्माण एवं निर्यात कर रही हैं
सबसे तेज गति से उत्पादन व निर्यात वृद्धि : एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार ‘भारत के मैन्युफैक्चरिंग पीएफआई में मई 2023 में सर्वाधिक उत्साहजनक वृद्धि देखने को मिली है, जो इन विनिर्माण गतिविधियों को शीर्ष पर दिखाता है। वस्तुत: जनवरी 2021 के बाद से ही फैक्ट्रियों के आर्डर तेज गति से बढ़ रहे हैं।’ एजेंसी ने कहा कि, बिक्री में हुई बढ़त ने उत्पादन, रोजगार और खरीद की मात्रा में भी मजबूत बढ़त का रास्ता साफ किया। मई में सप्लाई चेन की स्थिति में और सुधार के साथ ही कंपनियों ने इनपुट इन्वेंट्री में रिकॉर्ड स्टोरेज है। जून के पीएमआई सूचकांक के परिणाम भी भारत में आगे भी निर्मित उत्पादों की मजबूत मांग के प्रमाण हैं।
भारत के संबंध में एसएंडपी ग्लोबल ने कहा है कि कंपनियों के निर्यात में भी पिछले 6 महीने में सबसे तेज विस्तार दर्ज किया गया है। उत्पादकों ने बढ़ते नये आर्डर और बाजार की परिस्थितियों के बीच उत्पादन बढ़ाया है और मई में तो उत्पादन में बढ़त की दर 28 महीनों में सबसे तेज रही है। भारत निर्मित उत्पादों की सकारात्मक मांग वृद्धि से उत्पादन वृद्धि, रोजगार विस्तार एवं उच्च निवेश का क्रम बना हुआ है।
उच्च प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के स्तर 1 व स्तर 2 के फलस्वरूप सूचना प्रौद्योगिकी जैव प्रौद्योगिकी, 5जी व 6जी संचार प्रौद्योगिकी तक सभी क्षेत्रों में भारत द्रुत गति से प्रगति कर रहा है। भारत की सौर ऊर्जा पैनल उत्पादन क्षमता सितंबर 2022 तक 39 गीगावाट हो गई थी, वह 2025 के अन्त तक 95 गीगावाट हो जाएगी। पिछले महीने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान 21 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने माइक्रॉन कम्पनी के सीईओ संजय मल्होत्रा से भेंट की थी।
रक्षा उत्पादन एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर
देश को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर व एक निर्यातकर्ता राष्ट्र के रूप स्थापित करने के लक्ष्य के फलस्वरूप रक्षा क्षेत्र का उत्पादन आज एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। वर्ष 2013-14 में रक्षा निर्यात मात्र 686 करोड़ रुपये रहा था। नौ वर्षों में बढ़कर यह 16,000 करोड़ रुपये होकर 23 गुना हो गया है।
सरकार रक्षा क्षेत्र में लगातार आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयासरत है और घरेलू उद्योगों को मजबूती देने के लिए कई रक्षा उपकरणों के आयात को प्रतिबन्धित किया गया है। रक्षा खरीद पर होने वाले खर्च में विदेशी स्रोत की हिस्सेदारी भी तेजी से गिरी है। वर्ष 2018-19 में रक्षा खरीद पर हुए कुल खर्च में 46 प्रतिशत हिस्सेदारी विदेशी स्रोत से खरीदे उपकरणों की थी जो 2022 में घटकर 36.7 प्रतिशत रह गई। एक समय रक्षा उपकरणों में पूरी तरह आयात पर निर्भर, भारत आज 85 से ज्यादा देशों को निर्यात कर रहा है। आज 100 से अधिक कंपनियां रक्षा उपकरणों का निर्माण एवं निर्यात कर रही हैं।
भारत डार्नियर-228 एयरक्राफ्ट, आर्टिलरी बंदूक, ब्रह्मोस मिसाइल, पिनाका राकेट एवं लांचर, रडार, सिमुलेटर और बख्तरबंद गाड़ियों समेत रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई तरह के उपकरणों का निर्यात कर रहा है। भारत के तेजस विमान, हल्के लडाकू हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्ट कैरियर की मांग भी लगातार बढ़ रही है।
उच्च प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के स्तर 1 व स्तर 2 के फलस्वरूप सूचना प्रौद्योगिकी जैव प्रौद्योगिकी, 5जी व 6जी संचार प्रौद्योगिकी तक सभी क्षेत्रों में भारत द्रुत गति से प्रगति कर रहा है। भारत की सौर ऊर्जा पैनल उत्पादन क्षमता सितंबर 2022 तक 39 गीगावाट हो गई थी, वह 2025 के अन्त तक 95 गीगावाट हो जाएगी। पिछले महीने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान 21 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने माइक्रॉन कम्पनी के सीईओ संजय मल्होत्रा से भेंट की थी। इसके ठीक सात दिन में ही 28 जून को गुजरात में चिप उत्पादन का समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित कर लिया गया।
सभी कोर क्षेत्रों में विस्तार
इस्पात, कोयला, सीमेंट, उर्वरक, खनिज तेल उत्पाद समेत आठ कोर सेक्टर उद्योगों ने अच्छा निष्पादन करते हुए मई 2023 में पिछले वर्ष की तुलना में 4.3 प्रतिशत वृद्धि अर्जित की है। इस वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल जून 2023) में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ देश में कोयला उत्पादन 22.29 करोड़ टन तक पहुंच गया है।
हाल ही में भारत ने इस्पात उत्पादन में जापान व अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए विश्व में दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया है। वर्ष 2014-15 से 2022-23 तक, भारत ने कच्चे इस्पात के उत्पादन में 42 प्रतिशत की वृद्धि अर्जित की है, जो 8.8 करोड़ मीट्रिक टन से बढ़कर 12.6 करोड़ मीट्रिक टन हो गई है।
देश का कच्चे इस्पात का उत्पादन चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की तिमाही में सालाना आधार पर 8.37 प्रतिशत बढ़कर 3.36 करोड़ टन पर पहुंच गया। अनुमानों के अनुसार वृद्धि की इस गति के चालू तिमाही में भी जारी रहने की सम्भावना है। यह सम्पूर्ण दशक ही वृद्धि का दशक बना रहेगा, ऐसी सम्भावना है।
लेखक-पैसिफिक विश्वविद्यालय समूह (उदयपुर) के अध्यक्ष-आयोजना व नियंत्रण
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