आपातकाल का दौर बहुत भयावह था। रातोंरात लोगों को पकड़ कर जेल में ठूंसा जा रहा था।
आपातकाल का दौर बहुत भयावह था। रातोंरात लोगों को पकड़ कर जेल में ठूंसा जा रहा था। मुझसे कहा गया कि आप जहां रुके हैं, वहां से कहीं भूमिगत हो जाएं, क्योंकि आपके नाम भी वारंट जारी हो चुका है। दिल्ली पुलिस आपको पकड़ने के लिए निकल चुकी है। लेकिन मैं वहीं रहा, कहीं नहीं गया।
पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर लिया। वहां से मुझे दिल्ली लाया गया और जेल में डाल दिया गया। उन दिनों हमने बहुत सी जेलें देखीं। दिल्ली, अंबाला, पानीपत, चंडीगढ़ इत्यादि जेलों में रहना हुआ। सभी जेलों के अलग-अलग कष्टप्रद अनुभव रहे।
जेलों में कैदियों को अधिक से अधिक कष्ट दिया जाए, इसका प्रयास किया जाता था। जेल में पीने के पानी से लेकर खाना तक नहीं मिलता था। कांग्रेसी बहुत से लोगों से माफी मंगवाना चाहते थे। परंतु इसमें वे ज्यादा सफल नहीं हुए।
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