... जब भाईजी ने ठुकराया ‘भारत रत्न’ का प्रस्ताव
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

… जब भाईजी ने ठुकराया ‘भारत रत्न’ का प्रस्ताव

नेहरू सरकार ‘कल्याण’ के आद्य संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार को ‘भारत रत्न’ से अलंकृत करना चाहती थी। इस संबंध में तत्कालीन गृह मंत्री गोविन्द वल्लभ पंत ने भाईजी को पत्र भी लिखा था। लेकिन भाईजी ने विनम्रता से पुरस्कार लेना अस्वीकार कर दिया था

by डॉ. संतोष कुमार तिवारी
Jul 13, 2023, 09:45 am IST
in भारत, विश्लेषण, उत्तर प्रदेश
गीता प्रेस

गीता प्रेस

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

उन दिनों श्री जवाहर लाल नेहरू का प्रताप बढ़ रहा था। नेहरू जी संकीर्तन महायज्ञ में आमंत्रित किए गए। (यह महायज्ञ गोरखपुर में ‘गीता वाटिका’ में हो रहा था।) वे (नेहरू जी) यज्ञ में आए। उन्होंने यज्ञ मंडप में भगवान को नमस्कार भी किया। उन्होंने पूछा, ‘क्या यह अखण्ड संकीर्तन दिन-रात होता रहता है? ढोलक और शंख बजते रहते हैं?’ उनका उस समय तक इन बातों से इतना परिचय नहीं था।

डॉ. संतोष कुमार तिवारी, सेवानिवृत्त प्रोफेसर

जवाहर लाल नेहरू की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार ने गीता प्रेस के संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार उपाख्य भाईजी को ‘भारत रत्न’ से अलंकृत करना चाहा था। इस संबंध में तत्कालीन गृह मंत्री गोविन्द वल्लभ पंत ने भाईजी को पत्र लिखा था, लेकिन भाईजी ने विनम्रता के साथ यह पुरस्कार लेने से मना कर दिया था। इस अस्वीकार के तत्काल बाद पंत ने भाईजी को पत्र में लिखा, ‘‘आप इतने महान हैं, इतने ऊंचे महामानव हैं कि भारतवर्ष क्या, सारी दुनिया को इसके लिए गर्व होना चाहिए। मैं आपके स्वरूप के महत्व को न समझ कर ही आपको भारत रत्न की उपाधि देकर सम्मानित करना चाहता था। आपने उसे स्वीकार नहीं किया, यह बहुत अच्छा किया। आप इस उपाधि से बहुत बहुत ऊंचे स्तर पर हैं। मैं आपको हृदय से नमस्कार करता हूं।’’ इस हस्तलिखित पत्र की फोटो राधेश्याम बंका की पुस्तक ‘महाभावोदधि श्री पोद्दारजी’ के तीसरे खंड में प्रकाशित हुई है।

जब नेहरू गोरखपुर आए 

देश की आजादी से पहले नेहरू जी एक बार गोरखपुर गए थे, तब अंग्रेज सरकार के डर से कोई उन्हें अपनी कार देने को तैयार नहीं था। तब भाईजी ने उनके लिए कार की व्यवस्था की थी। नेहरू जी को कार देने पर भाईजी के विरुद्ध सीआईडी जांच भी हुई। हालांकि बाद में कुछ हुआ नहीं। (कल्याणपथ: निर्माता और राही, लेखक भगवती प्रसाद सिंह, प्रकाशक श्री राधामाधव सेवा संस्थान गोरखपुर, प्रकाशन वर्ष 1980, पृष्ठ-156) 

उन दिनों गीता प्रेस का संपादकीय कार्यालय गोरखपुर रेलवे स्टेशन से लगभग तीन किलोमीटर दूर ‘गीता वाटिका’ में था। भाईजी व कई संपादकीय सहयोगी वहीं रहते थे। उन्हीं में से एक थे शान्तनु बिहारी द्विवेदी। उन्होंने बाद में संन्यास ले लिया था। संन्यास के बाद उनका नाम स्वामी अखण्डानंद हो गया था। स्वामी अखण्डानंद ने अपनी पुस्तक ‘पावन प्रसंग’ के चतुर्थ संस्करण के पृष्ठ 270 पर लिखा है कि गीता प्रेस से नेहरू भी प्रभावित थे।

उन्होंने लिखा है, ‘‘उन दिनों श्री जवाहर लाल नेहरू का प्रताप बढ़ रहा था। नेहरू जी संकीर्तन महायज्ञ में आमंत्रित किए गए। (यह महायज्ञ गोरखपुर में ‘गीता वाटिका’ में हो रहा था।) वे (नेहरू जी) यज्ञ में आए। उन्होंने यज्ञ मंडप में भगवान को नमस्कार भी किया। उन्होंने पूछा, ‘क्या यह अखण्ड संकीर्तन दिन-रात होता रहता है? ढोलक और शंख बजते रहते हैं?’ उनका उस समय तक इन बातों से इतना परिचय नहीं था। भाईजी ने उनके सामने भारतीय भक्ति भाव और संकीर्तन की महिमा पर प्रवचन दिया। नेहरू जी ने आश्चर्यचकित होकर श्रवण किया। गीता वाटिका में देश के प्रसिद्ध सत्पुरुष समय समय पर आते रहते थे।’’

गीता प्रेस की हिंदी मासिक पत्रिका ‘कल्याण’ के जनवरी  अंक में नेहरू  जी की मां श्रीमती स्वरूप रानी और गांधीजी की पत्नी स्व. कस्तूरबा गांधी पर भी उनकी फोटो सहित लेख छपे थे। स्वरूप रानी वाले लेख में भाईजी ने अलग से टिप्पणी लिखी, ‘‘लगभग अठारह वर्ष पहले की बात है। कुंभ के अवसर पर प्रयाग में त्रिवेणी तट पर गीता प्रेस की ओर से ‘गीताज्ञान’ यज्ञ का आयोजन हुआ था। महामना (मदन मोहन) मालवीय जी उसके अध्यक्ष थे। उसमें सन्ध्या के समय भक्त श्री विष्णु दिगम्बरजी रामचरित मानस की कथा कहते थे। मुझे भली-भांति स्मरण है-माता स्वरूप रानी प्रतिदिन आतीं। वे समय से पहले ही आतीं, इससे उन्हें श्री विष्णु दिगम्बरजी के समीप बैठने का स्थान मिलता। वे अत्यन्त तन्मय होकर कथा सुनतीं। कभी-कभी तो उनके नेत्रों से अश्रुओं का प्रवाह चल पड़ता।’’ (कल्याण, नारी अंक 1948, पृष्ठ-752)

नारी अंक और गांधी जी

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी 1955 में गीता प्रेस आए थे और वहां लीला चित्र मंदिर का उद्घाटन किया था। आज हर वर्ष इस लीला चित्र मंदिर को देखने के लिए देश के कोने-कोने से हजारों लोग आते हैं। इसमें भगवान राम और कृष्ण के जीवन पर आधारित अनेक मनमोहक चित्र प्रदर्शित हैं। इन चित्रों में एक महात्मा गांधी और एक ईसा मसीह का भी है।

जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब भारत सरकार के प्रकाशन विभाग ने 1987 में भाईजी पर एक पुस्तक प्रकाशित की थी-Builders of Modern India-Hanuman Prasad Poddar. बाद में जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे, तब भारत सरकार ने 1992 में हनुमान प्रसाद पोद्दार की स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया था।

