शुरू होने जा रही है शिव गंगा में आस्था विश्वास की कांवड़ यात्रा
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत उत्तराखंड

शुरू होने जा रही है शिव गंगा में आस्था विश्वास की कांवड़ यात्रा

इस साल चार करोड़ कांवड़ियों का हरिद्वार पहुंचने का है अनुमान

by उत्तराखंड ब्यूरो
Jun 27, 2023, 03:40 pm IST
in उत्तराखंड, संस्कृति
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पंकज चौहान

श्रावण मास में कांवड़ यात्रा का बहुत महत्व है, प्रति वर्ष करोड़ों श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए इस पवित्र पावन यात्रा के लिए निकलते हैं और अपने अभीष्ट संकल्पित शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। श्रावण या सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है।

उत्तराखंड की कुंभनगरी हरिद्वार में गंगा जल लेने आने वाले शिव भक्त अपने-अपने शहरों, गांव, कस्बों में कांवड़ लाने की तैयारियों में जुट गए हैं। एक अनुमान के अनुसार इस साल चार करोड़ शिव भक्त कांवड़िए पावन गंगा जल लेने हरिद्वार की तरफ कूच करने वाले हैं। जिनके स्वागत की तैयारियों में राज्य प्रशासन जुट गया है।

श्रावण मास में कांवड़ यात्रा का बहुत महत्व है, प्रति वर्ष करोड़ों श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए इस पवित्र पावन यात्रा के लिए निकलते हैं और अपने अभीष्ट संकल्पित शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। श्रावण या सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है। हिन्दू धर्म साहित्य के अनुसार सम्पूर्ण श्रावण मास भगवान शिव अपनी ससुराल राजा दक्ष की नगरी कनखल, हरिद्वार में निवास करते हैं। भगवान श्री विष्णु के शयन में जाने के कारण तीनों लोक की देखभाल भगवान शिव ही करते हैं। इस प्रचलित धार्मिक कारण से कांवड़ यात्री श्रावण मास में गंगाजल लेने हरिद्वार आते हैं। सावन में करोड़ों कांवड़ यात्री सम्पूर्ण भारत वर्ष से हरिद्वार आते हैं और गंगाजल अपने कांवड़ में भरकर पैदल यात्रा शुरू करते हैं। कांवड़ यात्री अपने कांवड़ में जो जल एकत्रित करते हैं, उस पवित्र जल से श्रावण मास की चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है।

यात्री की सेवा करने का फल भी यात्रा करने के समान है इसलिए उसकी सेवा अवश्य करनी चाहिए। यात्री को व जल पात्र को पूजन या नमस्कार अवश्य करना चाहिए। ऐसा कोई कर्म नहीं करना चाहिए, जिससे कावड़ यात्री को कष्ट या दुःख पहुंचे। यात्रा से व्यक्ति के जीवन में सरलता आकर उसकी संपूर्ण कामनाओं की पूर्ति होती है। यात्रा प्रारंभ करने से पूर्ण होने तक का सफर पैदल ही तय किया जाता है।

कांवड़ यात्रा के संबंध में प्रचलित धार्मिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से जो हलाहल नामक विष निकला था, संपूर्ण जगत कल्याण के लिए भगवान शंकर ने उसे पी लिया था। भयंकर हलाहल विष को पी लेने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला हो गया, जिस कारण भगवान शिव नीलकंठ भी कहलाए। हलाहल विष के नकारात्मक असर ने भगवान नीलकंठ को घेर लिया। भगवान शिव के विष का सेवन करने से दुनिया तो बच गई, लेकिन भगवान शिव का शरीर गर्मी से जलने लगा। हलाहल विष के असर को कम करने के लिए देवी पार्वती समेत सभी देवी-देवताओं ने उन पर पवित्र नदियों का शीतल जल चढ़ाया। तब जाकर भगवान शंकर विष के नकारात्मक प्रभावों से मुक्त हुए। इसी मान्यता के आधार पर कांवड़ यात्रा की शुरूआत हुई।

