उत्तराखंड : राधा-कृष्ण की यमुना जी से जुड़ा हरिपुर तीर्थ स्थल, जिसकी सीएम धामी करवा रहे खोज, जानें कैसे गायब हुआ
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उत्तराखंड : राधा-कृष्ण की यमुना जी से जुड़ा हरिपुर तीर्थ स्थल, जिसकी सीएम धामी करवा रहे खोज, जानें कैसे गायब हुआ

हरिपुर तीर्थस्थल देहरादून शहर से ज्यादा दूर नहीं बल्कि कालसी के पास हुआ करती थी।

by उत्तराखंड ब्यूरो
Jul 17, 2023, 11:54 am IST
in भारत, उत्तराखंड
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देहरादून : बहुत कम लोगों को मालूम है कि उत्तराखंड में गंगा नगरी हरिद्वार की तरह एक और तीर्थ स्थली हरिपुर भी हुआ करती थी जोकि यमुना जी के किनारे बसी हुई थी और एक बार आई प्रलयकारी बाढ़ में बह गई थी। ये तीर्थ स्थली देहरादून शहर से ज्यादा दूर नहीं कालसी के पास हुआ करती थी और इसकी जानकारी पौराणिक पुस्तको में दर्ज है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिपुर तीर्थ स्थल के विषय में जानकारों से चर्चा की है और उन्होंने ये निर्देशित किया है कि हरिपुर तीर्थ स्थल को पुनः स्थापित करने का काम शुरू कराया जाए।

जानकारी के मुताबिक सीएम धामी ने नमामि गंगे के परियोजना निदेशक रणवीर सिंह चौहान और अपने विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते को इस कार्य का जिम्मा सौंपा है। सीएम धामी को हरिपुर तीर्थ स्थल के बारे हाल ही में मथुरा से भगवान राधा कृष्ण से जुड़ी संस्थाओं द्वारा दी गई थी। जिसके बाद उन्होंने इस बारे में जानकारियां जुटाईं हैं।

हरिपुर स्थान, पछुवा देहरादून में कालसी के पास है। जहां चार नदियों का महासंगम है। यहां यमुना जी में टोंस, नौरा और अमलवा नदियां मिलती हैं। बतादें, हिमालयन गजेटियर में इस महासंगम और हरिपुर का जिक्र करते हुए कहा गया है कि कभी ये बड़ा शहर हुआ करता था और यहां हरिघाट से श्रद्धालु स्नान करके यमुनोत्री की यात्रा शुरू करते थे।

बताया गया है कि चार नदियों का महासंगम उत्तराखंड तो क्या पूरे उत्तर भारत में कहीं और नहीं है। पुराने जमाने में श्रद्धालु यमुना जी नदी मार्ग के किनारे बनी पगडंडियों से कच्चे पैदल मार्ग या फिर सड़क से ही यमुनोत्री धाम की यात्रा किया करते थे।

हरिद्वार की तरह हरिपुर का हरिघाट भी आस्था का बड़ा केंद्र हुआ करता था। मथुरा वृंदावन के कृष्ण भक्ति आस्था जमुना जी से जुड़ी हुई रहती आई है, इसलिए यहां के लोग पूर्व में यहीं से चारधाम की यात्रा करते हुए पहले यमुनोत्री जाया करते थे।

यमुना जी के साथ ही महाभारत का इतिहास जुड़ा हुआ है और हरिपुर से ही कुछ किमी आगे लाखामंडल यानि लाक्षागृह भी है। कहा जाता है कि पांडवो को इसी लाक्षागृह में जीवित जलाने का षड्यंत्र रचा गया था।

हरिपुर के बारे में जब खोज की गई तो यहां कालपी ऋषि की तपस्थली के विषय में भी जानकारी सामने आई। जिसमें ये सामने आया कि उनके द्वारा गुरु नानक काल से तपस्या शुरू की गई थी और दशम गुरु गोविंद सिंह की गोद में उन्होंने प्राण त्यागे थे, उल्लेखनीय है कि दशम गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षा दीक्षा युद्ध कला प्रशिक्षण भी यहीं हरिपुर के समीप यमुना किनारे ही पौंटा साहिब में हुआ था।

क्या कहते है सीएम धामी
“पाञ्चजन्य” से बातचीत में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बताते हैं कि हरिपुर के बारे में उन्हे मथुरा के भगवान राधाकृष्ण से जुड़ी संस्थाओं से जानकारी मिली संभवत उनके पुराने लोग इस बारे में श्रद्धा जानकारी रखते होंगे। हमने एक टीम लगाकर हरिपुर हरिघाट की आध्यात्मिक जानकारी  हासिल की है, हरिपुर के बारे में ये भी पता चला है कि ये तीर्थ स्थल जौनसार बावर क्षेत्र का भी पावन स्थल रहा है। यमुना घाटी में हिमाचल और उत्तराखंड जौनसारी जनजाति के लोग रहते हैं और यमुना जी को अपनी आराध्य देवी मानते है उनका जीना मरना इसी के साथ है। सीएम धामी ये भी कहते हैं कि यमुना जी मथुरा वृंदावन ब्रज में तो आराध्य हैं परंतु उत्तराखंड में जहां से ये अवतरित हो रही हैं वहां क्यों उपेक्षित रही इस बारे में सोचते हुए हमने इस पर काम शुरू करवा दिया है।

यमुना जी में बनेंगे घाट होगी आरती
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि यमुना जी के तीर्थस्थल हरिपुर, बड़कोट और गगनानी में घाटों का निर्माण कर वहां आरती शुरू कराई जाएगी और इसके लिए नमामि गंगे योजना से मदद ली जाएगी। सीएम धामी कहते हैं कि यमनोत्री में भी प्रसादम योजना के तहत घाट का निर्माण होगा और वहां भी यमुना जी की पावन आरती शुरू करवाई जाएगी। सीएम धामी कहते हैं दिल्ली यमुनोत्री एनएच के जरिए लाखों तीर्थ यात्री यहां पहुंचेंगे इसलिए हम पावन यमुना जी के हरिपुर तीर्थ स्थल को पुनः स्थापित करना चाहते हैं। शायद यमुना जी ने भगवान राधा कृष्ण ने हमें ये सनातन सेवा कार्य करने का दायित्व सौंपा है।

 

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