दुनिया के इस भाग में भारत के विकास और तेजी से वैश्विक ताकत के रूप में स्थापित होने को अपने लिए खतरा मान रहा कम्युनिस्ट चीन एक नई भारत विराधी शरारत में लगा है। इस बार उसने भारत विरोध पर सांस ले रहे पाकिस्तान की आड़ में ऐसा करने की ठानी है। विस्तारवादी कम्युनिस्ट चीन वैश्विक आतंकवाद के प्रायोजक पाकिस्तान को लड़ाकू विमान और ड्रोन उपलब्ध करा रहा है बल्कि पता चला है कि वह चीन- पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की ‘रक्षा’ का बहाना लेकर नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटकर बुनियादी ढांचा खड़ा करने के लिए पाकिस्तान की फौज को सहायोग दे रहा है। चीन की मदद से कंगाल और दाने—दाने को मोहताज पाकिस्तान एलओसी पर जमीन के नीचे केबल बिछा रहा है और संचार व्यवस्था जमा रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चीन अपने आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को ‘सुरक्षित’ करने के लिए पीओजेके में नियंत्रण रेखा पर रक्षा इंतजाम पुख्ता कर रहा है। वहां उसकी मदद से पाकिस्तानी सेना सैन्य ढांचा खड़ा कर रही है। पाकिस्तानी कब्जे वाले पीओजेके में जमीन के नीचे सुरक्षित बंकरों का निर्माण चल रहा है। चीन पाकिस्तान की फौज को ड्रोन और लड़ाकू विमान भी मुहैया करा रहा है।
नियंत्रण रेखा पर जमीन के नीचे केबल बिछाने के अलावा दूरसंचार के इंतजाम टावर स्थापित कर रहा है। ताजा जानकारी के अनुसार, जमीन के नीचे सुरंगें बनाने का काम लीपा घाटी में चल रहा है। इन सब चीजों से साफ है कि चीन अपने शागिर्द और पाकिस्तान अपने आका के साथ नजदीकी संबंध बनाए रखने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। जानकारों ने बताया है कि हाल ही में एलओसी के पास कुछ जगहों पर हाउत्जर गन देखी गई हैं।
भारतीय सेना को सीमा पार हो रही इस सैन्य हलचल की जानकारी है और वह अपने सूत्रों से लगातार ताजा हाल लेती रहती है। सूत्रों से ही लीपा घाटी में बन रही सुरंग का पता चला है। पता यह भी चला है कि पीओजेके में चीनी सेना को बनाए रखने के पीछे कम्युनिस्ट चीन द्वारा बनाई जा रही 46 अरब डालर लागत की सीपीईसी परियोजना है। यह परियोजना कराची के ग्वादर बंदरगाह को काराकोरम हाइवे के जरिए चीन के सिंक्यांग प्रांत से जोड़ेगी।
पाकिस्तान को ये गन चीन की नार्थ इंडस्ट्रीज ग्रुप कारपोरेशन लिमिटेड कंपनी से मिली हैं। एक मशहूर रक्षा पत्रिका ‘डिफेंस’ ने बताया है कि ये गन पाकिस्तान को पिछले साल जनवरी से मिलनी शुरू हुई थीं। इसी तरह चीन सैनिक इंजीनियरों के साथ बुनियादी सैन्य ढांचा खड़ा कर रहे हैं।
इधर भारतीय सेना को सीमा पार हो रही इस सैन्य हलचल की जानकारी है और वह अपने सूत्रों से लगातार ताजा हाल लेती रहती है। सूत्रों से ही लीपा घाटी में बन रही सुरंग का पता चला है। पता यह भी चला है कि पीओजेके में चीनी सेना को बनाए रखने के पीछे कम्युनिस्ट चीन द्वारा बनाई जा रही 46 अरब डालर लागत की सीपीईसी परियोजना है। यह परियोजना कराची के ग्वादर बंदरगाह को काराकोरम हाइवे के जरिए चीन के सिंक्यांग प्रांत से जोड़ेगी। बताया यह जा रहा है कि हाइवे हर मौसम में खुला रहे इसलिए चीन के विशेषज्ञ पीओजेके में कुछ सुरंगें बना रहे हैं।
साल 2007 से पाकिस्तान की दूरसंचार कंपनी को चीनी दूरसंचार कंपनी चला रही है। पाकिस्तान में इसने चाइना मोबाइल पाकिस्तान कंपनी के नाम से काम चला रखा है। यह असल में चाइना मोबाइल कम्युनिकेशंस कारपोरेशन की सौ प्रतिशत मालिकाना हक वाली सहायक कंपनी बताई जाती है। दुनिया भर तक अपनी चीजें पहुंचाने को आतुर चीन ने सीपीईसी परियोजना पर साल 2014 में काम शुरू किया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का पाकिस्तान को हथियार देने का विषय इस इलाके में चीन के सुरक्षा हितों को पुख्ता करने से जुड़ा है। शायद इसी योजना के तहत चीन पीओजेके में कई गांव भी तैयार कर रहा है। अपनी जलविद्युत परियोजनाओं तथा अन्य हितों की चौकसी के लिए चीन ने इस क्षेत्र में अपने 36,000 सुरक्षा गार्ड तैनात किए हैं।
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