जलता बंगाल और बेसुध कथित प्रगतिशील समाज !
July 23, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

जलता बंगाल और बेसुध कथित प्रगतिशील समाज !

बंगाल एक बार फिर से सुर्खियों में है।

by सोनाली मिश्रा
Jul 12, 2023, 09:11 pm IST
in भारत, विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

बंगाल एक बार फिर से जला और एक बार फिर से वह वर्ग मौन रहा, जो वर्ग स्वयं को स्मवेदंशीलता का अगुआ मानता है। जो यह मानता है कि उसके बिना क्रान्ति नहीं हो सकती, उसके बिना परिवर्तन की लहर नहीं आ सकती और उसकी सहमति की मोहर के बिना जो कुछ भी होता है, वह सब पिछड़ा है। केवल वही हैं जो अगुआ हैं, केवल वही हैं, जो करुणा की बात कर सकते हैं, या कहें करुणा उत्पन्न कर सकते हैं। वह कौन है, जो तलाशते हैं अवसर अपनी बौद्धिक श्रेष्ठता दर्ज करने के लिए वैश्विक आपदाएं एवं वैश्विक संघर्ष। मगर अपने ही देश में हो रही खूनी घटनाओं पर मौन साध जाते हैं।

यह आज की बात नहीं है और न ही यह आज की घटना है। यह तो इतिहास के प्रति ही किया जा रहा अन्याय है, जो अब जनता के सामने और मुखर होकर आ रहा है, बात कथित प्रगतिशीलों की और कथित रूप से बौद्धिक चारागाह माने जाने वाले बंगाल की, जो एक बार अब पुन: सुर्खियों में है। इसलिए नहीं कि बहुत कुछ बौद्धिक वहां पर हुआ है, बल्कि इसलिए कि ऐसा कुछ हुआ है, जिस पर कथित बौद्धिक वर्ग को बोलना चाहिए था और उन्होंने चुप्पी साध ली।

इसलिए कि उन्हें संवेदना दिखानी चाहिए थी, मगर वह नहीं दिखा सके। बंगाल, जिसे एक समय में तमाम प्रकार की रचनात्मकता एवं रचनात्मक प्रतिरोध के लिए स्मरण किया जाता था, वहां पर चुनावी हिंसा और चुनावी गड़बड़ी की घटनाओं पर प्रगतिशील वर्ग पूर्णतया मौन साथ गया है। ऐसा लग रहा है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं है और बेखबर सी सारी सरकार नजर आते हैं।

यहां बात हो रही है बंगाल में हुए पंचायत चुनावों में लुटे हुए बैलेट बॉक्स की और हिंसा में मारे गए आम लोगों की और उस पर उस प्रगतिशील चुप्पी की, जो यह सोचकर चुप है कि हिंसा हो रही है तो क्या, भाजपा तो हार रही है। यही सोच घातक है और बहुत खतरनाक है! क्या केवल भाजपा हार रही है, इस कारण यह वर्ग किसी भी सीमा तक हिंसा का समर्थन करने के लिए पहुंच जाएगा ? क्या भाजपा की पराजय की इच्छा लिए यह वर्ग बाहरी शत्रुओं से भी मिल जाएगा ?

यह सोच अत्यंत घातक है क्योंकि यह चुप्पी तमाम हत्याओं के साथ ही लोकतंत्र की भी हत्या पर भी हावी है। यह वह वर्ग है जो मोहब्बतों की दुकान जैसे जुमलों पर हंसकर कहता है कि देखा ऐसे होते हैं नेता ! मगर यह वही वर्ग है जो बंगाल में पंचायत चुनावों में हुई हिंसा में प्राण गंवाने वाले 20 लोगों के शवों को अनदेखा कर देता है। वह लूटे गए बैलेट बॉक्स पर अट्टाहास करता है।

