तीस्ता: फर्जीवाड़े की फांस
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

तीस्ता: फर्जीवाड़े की फांस

गुजरात दंगों के लिए झूठे सबूत गढ़कर हिंदू समाज पर लांछन लगाने वाली तीस्ता सीतलवाड को भले ही सर्वोच्च न्यायालय ने थोड़ी राहत दे दी हो, लेकिन सच यह है कि वह अपने ही जाल में फंस चुकी है 

by सुरेश भट्ट
Jul 12, 2023, 01:12 pm IST
in भारत, विश्लेषण
फर्जी एक्टिविस्ट तीस्ता जावेद सीतलवाड

फर्जी एक्टिविस्ट तीस्ता जावेद सीतलवाड

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

गुजरात सरकार ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अंबालाल पटेल के समक्ष कहा है कि तीस्ता ने 2002 के दंगा पीड़ितों का भरोसा तोड़ा है। उसने दंगा पीड़ितों के नाम पर फर्जी शपथपत्र प्रस्तुत कर निर्दोष नागरिकों और अधिकारियों को फंसाने का षड्यंत्र रचा।  

कहा जाता है ‘जैसी करनी, वैसी भरनी।’ यह बात तीस्ता जावेद सीतलवाड पर पूरी तरह लागू होती है। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और वहां के हिंदू समाज को बदनाम करने के लिए तीस्ता ने सारी हदें पार कर दी थीं। उसने गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए उपद्रवों की आड़ में झूठे गवाह और तथ्य गढ़े। गुजरात सरकार ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अंबालाल पटेल के समक्ष कहा है कि तीस्ता ने 2002 के दंगा पीड़ितों का भरोसा तोड़ा है। उसने दंगा पीड़ितों के नाम पर फर्जी शपथपत्र प्रस्तुत कर निर्दोष नागरिकों और अधिकारियों को फंसाने का षड्यंत्र रचा।

यह है पूरा मामला 

बता दें कि गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर मुस्लिम उन्मादियों  ने 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के दो डिब्बों में आग लगा दी थी। इसमें अयोध्या से वापस आ रहे 59 कारसेवक जिंदा जल गए थे। मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी थे। इसकी प्रतिक्रिया में पूरे गुजरात में दंगे भड़के, जिनमें हिंदू और मुसलमान, दोनों मारे गए। इनमें से एक घटना अमदाबाद की गुलबर्गा सोसाइटी की है। इसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोग मारे गए।

इस घटना को लेकर जाफरी की बीवी जकिया जाफरी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य 63 लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग की, लेकिन पुख्ता सबूत नहीं होने पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इसके बाद जकिया गुजरात उच्च न्यायालय गई। उच्च न्यायालय ने भी जकिया की अर्जी खारिज कर दी। वह सर्वोच्च न्यायालय पहुंची। सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष जांच समिति (एसआईटी) को इसकी जांच करने को कहा। चाहे उच्च न्यायालय हो या सर्वोच्च न्यायालय, जकिया के साथ तीस्ता जावेद की संस्था ‘जस्टिस एंड पीस’ भी रही।

जांच के बाद एसआईटी ने नरेंद्र मोदी समेत अन्य को 2012 में पुख्ता सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इसके खिलाफ जकिया जाफरी ने स्थानीय अदालत के साथ ही गुजरात उच्च न्यायालय में अर्जी लगाई, जो खारिज हो गई। फिर जकिया सर्वोच्च न्यायालय पहुंची। आरोप है कि इस पूरी प्रक्रिया में तीस्ता ने अपने कुछ लोगों के साथ मिलकर झूठे तथ्य गढ़े। इन झूठे तथ्यों के शपथपत्र सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किए गए।

इसका एक ही उद्देश्य था कि कैसे भी नरेंद्र मोदी को फंसाकर तत्कालीन गुजरात सरकार को गिराया जाए। सर्वोच्च न्यायालय में लंबी कानूनी प्रक्रिया चली। 24 जून, 2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने एसआईटी के निर्णय को सही ठहराया। इसके साथ ही तीस्ता जावेद और उसके सहयोगियों की भूमिका के संबंध में गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘…इस तरह के दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों को कठघरे में खड़ा करके कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।’’ 

तीस्ता और उसके साथियों ने कांग्रेस नेता अहमद पटेल से कई बार बात की और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जेल भेजने की साजिश रचने के लिए ब्रह्म भट्ट के माध्यम से 30,00,000 रु. लिए

सर्वोच्च न्यायालय की उपरोक्त टिप्पणी के बाद अमदाबाद पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड, तत्कालीन डीआईजी संजीव भट्ट और आईपीएस अधिकारी आर.बी. श्रीकुमार के विरुद्ध मामला दर्ज किया। इसमें आरोप लगाया गया कि इन तीनों ने एक षड्यंत्र के तहत कुछ लोगों को आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा दिलाने के लिए झूठे साक्ष्य और दस्तावेज गढ़कर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया और निर्दोष लोगों के खिलाफ गलत इरादे से झूठे फौजदारी मुकदमे दर्ज कराए। इसके लिए गलत आंकड़े बनाए गए और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया। यही नहीं, गवाहों को प्रभावित कर तैयार किए गए हलफनामों पर उनके दस्तख्त लिए गए और गवाहों को क्या बोलना है, यह उन्हें सिखाया गया। इस एफआईआर के बाद तीस्ता और अन्य की गिरफ्तारी हुई।

सत्र न्यायालय से जमानत नहीं मिली तो ये लोग उच्च न्यायालय पहुंचे। गुजरात उच्च न्यायालय ने 3 अगस्त, 2022 को इनकी अर्जी पर सुनवाई की और राज्य सरकार को नोटिस भेजा। इसके साथ ही सुनवाई की अगली तारीख 19 सितंबर, 2022 रखी गई। सुनवाई की लंबी अवधि को तीस्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। 2 सितंबर, 2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात उच्च न्यायालय की अंतिम सुनवाई तक तीस्ता को अंतरिम जमानत दे दी। गुजरात उच्च न्यायालय ने इस मामले की अंतिम सुनवाई 1 जुलाई, 2023 को की और इसमें तीस्ता की जमानत रद्द करते हुए उसे तुरंत समर्पण करने को कहा।

तीस्ता ने इस आदेश को उसी दिन सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। शाम को सर्वोच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों ने इस पर सुनवाई की, लेकिन दोनों में जमानत को लेकर मतभिन्नता हो गई। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश के सामने इस मामले को भेजा गया। उन्होंने तीन न्यायाधीशों की एक पीठ बनाकर तुरंत सुनवाई करने का आदेश दिया। रात में ही सुनवाई हुई। महाधिवक्ता तुषार मेहता ने तीस्ता पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए अंतरिम  जमानत का विरोध किया। मगर पीठ ने एक सप्ताह की अंतरिम जमानत मंजूर की और गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को स्थगित कर दिया। 5 जुलाई को फिर इस पर सुनवाई हुई और सर्वोच्च न्यायालय ने 19 जुलाई तक तीस्ता को राहत दे दी।

तीस्ता के कारनामे 

गुजरात उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने तीस्ता के सहयोगी रहे रईस खान और अन्य के हवाले से कहा की कि तीस्ता और उसके साथियों ने कांग्रेस के नेता अहमद पटेल से कई दफा बात की और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जेल भेजने की साजिश रचने के लिए ब्रह्म भट्ट के जरिए 30,00,000 रु. लिए। यह भी कहा गया कि तीस्ता ने कुछ लोगों के साथ मिलकर नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के लिए पत्र-पत्रिकाओं में लेख भी छपवाए।

रईस खान के हवाले से यह भी बताया गया कि तीस्ता ने झूठे गवाह तैयार किए औए इस हेतु झूठे हलफनामे भी बनवाए। इसके बाद रईस खान को धमकियां दी गईं। सनसनी फैलाने के लिए पंचमहाल जिले के पंडरवाडा कब्रिस्तान में गड़े मुर्दे बिना इजाजत के निकाले गए और सरकार को बदनाम करने के लिए इसे मीडिया में प्रचारित किया गया। 2006 में पंचमहाल पुलिस ने कब्रिस्तान में अतिक्रमण, झूठे सबूत गढ़ने और लोगों की मजहबी मान्यताओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में तीस्ता और अन्य 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

यही नहीं, दंगों से प्रभावित लोगों की मदद करने के नाम पर करोड़ों रुपए एकत्र किए गए, लेकिन पीड़ितों को पैसे न देकर तीस्ता ने उस पैसे का निजी कार्यों के लिए उपयोग किया। गुलबर्गा सोसाइटी में एक म्यूजियम बनाने हेतु विदेश से चंदा मिला था, लेकिन तीस्ता और उनके साथियों ने उसे किसी और मद में खर्च किया।

इस आरोप में तीस्ता, उसके पति जावेद और एहसान जाफरी के बेटे तनवीर समेत कुछ अन्य लोगों के विरुद्ध 2014 में आपराधिक विश्वासघात, जालसाजी और धोखाधड़ी करने के आरोप में एक एफआईआर दर्ज हुई थी। इस संबंध में उनके बैंक खाते भी सील किए गए थे। रईस खान ने यह भी आरोप लगाया था कि तीस्ता और उसके पति जावेद ने ‘सबरंग’ एनजीओ के लिए जुटाए गए कोष का दुरुपयोग किया।

तीस्ता ने गुजरात दंगों के बाद मुंबई में ‘जस्टिस एंड पीस’ नाम से एक गैर-सरकारी संगठन बनाया। इसी के माध्यम से वह गुजरात में सक्रिय हुई। इस दौरान वह कथित दंगा पीड़ितों को लेकर दिल्ली भी गई और उन्हें कुछ कांग्रेसी और वामपंथी नेताओं से मिलवाया। उन्हें मीडिया के सामने भी हाजिर किया और उनसे रटवाए गए झूठे तथ्य उगलवाए गए। कथित पीड़ितों को इसके लिए भी उकसाया गया कि वे अपने शपथपत्र में हिंदू संगठनों के नेताओं के नाम अभियुक्त के रूप में लें।

आरोप है कि झूठ बोलने के लिए कथित पीड़ितों को पैसा, मकान, नौकरी और शादी का भी लालच दिया गया। गुजरात उच्च न्यायालय ने अपने 127 पन्नों के फैसले में विस्तार से इन सारी बातों का जिक्र किया है।  कह सकते हैं कि उन दिनों तीस्ता को केंद्र सरकार और कई कांग्रेसी नेताओं का समर्थन था। नरेंद्र मोदी की छवि को खराब करने और उनकी सरकार को गिराने के लिए षड्यंत्र रचने का ‘उपहार’ भी तीस्ता को मिला। तीस्ता को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया और योजना आयोग का सदस्य भी बनाया गया। तीस्ता के लिए बड़े और महंगे वकील हाजिर रहते हैं। इनका पैसा कौन देता है, यह सोचने की बात है।
(लेखक गुजरात उच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं)

Topics: Teesta Javed SetalvadGujarat governmentJaisi Karniमुख्यमंत्री नरेंद्र मोदीVaisi Bharniतीस्ता जावेद सीतलवाडSabarmati Express Trainजैसी करनीRiots in Gujaratवैसी भरनीHindus and Muslimsसाबरमती एक्सप्रेस ट्रेनJustice and Peaceगुजरात में दंगे भड़केहिंदू और मुसलमानसर्वोच्च न्यायालयजस्टिस एंड पीसSupreme CourtChief Minister Narendra Modiगुजरात सरकार
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मोहम्मद सुल्तान, CJI ने कहा– ‘अब नहीं सुनी जाएगी याचिका’

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: शरिया अदालत और फतवे कानूनी रूप से अमान्य

Supreme court Rahul Gandhi Veer Savarkar

राहुल गांधी को SC की फटकार, कहा- याद रहे वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी दिलाई

Himanta Biswa sarma Ramdas Athawale Supporting Nishikant Dubey

वक्फ मामले में निशिकांत दुबे के समर्थन में CM सरमा, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने SC को दी ये नसीहत

UK Transgender vivad

ट्रांसजेंडर अधिकार विवाद: UK के एनएचएस ने सुप्रीम कोर्ट के महिला स्थान नियम को मानने से किया इंकार

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

‘राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं अदालतें’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies