सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों और शिक्षित वर्ग को सचेत करना चाहता है कि उन्हें किसी के बहकावे में आने की आवश्यकता नहीं है। अभी यह साफ नहीं है कि सरकार क्या करने जा रही है।
गत दिनों घुमंतू जाति उत्थान न्यास ने अपनी बस्ती अपना हवन योजना का शुभारंभ किया। इसके लिए जयपुर के गोविंदपुरा-निवारू लिंक रोड, संपेरा बस्ती में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री निम्बाराम और महामंडलेश्वर बालमुकुंदाचार्य ने दीप प्रज्ज्वलित कर इसका उद्घाटन किया। मुख्य अतिथि थे शेखावाटी अस्पताल, जयपुर के निदेशक डॉ. सर्वेश शरण जोशी।
इस अवसर पर श्री निम्बाराम ने कहा कि हमारे परिवार में कोई कमजोर होता है तो हम उसे संबल देते हैं। वैसे ही घुमंतू उत्थान न्यास घुमंतू जाति के लोगों को संबल दे रहा है। शेखावाटी अस्पताल ने घुमंतू बस्ती में नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाया।
अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि प्रहलाद शर्मा और महेंद्र कुमार ने देव पूजन करवा कर बस्तीवासियों से विश्व कल्याण की कामना के साथ यज्ञ देवता को आहुति अर्पित करवाई। यज्ञ की पूर्णाहुति में बस्ती के लोगों से व्यसन छोड़ने का संकल्प कराया गया।
विधि आयोग से कल्याण आश्रम का अनुरोध
गत दिनों जुलाई को अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि इन दिनों समान नागरिक संहिता के संबंध में प्रसार माध्यमों, विशेषकर सोशल मीडिया में कई तरह की बातें चल रही हैं, जिससे जन सामान्य लोग भ्रमित हो रहे हैं। जनजाति समाज भी इसका अपवाद नहीं है। कुछ निहित स्वार्थी लोग भी जनजाति समाज को भ्रमित कर रहे हैं।
ऐसे में कल्याण आश्रम जनजाति समाज, विशेषकर उनके सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों और शिक्षित वर्ग को सचेत करना चाहता है कि उन्हें किसी के बहकावे में आने की आवश्यकता नहीं है। अभी यह साफ नहीं है कि सरकार क्या करने जा रही है।
यदि जनजाति समाज के लोगों, उनके संगठनों को लगता है कि उनकी रूढ़िगत प्रथाओं-व्यवस्थाओं पर इसके कारण कोई विपरीत प्रभाव पड़ेगा तो उन्हें सीधे विधि आयोग के सम्मुख अपने सरोकार रखने चाहिए। विधि आयोग सभी हित-धारकों से विचार-विमर्श के बाद केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट देगा। उसके बाद ही सरकार कोई विधेयक संसद में लाएगी।
इसके बाद ही कल्याण आश्रम भी उस पर अपने सुझाव या प्रतिक्रिया देगा। कल्याण आश्रम देश के विधि आयोग से अनुरोध करता है कि वह देश के विभिन्न जनजाति क्षेत्रों का दौरा कर जनजाति समाज के प्रमुख लोगों-संस्थाओं से विमर्श कर इस बारे में गहराई से उनके विचार, विवाह, विवाह विच्छेद, दत्तक, उत्तराधिकार जैसे विषयों पर उनकी परंपरागत व्यवस्था को समझने का प्रयास करे।
इस संबंध में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। इस संदर्भ में गठित संसदीय समिति के प्रमुख श्री सुशील कुमार मोदी की जनजातियों के प्रति सक्रिय भूमिका का हम स्वागत करते हैं।
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