भारतीय कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठने वाले बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट समेत 6 पहलवानों को ट्रायल में छूट दे दी गई। इस पर ओलंपिक मेडलिस्ट योगेश्वर दत्त ने नाराजगी जताई है। उन्होंने इसे कुश्ती के लिए काला दिन बताते हुए पूछा कि क्या यही वो वजह थी, जिसको हासिल करने के लिए पहलवान धरना- प्रदर्शन कर रहे थे।
जानकारी के अनुसार बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट समेत 6 पहलवानों को ट्रायल में छूट दी गई है। उन्हें अन्य पहलवानों के विपरीत सिर्फ एक मुकाबला खेलना होगा। यह छूट एशियाई खेलों और विश्व चैंपियनशिप के चयन के लिए दी गई है। इन पहलवानों को दोनों प्रतियोगिताओं की भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए सिर्फ ट्रायल के विजेताओं को हराने की जरूरत होगी। ये लोग 5 से 15 अगस्त के बीच ट्रायल विजेताओं से भिड़ेंगे। यही पहलवानों की माँग रही है और बृजभूषण सिंह से टकराव का एक बड़ा कारण इस छूट का नहीं मिलना था।
पहलवानों में जिन 6 लोगों को छूट दी गई है, उनमें विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, संगीता फोगाट, सत्यव्रत कादियान और जितेंद्र किन्हा शामिल हैं। ये सभी लोग बृजभूषण सिंह के खिलाफ विरोध- प्रदर्शन में शामिल रहे हैं। इस छूट को लेकर ओलंपिक मेडलिस्ट योगेश्वर दत्त ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस फैसले को कुश्ती के लिए काला दिन बताया है। इसके अलावा इंडिया के पूर्व कोच कृपा शंकर ने भी इस फैसले का विरोध किया है।
योगेश्वर दत्त ने कहा, ‘भारतीय ओलिंपिक संघ की एडहॉक कमिटी ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने वाले 6 पहलवानों को ट्रायल में छूट दी है। इनके बस फाइनल ट्रायल होंगे। जो पहलवान इनके वेट कैटेगरी में विजेता होगा, उनके साथ इनकी फाइनल ट्रायल होगी। मुझे नहीं पता कि एडहॉक कमिटी ने इसके लिए क्या मापदंड अपनाए हैं। अगर आपको ऐसे ही ट्रायल लेने हैं तो रवि दहिया है, ओलंपिक का मेडलिस्ट है, दीपक पुनिया है, अंशु मलिक है, सोनम मलिक है और भी बहुत से पहलवान हैं।’
सिर्फ 6 पहलवानों को ट्रायल में छूट देना समझ के बाहर
इसके साथ ही योगेश्वर दत्त ने कहा, ‘सिर्फ यही 6 पहलवानों को ट्रायल में छूट देना मेरी समझ के बाहर है। बिना नियम देखे और बिना क्राइटेरिया बनाए लिया गया यह फैसला गलत है। तो जितने भी पहलवान हैं… लड़कियां हैं… अपनी आवाज जरूर उठाइए। मैं ये नहीं कहता कि धरना कीजिए, प्रदर्शन कीजिए… लेकिन अपनी आवाज मीडिया के माध्यम से उठाइए, आप प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखिए, गृहमंत्री जी को पत्र लिखिए, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर जी को पत्र लिखिए, भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) को पत्र लिखिए।’
कुश्ती के इतिहास में ऐसे फैसले नहीं
उन्होंने यह भी कहा, ‘आज तक के कुश्ती के इतिहास में पिछले फेडरेशन ने भी ऐसे फैसले नहीं किए। बिना ट्रायल के टीम भी भेजी है, लेकिन वो नंबर-वन टीम थी। ट्रायल में छूट भी दी गई है, लेकिन वो सबके लिए नहीं थी। जो आउटस्टैंडिंग पहलवान थे, उनके लिए थी। ये पहलवान मैच से एक डेढ़ साल से दूर रहे हैं। यह फैसला भारतीय ओलिंपिक संघ का तानाशाही वाला फैसला है।’
खाप और किसान संगठन जरूर देखें यह फैसला
योगेश्वर दत्त ने इस फैसले को लेकर खाप और किसान संगठनों से कहा, ‘जितने भी खाप पंचायतें और उनके प्रतिनिधि हैं और किसान संगठन हैं, उनसे भी मेरा आग्रह है कि आप भी एक बार इस फैसले को जरूर देखिए, क्योंकि इस आंदोलन में आपने बहुत बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। ये फैसला किसके लिए अच्छा है और किसके लिए बुरा है? मेरा मानना है कि कि कुश्ती के लिए तो यह बिल्कुल भी अच्छा फैसला नहीं है। मुझे पता चला कि इसके लिए पहलवानों ने एडहॉक कमिटी को चिट्ठी लिखी थी कि उन्हें छूट दी जाए।’
पूर्व कोच ने भी उठाए सवाल
इसके अलावा पूर्व कोच कृपा शंकर ने भी भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) की एडहॉक कमिटी के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, ‘आखिर मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि खेल मंत्रालय, भारत सरकार और IOA की एडहॉक कमिटी की वो कौन सी दुखती रग है, जिसे इन पहलवानों ने पकड़ रखा है।’ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एडहॉक समिति के प्रमुख भूपेंद्र सिंह बाजवा ने बीते 16 जून को पहलवानों को इस फैसले की जानकारी पत्र के माध्यम से दी है।
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