हिन्दू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार सर्वप्रथम भगवान परशुराम ने कांवड़ यात्रा का शुभारंभ किया था। उन्होंने सर्वप्रथम कांवड़ में जल भरकर पुरा महादेव का गंगाजल से जलाभिषेक किया था। कुछ विद्वानों का मानना है कि श्रवण कुमार सबसे पहले कांवड़ यात्री थे। उन्होंने त्रेतायुग में माता-पिता को कावड़ में बैठाकर पैदल तीर्थ यात्रा की थी। जब श्रवण कुमार अपने माता-पिता को तीर्थ यात्रा करा रहे थे, तब उनके अंधे माता-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा जताई। माता- पिता की इस इच्छा को पूरी करने के बाद श्रवण कुमार लौटते समय अपने साथ गंगाजल ले गए, और भगवान शिव का अभिषेक किया था। यहीं से कावड़ यात्रा की शुरुआत मानी जाती है। माना जाता है कि प्रभु श्रीराम ने भी कावड यात्रा की थी, उन्होंने अपनी कांवड़ में सुल्तानगंज से जल भरा था और बाबाधाम में भगवान शिव का जलाभिषेक किया था। रावण भी महान शिवभक्त था उसने भी कांवड़ में जल भरकर पुरा महादेव का अभिषेक किया था।

कांवड़ की कुछ प्रमुख यात्राएं नर्मदा से महाकाल तक, गंगाजी से नीलकंठ महादेव तक, गंगाजी से बैजनाथ धाम तक, गोदावरी से त्र्यम्बक तक, गंगाजी से केदारेश्वर तक इन प्रमुख स्थानों के अतिरिक्त असंख्य यात्राएं स्थानीय स्तर से प्राचीन समय से की जाती रही हैं।
कांवड़ यात्रा बहुत हिम्मत का काम है, गंगाजल भरने से लेकर उसे शिवलिंग पर अभिषेक करने तक का पूरा सफर भक्त पैदल, नंगे पांव करते हैं। चलते-चलते कई बार पैरों में छाले भी पड़ जाते हैं, लेकिन शिवभक्त हार नहीं मानते हैं।

यात्रा के दौरान किसी भी तरह के नशे या मांसाहार की मनाही होती है। किसी को अपशब्द भी नहीं बोला जाता। स्नान किए बगैर कोई भी भक्त कांवड़ को छूता नहीं है। यात्रा के दौरान कंघा, तेल, साबुन आदि का इस्‍तेमाल नहीं किया जाता है। यात्रा के समय चमड़े की किसी चीज का स्पर्श, गाड़ियों का इस्तेमाल, चारपाई पर बैठना, ये सब कावड़ियों के लिए वर्जित होता है। कांवड़ को किसी पेड़ के नीचे भी नहीं रखते। शिवभक्त अपने पूरे सफर के दौरान बोल बम या जय-जय शिव शंकर महादेव का उच्चारण करते हुए आगे बढ़ते हैं।

कांवड़ की कुछ प्रमुख यात्राएं नर्मदा से महाकाल तक, गंगाजी से नीलकंठ महादेव तक, गंगाजी से बैजनाथ धाम तक, गोदावरी से त्र्यम्बक तक, गंगाजी से केदारेश्वर तक इन प्रमुख स्थानों के अतिरिक्त असंख्य यात्राएं स्थानीय स्तर से प्राचीन समय से की जाती रही हैं। कांवड़ यात्रा बहुत हिम्मत का काम है, गंगाजल भरने से लेकर उसे शिवलिंग पर अभिषेक करने तक का पूरा सफर भक्त पैदल, नंगे पांव करते हैं। चलते-चलते कई बार पैरों में छाले भी पड़ जाते हैं, लेकिन शिवभक्त हार नहीं मानते हैं।

कांवड़ को कंधे से अपने सिर के ऊपर से पार कराना भी गलत माना जाता है। संतान की बाधा व उनके विकास के लिए, मानसिक प्रसन्नता हेतु, मनोरोग के निवारण के लिए, आर्थिक समस्या के समाधान हेतु कावड़ यात्रा शीघ्र व उत्तम फलदायी है। कावड़ यात्रा किसी भी जलस्रोत से किसी भी शिवधाम तक की जाती है। कावड़ यात्रा एक भाविक अनुष्ठान है, जिसमें कर्मकांड के जटिल नियम के स्थान पर भावना की प्रधानता है, जिसके फलस्वरूप इस श्रद्धा कर्म के कारण महादेव की कृपा शीघ्र मिलने की स्थिति बनती है। यह प्रवास कर्म व्यक्ति को स्वयं से, देश से व देशवासियों से परिचित करवाता है।

