हल्द्वानी। उत्तराखंड में करीब ढाई हजार एकड़ वन भूमि को पिछले कुछ दिनों में अवैध कब्जों से मुक्त करवाया गया है और अभी तीन हजार हेक्टेयर वन भूमि को अभी अतिक्रमण से मुक्त करवाया जाना है। यह बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते दिन संवाद कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने ये भी कहा कि अतिक्रमण हटाओ अभियान जारी रहेगा। हालांकि सीएम धामी की घोषणा के बावजूद क्या वन विभाग का अतिक्रमण हटाओ अभियान सुस्त हो गया है? क्या वन विभाग या शासन में बैठी नौकरशाही इस अभियान को दबाना चाहती है? या कोई राजनीतिक दबाव अतिक्रमण हटाओ अभियान को प्रभावित कर रहा है? ऐसे कई सवाल चर्चा में हैं।
बड़ा सवाल ये है कि आखिर वन विभाग की जमीन पर इतने बड़े पैमाने पर लोगों ने कब्जे किए तो कैसे? कौन इसका जिम्मेदार है? इस बात की जांच भी क्या अंदरूनी तौर पर की जा रही है, जिसकी वजह से विभाग में बेचैनी है? मुस्लिम गुज्जर ने वन विभाग की सैकड़ों हेक्टेयर जमीन आखिरकार किसके संरक्षण में सालों से कब्जाई हुई है? इन्हें कब्जे से मुक्त कराने में आज से पहले तैनात डीएफओ ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या उन्हें कोई राजनीतिक दबाव था या फिर भ्रष्टाचार ने उन्हें प्रलोभन दिया हुआ था?
तराई फॉरेस्ट, रामनगर, हरिद्वार, कोटद्वार, ऋषिकेश फॉरेस्ट डिविजन में मुस्लिम गुज्जरों को कैसे वन भूमि पर अतिक्रमण करने दिया गया? इस सवाल का जवाब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी वन विभाग से चाहते हैं, जिसके बाद विभाग में खौफ और हलचल दोनों देखने में आ रही है। माना जा रहा है कि इस मामले की जांच अंदरूनी तौर पर शुरू हो गई है। ऐसी जानकारी भी आई है कि इस अतिक्रमण अभियान को रोकने के लिए या ठंडा करने के लिए वन विभाग और शासन के कुछ भ्रष्ट अधिकारी लामबंद होकर काम कर रहे हैं ताकि मुख्यमंत्री धामी की गाज कहीं इनपर न गिर जाए।
स्मरण रहे कि पूर्व में जब वन विभाग में अतिक्रमण को लेकर जब डीएफओ स्तर से जानकारियां मुख्यमंत्री कार्यालय से मांगी गई थी तब कई महत्वपूर्ण सूचनाएं छुपा ली गई थीं और वहां सालों पुराने गोट खत्तों की सूचनाएं भेज दी गई, जबकि बड़े-बड़े कब्जेदारों की सूचनाएं छुपा ली गई। जिसपर मुख्यमंत्री धामी ने कड़ी नाराजगी जाहिर की अब जब उन्होंने अन्य स्रोतों से जानकारी एकत्र की तो वन विभाग के आला अधिकारियों में बेचैनी बढ़ने लगी है।
मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि अतिक्रमण हटाने के लिए वन विभाग गंभीरता से काम करे क्योंकि इसकी वजह से डेमोग्राफी बदल रही है। क्योंकि राज्य में 70 प्रतिशत वन क्षेत्र है, जहां अवैध रूप से हजारों लोग बसे हुए हैं। बावजूद इसके वन विभाग कभी फोर्स न होने, कभी जिले में गठित टास्क फोर्स के सहयोग नहीं करने, कभी राजनीतिक कारणों से तो कभी अन्य बहाने देकर अतिक्रमण हटाओ अभियान की गति को सुस्त कर रहा है।
क्या कहते हैं मुख्यमंत्री धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि वन विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी समझें और अवैध रूप से कब्जे किए लोगों को तत्काल हटाएं। इसमें कोई सिफारिश नहीं सुनी जाएगी। लापरवाह और दोषी अधिकारियों की भी सूची बनाई जा रही है।
क्या कहते हैं नोडल अधिकारी डॉ.धकाते
वन विभाग में सरकार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी डॉ पराग धकाते से जब पूछा गया कि अतिक्रमण हटाओ अभियान क्यों सुस्त पड़ गया तो उन्होंने इसका खंडन किया और कहा कि अभियान जारी है, पिछले दिनों अतिक्रमण चिन्हीकरण की प्रक्रिया हर डिवीजन में चल रही थी कि किसे प्राथमिकता के आधार पर हटाया जाएगा। प्रशासनिक तालमेल के बाद अब ये अभियान पुनः अपनी गति पर आ जाएगा। मुख्यमंत्री बराबर इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
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