दरअसल वह जो लूटे हुए बैलेट बॉक्स है, वही तो कहीं न कहीं उसकी भी चाह प्रतीत होती है क्योंकि वर्ष 2014 के बाद के हर चुनावों के बाद यह वर्ग इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन पर प्रश्न उठाते हुए कहता है कि कैसे भाजपा ही केवल जीतती है, परन्तु यह वही वर्ग है जो भारतीय जनता पार्टी के चुनाव हारने पर ईवीएम पर प्रश्न चिह्न नहीं उठाता है।

बैलेट बॉक्स नाले में मिले तो वहीं वीडियो सामने आए कि कैसे लोग मोहर पर मोहर लगाते जा रहे हैं। यहां तक कि इस तक के वीडियो सामने आए कि कैसे सीपीआईएम ने भी बंगाल में छप्पा वोट डाले। हालांकि मोहब्बत की दुकान की बात करने वाले नेता की पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी इस हिंसा की बात की, परन्तु प्रगतिशील वर्ग ने इनकी पीड़ा भी नहीं सुनी।

इसी बीच एक चुनाव अधिकारी की रोती हुई तस्वीर भी वायरल हुई। यह दावा किया गया कि वह अपने पोलिंग बूथ पर रिगिंग के चलते फूट फूट कर रो पड़ी थीं। मगर यह तस्वीर भी विमर्श का हिस्सा नहीं बन सकी थी।

रिपोर्ट्स के अनुसार बंगाल में सामान्य मतदाताओं को डराने के लिए टीएमसी द्वारा कई स्थानों पर देसी बम भी फोड़े गए। भाजपा समर्थक ही नहीं, बल्कि आम लोग भी मारे गए। बैलेट बॉक्स में आग लगाई गयी, या पानी डाल दिया गया। बंगाल का जिला प्रशासन और पुलिस दोनों की अक्षम प्रमाणित हुए और यह पूरी तरह से जोकतंत्र बनकर रह गया, क्योंकि तमाम शिकायतों पर कार्रवाई हुई ही नहीं।

बंगाल के विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा पर भी यह वर्ग पूरी तरह से मौन था। उसके लिए हिंसा या लोकतंत्र की हत्या या इंसानों की हत्या का कोई अर्थ ही नहीं है, वह बस यह सोचकर प्रसन्न है कि भारतीय जनता पार्टी हार रही है।

भारतीय जनता पार्टी के प्रति घृणा का आलम यह है कि वह हिन्दू प्रतीकों का एवं भगवान का विरोध तो करते ही हैं, परन्तु वह हिंसा का समर्थन करने लगेंगे यह बहुत खतरनाक है। आज असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने हिंसा का एक और चेहरा दिखाते हुए ट्वीट किया कि बंगाल में पंचायत चुनावों में हिंसा के चलते 133 व्यक्तियों ने असम के धुबरी जिले में शरण मांगी है। हमने उन्हें शरणार्थी शिविरों में स्थान दिया है और साथ ही भोजन एवं चिकित्सीय सहायता भी उपलब्ध कराई है।

भारतीय जनता पार्टी को हराने की लालसा में यह वर्ग इस सीमा तक आत्मघाती हो चुका है कि इस वर्ग को उन 133 लोगों की पीड़ा भी नहीं दिखाई दे रही है जो हिंसा के भय से दूसरे प्रांत में शरण लेने पहुंच गए हैं।

यह अत्यंत शोध का विषय हो सकता है कि भारतीय जनता पार्टी की पराजय देखने के लिए विपक्ष ही नहीं, संवेदनशीलता का स्वयंभू ठेकेदार वर्ग भी हिंसा पर मौन धारण कर सकता है, शवों पर विजय का अट्टाहास कर सकता है। आम लोगों के बहते रक्त के बीच “साम्प्रदायिकता” पर जीत का जश्न मना सकता है।

कथित प्रगतिशील वर्ग की यह चुप्पी अत्यंत घातक है, यह आत्मघाती चुप्पी कब जाकर टूटेगी इसका उत्तर वह शव भी अवश्य मांगेंगे जो कथित प्रगतिशीलों से कम से कम यह तो आस करते ही होंगे कि वह उनकी पीड़ा विमर्श में तो उठाएंगे ! परन्तु सीरिया के एलन कुर्दी पर कविताओं की धारा बहाने वाले लोग बंगाल में बहते हुए रक्त से उसी प्रकार निरपेक्ष हैं, जैसे कश्मीरी हिन्दुओं के कत्लेआम और पलायन पर निरपेक्ष थे और अभी तक हैं ! और वह पीड़ाओं को नकारने के क्रम में हैं !