कांवड़ यात्रा के समय यात्री को सुगमता रहे, इस तरह की मार्ग में व्यवस्था करना चाहिए। यात्राकर्ता को साधारण नहीं समझ करके विशेष भक्त समझकर उसके प्रति सम्मान व आस्था रखनी चाहिए। यात्री की सेवा करने का फल भी यात्रा करने के समान है इसलिए उसकी सेवा अवश्य करनी चाहिए। यात्री को व जल पात्र को पूजन या नमस्कार अवश्य करना चाहिए। ऐसा कोई कर्म नहीं करना चाहिए, जिससे कावड़ यात्री को कष्ट या दुःख पहुंचे। यात्रा से व्यक्ति के जीवन में सरलता आकर उसकी संपूर्ण कामनाओं की पूर्ति होती है। यात्रा प्रारंभ करने से पूर्ण होने तक का सफर पैदल ही तय किया जाता है। इसके पूर्व व पश्चात का सफर वाहन आदि से किया जा सकता है। इस यात्रा के लिए श्रद्धा विश्वास के अतिरिक्त पैदल चलने की आवश्यकता है। यात्रा की दूरी व्यक्ति की आस्था के कारण समाप्त हो जाती है और भक्त की यही आशा शिवजी पर जल अर्पण करते समय रहती है कि यह अवसर जीवन में बार-बार आता रहे, यही वर भगवान भोला भंडारी से सबको प्राप्त हो।

Topics: Preparation for Kanwar Yatraकांवड़ यात्रा की तैयारीHaridwarकांवड़िएKanwariyaउत्तराखंड में कांवड़ यात्राuttarakhand newsकांवड़उत्तराखंड समाचारkanwar yatra in uttarakhandहरिद्वारkanwarकांवड़ यात्राKanwar Yatra
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

pushkar singh dhami

उत्तराखंड : सीएम धामी ने चारधाम और बांधों की सुरक्षा बढ़ाने के दिए निर्देश, अलर्ट मोड पर अधिकारी

गंगनानी में हेलीकॉप्टर क्रैश

ब्रेकिंग न्यूज: गंगनानी में हेलीकॉप्टर क्रैश, 6 लोगों की मौत, एक की हालत गंभीर

हरिद्वार में प्रशासन की बड़ी कार्रवाई : 12 अवैध मदरसे सील, पूरे उत्तराखंड में अब तक 213 बंद

उत्तराखंड में अवैध मदरसे को किया गया सील

5 और अवैध मदरसे सील, उत्तराखंड में 200 से ज्यादा अवैध मदरसों पर हुआ एक्शन

आरोपी

नैनीताल नाबालिग रेप कांड के आरोपी पर मुस्लिम समाज के कड़े फैसले

प्रतीकात्मक तस्वीर

नाबालिग हिन्दू लड़की का क्या हल्द्वानी में हुआ धर्म परिवर्तन? जांच में जुटी पुलिस, तहरीर के बाद आरोपी गिरफ्तार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ओटीटी पर पाकिस्तानी सीरीज बैन

OTT पर पाकिस्तानी कंटेंट पर स्ट्राइक, गाने- वेब सीरीज सब बैन

सुहाना ने इस्लाम त्याग हिंदू रीति-रिवाज से की शादी

घर वापसी: मुस्लिम लड़की ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, शिवम संग लिए सात फेरे

‘ऑपरेशन सिंदूर से रचा नया इतिहास’ : राजनाथ सिंह ने कहा- भारतीय सेनाओं ने दिया अद्भुत शौर्य और पराक्रम का परिचय

उत्तराखंड : केन्द्रीय मंत्री गडकरी से मिले सीएम धामी, सड़कों के लिए बजट देने का किया आग्रह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies