आपातकाल 25 जून : उन दिनों हमारा घर सत्याग्रह का केंद्र बन गया
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आपातकाल 25 जून : उन दिनों हमारा घर सत्याग्रह का केंद्र बन गया

आपातकाल का एक साल पूरा हुआ तो बाजार से कुछ कैलेंडर खरीदे गये थे। उस पर एक स्थान पर तानाशाह लिखा था और इंदिरा गांधी की तस्वीर लगी हुई थी। ये कैलेंडर पूरे चांदनी चौक में बांटे गये थे।

by WEB DESK
Jun 25, 2023, 07:10 am IST
in भारत, दिल्ली
धर्मवीर शर्मा, दिल्ली

धर्मवीर शर्मा, दिल्ली

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मुझे कल्पना नहीं थी कि पुलिस मुझे ढूंढ रही है। जब मैं कॉलेज के अंदर पहुंचा तो वहां पहले ही सब इंस्पेक्टर और दो अन्य पुलिस वाले सादी वर्दी में बैठे हुए थे

उस समय मैं रामजस कॉलेज में पढ़ता था और छात्र संघ का सचिव था। मेरी उम्र लगभग 19 साल की रही होगी। सुबह मुझे जानकारी हुई कि देश में आपातकाल लग गया है।

12 जुलाई,1975 को कॉलेज में कमेटी की एक बैठक थी। मुझे कल्पना नहीं थी कि पुलिस मुझे ढूंढ रही है। जब मैं कॉलेज के अंदर पहुंचा तो वहां पहले ही सब इंस्पेक्टर और दो अन्य पुलिस वाले सादी वर्दी में बैठे हुए थे।

इस दौरान कैलेंडर बांटते हुए तीन लोग पकड़े गए। जब इन्हें यातनाएं दी गईं और पूछा गया कि ये कैलेंडर कहां से लाए हो तो उन्होंने मेरे घर का पता बता दिया। इसके बाद पुलिस आ धमकी और कई दिन तक पिताजी को खूब प्रताड़ित किया। वे बेहोश तक हो जाते थे। पुलिस उन्हें मारती थी तो वे ‘भारत माता की जय’ बोलते थे।

उन्होंने मुझे हिरासत में ले लिया। इस दौरान एक अन्य साथी को भी गिरफ्तार कर लिया। मुझे रोशनआरा थाने लाया गया। पूरी रात खड़े रखकर पूछताछ की गई। उन दिनों हमारा घर सत्याग्रह का केंद्र बन गया था।

जब आपातकाल का एक साल पूरा हुआ तो बाजार से कुछ कैलेंडर खरीदे गये थे। उस पर एक स्थान पर तानाशाह लिखा था और इंदिरा गांधी की तस्वीर लगी हुई थी। ये कैलेंडर पूरे चांदनी चौक में बांटे गये थे।

इस दौरान कैलेंडर बांटते हुए तीन लोग पकड़े गए। जब इन्हें यातनाएं दी गईं और पूछा गया कि ये कैलेंडर कहां से लाए हो तो उन्होंने मेरे घर का पता बता दिया। इसके बाद पुलिस आ धमकी और कई दिन तक पिताजी को खूब प्रताड़ित किया। वे बेहोश तक हो जाते थे। तब 52 वर्षीय पिताजी पर भी मीसा लगाया गया। पुलिस उन्हें मारती थी तो वे ‘भारत माता की जय’ बोलते थे।

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