Topics: panchayat electionselection officialsपंचायत चुनाव में हिंसाpolling boothsबीजेपीViolence in Panchayat electionsballot boxes looted in panchayat electionsहिंसाअधीर रंजन चौधरीपंचायत चुनावप्रगतिशील वर्गviolenceचुनाव अधिकारीviolence in Bengalपोलिंग बूथबंगाल में हिंसापंचायत चुनाव में बैलेट बॉक्स लूटे गएBJPBengalAdhir Ranjan Chowdharyबंगालlove shopमोहब्बत की दुकानprogressive class
Share6TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा मंजूर, पीएम मोदी ने कही ये बात

देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री

‘मेरे जन्मदिन पर होर्डिंग पर पैसा खर्च न करें, मुख्यमंत्री सहायता निधि में करें दान’, फडणवीस की कार्यकर्ताओं से अपील

राहुल गांधी खुद जमानत पर हैं और हमें जेल भेजने आये थे: हिमंत बिस्वा

कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता: ‘कैश फॉर जॉब्स’ घोटाले में अयोग्य उम्मीदवारों को फिर से भर्ती, HC ने लगाई कड़ी फटकार

Nainital High court lift stays from election ban

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हटाई पंचायत चुनाव पर लगी रोक, तीन दिन में नया चुनाव कार्यक्रम जारी करने का आदेश

Mamta Benerji Spits venum on Pahalgam terror attack Suvendu Adhikari

पुलवामा हमले पर ममता बनर्जी का विवादित बयान, सुवेंदु अधिकारी बोले- शर्मनाक और राष्ट्रविरोधी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक द्वारा घोषित शोध छात्रवृत्तियाँ 2025

सावरकर स्मारक की पहल : क्रांतिकारी आंदोलन पर शोध हेतु 3 शोधकर्ताओं को मिली प्रतिष्ठित छात्रवृत्ति, जानिए सबके नाम

अब्दुल रहमान उर्फ पप्पू की गिरफ्तारी- कन्वर्जन सिंडिकेट का मास्टरमाइंड

हिंदू से ईसाई बना, फिर मुस्लिम बनकर करने लगा इस्लामिक कन्वर्जन, ‘रहमान चाचा’ का खुला काला चिट्ठा

सीरिया में ड्रूज समुदाय के हजारों लोगों की हत्या की गई है।

सीरिया में हजारों ड्रूज़ लोगों की हत्याएं: मगर क्यों? विमर्श में इतना सन्नाटा क्यों?

शशि थरूर कांग्रेस के लिए जरूरी या मजबूरी..?

उत्तराखंड छात्रवृत्ति घोटाला: CM धामी ने SIT जांच के दिए निर्देश, सनातनी स्कूलों के नाम का दुरुपयोग कर हुआ मुस्लिम घपला

ऑनलाइन गेम्स के दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं।

ऑनलाइन गेम्स की लत से परिवार तबाह, महाराष्ट्र में बैन की उठी मांग !

हिंदू वेश में उन्माद की साजिश नाकाम : मुजफ्फरनगर में 5 मुस्लिम गिरफ्तार, कांवड़ियों के बीच भगवा वेश में रच रहे थे साजिश

10 हजार साल पुराना है भारत का कृषि का ज्ञान-विज्ञान, कपड़ों का निर्यातक भी था

चाकू दिखाकर डराता युवक

महाराष्ट्र: युवक ने स्कूल से घर लौटी छात्रा की गर्दन पर चाकू रख किया ड्रामा, भीड़ ने जमकर की धुनाई

नशेड़ी हुआ अलगाववादी अमृतपाल! : पंजाब में नशे से छुड़ाने के नाम पर फैलाया कट्टरपंथी जहर

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies