देहरादून। श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में लव जिहाद की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पुरोला, उत्तरकाशी, विकासनगर, उधम सिंह नगर की घटनाओं के सामने आने के बाद स्थानीय लोगों की तीखी प्रतिक्रिया हुई। जन आंदोलन भी हुआ, बावजूद इसके कट्टरपंथी मुस्लिम युवकों ही हरकतें कम नहीं हुईं।
ताजा घटनाक्रम में श्रीनगर गढ़वाल में बीते दिन पुलिस ने एक तहरीर के आधार पर मुजीब खान और उसके अब्बा बाबू खान को धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के तहत गिरफ्तार कर मुख्य न्यायिक अदालत में पेश कर जेल भेज दिया। कोतवाल रवि सैनी के मुताबिक एक लड़की और परिजनों द्वारा दी गई तहरीर में बताया गया कि मुजीब ने उसकी सहेली के जरिए उसे हिंदू नाम से प्रेमजाल में फंसाया। कुछ दिन पहले उक्त दोनों आरोपी उससे मिले और निकाह के लिए इस्लाम अपनाने का दबाव डालने लगे, तब उसे पता चला कि वह मुस्लिम है। युवती के मुताबिक पहले वह हिंदुओं की तरह हाथ में कलावा पहनता था। कभी-कभी तिलक भी लगाता था। जानकारी के मुताबिक पहले पुलिस इस मामले को लिखने में आनाकानी करती रही। पीड़ित पक्ष ने एसएसपी से जब संपर्क किया तब मामला दर्ज किया गया। मामले की जांच महिला उपनिरीक्षक प्रवीणा सिंदौला को दी गई है।
हरिद्वार में युवती पर इस्लाम कबूल करने का डाल रहा दबाव
हरिद्वार में एक युवती द्वारा पिरान कलियर क्षेत्र के रहने वाले सरताज पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने सोनू बनकर उसका शारीरिक शोषण किया। वीडियो बनाकर अब इस्लाम कबून करने के लिए दबाव डाल रहा है। आरोपी और पीड़ित दोनों सिडकुल की एक फैक्ट्री में काम करते हैं। इस मामले में थाना प्रभारी नरेश गौड़ ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज कर आरोपी की तलाश की जा रही है।
रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी
उत्तराखंड में पुरोला की घटना के बाद कुछ ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि पुलिस ऐसे मामले दर्ज करने में भी कतरा रही है। पछुवा देहरादून में विकास नगर सहसपुर हरबर्टपुर ढकरानी में स्थानीय लोगों की शिकायत है कि ऐसे मामलो में पुलिस समझौतावादी रुख अपना रही है। ऐसा क्यों किया जा रहा है? इसके पीछे भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं। उत्तराखंड में लव जिहाद की घटनाएं बढ़ रही हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कई बार कह चुके हैं कि ऐसे मामले सहन नहीं होंगे और सख्त कानून में दर्ज किए जाएंगे। पुरोला की घटना के बाद जन आंदोलन में मुस्लिम उलेमा और नेता ने शोर भी मचाया, लेकिन उनकी तरफ से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बयान बयान जारी नहीं हुए। इससे मुस्लिम कट्टरपंथियों का दुस्साहस और बढ़ रहा है।
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