‘कल्याण’ का प्रत्येक नए वर्ष का पहला अंक एक विशेषांक होता है। जनवरी 1948 का अंक नारी अंक था, जो अब तक 19 बार पुनर्मुद्रित हो चुका है और इसकी डेढ़ लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी, 1948 को हुई थी। नारी अंक के प्रारम्भिक पृष्ठों में एक पर बापू का चित्र है और एक पेज में बाबा राघव दास की बापू को श्रद्धांजलि है। इसके बाद एक पेज में भाईजी द्वारा दी गई श्रद्धांजलि है, जो इस प्रकार है-

बापू…

पूज्य महात्माजी संत थे, महापुरुष थे, मानव मात्र का हित चाहने वाले थे और विश्व की महान विभूति थे। वे धर्म और जाति के भेद से ऊपर उठे हुए थे और सत्य एवं अहिंसा के पुजारी थे। वे मानवता के खरे प्रतीक थे। ईश्वर की प्रार्थना के लिए जाते समय उनकी निर्मम हत्या करके हत्यारे ने अपना तो लौकिक एवं पारलौकिक अहित किया ही, हिंदू-जाति पर भी-जो धर्मत: एवं स्वभावत: अहिंसा प्रिय है- कलंक का अमिट टीका लगा दिया। हिंदू-जाति को इस पाप का फल अवश्य भोगना पड़ेगा। महात्माजी के चले जाने से विश्व ने एक बड़ी निधि को खो दिया है, इसी से वह शोकाकुल है। पर वे जो सन्देश छोड़ गए हैं, वह अमर है और उसका व्यवहार करके ही जगत् उनके प्रति कृतज्ञ हो सकता है। और जगत् में जो भी अपने को उनका भक्त मानता हो, उसको यही करना चाहिये।

इन पंक्तियों के लेखक के साथ तो उनका पारिवरिक-सा संबंध था। वे इसको अपने पुत्र के समान मानते और स्नेह करते थे। उनके स्नेह की एक-एक बात याद आती है और हृदय भर आता है! ‘कल्याण’ एवं अंग्रेजी ‘कल्याण-कल्पतरु’ के साथ भी महात्माजी का बहुत पुराना संबंध रहा है। उनका इन पत्रों पर सदा ही कृपा और ममत्व का भाव रहा है और इस नाते उनका न रहना कल्याण के संचालकों एवं पाठकों को विशेष रूप से खलेगा। 

भगवान् सबको सुबुद्धि दें और हम वही काम करें, जिससे उनकी आत्मा को शान्ति मिले। 
हनुमान प्रसाद पोद्दार 
संपादक-कल्याण

जनवरी 1948 में ‘कल्याण’ के नारी अंक में प्रकाशित बापू का चित्र, बाबा राघव दास और भाईजी द्वारा बापू को श्रद्धांजलि

अंग्रेजी पुस्तक और उसके झूठ

‘कल्याण’ के विशेषांकों के शुरुआती पन्नों में ऐसी कई सूचनाएं होती हैं, जिनका पुनर्मुद्रण नहीं होता। जैसे-जनवरी 1948 के नारी अंक के शुरू में लिखा है, ‘‘कोई सज्जन विज्ञापन भेजने का कष्ट न उठावें। कल्याण में बाहर के विज्ञापन नहीं छपते। समालोचनार्थ पुस्तकें कृपया न भेजें। ‘‘ इसी कारण आज नारी अंक जब पुनर्मुद्रित होता है, उसमें महात्मा गांधी को दी गई श्रद्धांजलि भी नहीं छपती। 2015 में अंग्रेजी में प्रकाशित एक पुस्तक में गीता प्रेस की आलोचना की गई। इसमें कहा गया कि गांधीजी के निधन के बाद ‘कल्याण’ में उन पर श्रद्धांजलि नहीं छपी थी। यह बात सरासर गलत है। इस पुस्तक में यह प्रश्न भी किया गया है कि फरवरी और मार्च 1948 के अंकों में भी महात्मा गांधी का कोई जिक्र क्यों नहीं किया गया? सच यह है कि फरवरी 1948 के कल्याण के अंक में ‘हिंदू विधवा’ शीर्षक से महात्मा गांधी का लेख छपा था। इस पुस्तक में 2003 में प्रकाशित एक पुस्तक के हवाले से यह लिखा गया कि गांधी हत्या के बाद श्री जयदयाल गोयन्दका और भाईजी गिरफ्तार हुए थे। लेकिन लेखक ने यह नहीं बताया कि उन्हें किस जेल में रखा गया और कब रिहा किया गया।

गांधी हत्या के बाद देश में लगभग 25,000 लोग गिरफ्तार किए गए थे। उस समय गिरफ्तार कुछ लोगों से गोरखपुर में बातचीत करने पर पता चला कि गोयन्दका जी और भाईजी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। इस लेख के लेखक ने लखनऊ में महानगर स्थित स्टेट आर्काइव में भी अभिलेख खंगाले, पर ऐसी कोई सूचना नहीं मिली। यदि ऐसी गिरफ्तारी हुई होती, तो नेहरू सरकार भाईजी को ‘भारत रत्न’ देने की पेशकश क्यों करती। 2003 की पुस्तक में लिखा है कि प्रसिद्ध उद्योगपति धनश्याम दास बिरला ने कहा था कि ये दोनों सनातन धर्म नहीं, ‘शैतान धर्म’ फैला रहे थे। सच यह है कि भाईजी का शरीर शान्त हो जाने के बाद उनकी स्मृति में जो पुस्तक प्रकशित हुई, उसमें बिरलाजी ने लिखा है, ‘‘हनुमान प्रसाद पोद्दार मेरे पुराने मित्र थे। उन्होंने धार्मिक साहित्य के प्रचार के क्षेत्र में अद्वितीय सेवाएं की हैं। उनके निधन से मुझे दु:ख हुआ है।’’ (भाईजी पावन स्मरण, गीता वाटिका प्रकाशन, गोरखपुर, द्वितीय संस्करण, पृष्ठ-40) 

अपने विरुद्ध चल रहे दुष्प्रचार के बावजूद पिछले वित्तीय वर्ष में गीता प्रेस ने ‘कल्याण’ सहित लगभग 2.40 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की  हैं, जिनका मूल्य एक अरब ग्यारह करोड़ रुपये से अधिक है।  गीता प्रेस 15 भाषाओं में सस्ते मूल्य पर लगभग 1850 पुस्तकें प्रकाशित करता है। गीता प्रेस का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है। आध्यात्मिक क्षेत्र में गीता प्रेस आज विश्व की सबसे बड़ी प्रकाशन संस्थाओं में से एक है। 

2003 में प्रकाशित पुस्तक में ‘कल्याण’ को साप्ताहिक मैगजीन बताया गया है और कहा है कि जयदयाल गोयन्दका उसके कार्यकारी संपादक थे। सच यह है कि ‘कल्याण’ एक मासिक पत्रिका है और गोयन्दका जी गीता प्रेस के मूल संस्थापक थे। वे कभी कार्यकारी संपादक नहीं रहे। इन दो पुस्तकों के जरिए गीता प्रेस के खिलाफ दुष्प्रचार का प्रयास किया गया। ऐसे दुष्प्रयास अभी समाप्त नहीं हुए हैं। आगे और भी होने की आशंका है। इन दुष्प्रयासों में आज की कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व भी शामिल है। ऐसे दुष्प्रयास वे लोग कर रहे हैं, जिन्हें सनातन धर्म फूटी आंख नहीं सुहाता और जो भारत के प्राचीन साहित्य- गीता, रामायण, महाभारत, भागवत, पुराण आदि से नफरत करते हैं।
(पाञ्चजन्य ने गीता प्रेस के विरूद्ध समय-समय पर सेकुलर दलों, लेखकों द्वारा किए गए दुस्प्रचार अथवा षड्यंत्रों को तथ्यों के आधार पर ध्वस्त किया है। यह आलेख भी उसी शृंखला में है।) 

गीता प्रेस ने गांधी पुरस्कार की एक करोड़ रुपये की राशि लेने से इनकार कर अच्छा किया। गीता प्रेस की शुरू से ही किसी से अनुदान न लेने की नीति रही है। गांधीजी के सुझाव का पालन करते हुए ‘कल्याण’ में बाहरी विज्ञापन या पुस्तक समीक्षा नहीं छापी जाती। गीता प्रेस के गांधीजी से बहुत अच्छे संबंध थे। दोनों ही गोहत्या के विरोधी थे। दोनों कन्वर्जन के विरोधी थे। दोनों की रामनाम में अटूट आस्था थी। ‘कल्याण’ में गांधीजी के लेख भी छपते रहते थे। परन्तु देश के विभाजन पर गांधीजी के रुख का गीता प्रेस ने विरोध किया था। ‘कल्याण’ के पहले अंक में भी गांधीजी का और गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर का एक लेख छपा था। 1932 में गांधीजी के पुत्र देवदास गांधी को अंग्रेज सरकार ने गिरफ्तार करके गोरखपुर जेल में रखा था। गांधीजी के कहने पर पोद्दारजी ने देवदास गांधी का पूरा ख्याल रखा और नियमित रूप से जेल में उनसे मिलते रहे। रिहाई के फौरन बाद जब देवदास गांधी बीमार पड़े, तब भी पोद्दारजी ने उनका ख्याल रखा।

अपने विरुद्ध चल रहे दुष्प्रचार के बावजूद पिछले वित्तीय वर्ष में गीता प्रेस ने ‘कल्याण’ सहित लगभग 2.40 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की  हैं, जिनका मूल्य एक अरब ग्यारह करोड़ रुपये से अधिक है।  गीता प्रेस 15 भाषाओं में सस्ते मूल्य पर लगभग 1850 पुस्तकें प्रकाशित करता है। गीता प्रेस का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है। आध्यात्मिक क्षेत्र में गीता प्रेस आज विश्व की सबसे बड़ी प्रकाशन संस्थाओं में से एक है।

Topics: Lord Rama and KrishnaKalyanDr. Rajendra PrasadGeeta PressHanuman Prasad Poddarहिंदू विधवाGovind Vallabh Pantगीता वाटिकाभगवान राम और कृष्णकल्याणडॉ. राजेंद्र प्रसादमहात्मा गांधीहनुमान प्रसाद पोद्दारMahatma Gandhiगोविन्द वल्लभ पंतरामचरित मानसHindu WidowRamcharit ManasGeeta Vatikaगीता प्रेस
Share9TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

क्या कांग्रेस को वास्तव में गांधीजी की कोई चिंता थी ? किन बातों पर डालना चाहती है पर्दा ?

डॉ. आम्बेडकर

बाबा साहब आम्बेडकर और राष्ट्र

कस्तूरबा गांधी जयंती विशेष : वो ‘बा’ ही थीं! जो गांधी जी के चरमोत्कर्ष की सारथी बनीं

Veer Sawarkar Punyatithi

पुण्यतिथि विशेष: “स्वराष्ट्र के लिए जो जिए और मरे वही है स्वातंत्र्य वीर सावरकर”

साबरमती संवाद-3 में बोलते हुए माननीय जगदीश पांचाल जी

साबरमती संवाद-3 : मोदी जी के नेतृत्व में गुजरात की ऐतिहासिक प्रगति और विकास की गाथा

Panchjanya Sabarmati Samvad Dilip Sanghani

साबरमती संवाद-3 ‘प्रगति गाथा’ में दिलीप संघानी बोले-आज देश व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के लिए तेजी से काम कर रहा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

वैष्णो देवी यात्रा की सुरक्षा में सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

Britain NHS Job fund

ब्रिटेन में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट: एनएचएस पर क्यों मचा है बवाल?

कारगिल विजय यात्रा: पूर्व सैनिकों को श्रद्धांजलि और बदलते कश्मीर की तस्वीर

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies