भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इस्लाम से जुड़ा एक लैंड जिहाद का मामला अधिकारियों की नाक के नीचे होता हुआ प्रकाश में आया था। शहर की बेशकीमती जमीन पर पहले कच्ची फिर पक्की मजार बनाकर जमीन पर कब्जा किया जा रहा था। कुछ जागरुक नागरिकों द्वारा इस मामले को उठाया गया। इसके बाद खुशीलाल आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रबंधन ने भी इसकी शिकायत प्रशासन से की थी। तब जाकर जिला प्रशासन हरकत में आया और कलियासोत डैम के किनारे के पास किए गए इस अवैध निर्माण को तोड़ा गया।
उल्लेखनीय है कि यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी इस पूरे परिसर में इसी प्रकार के निर्माण की कोशिश की गई थी, जिसे तत्कालीन समय में तोड़ा गया था। इस बार भी जागरुक नागरिकों के कारण से इसे तोड़ा जा सका है। हालांकि यह निर्माण किसने किया है यह पता नहीं चल सका। लेकिन अवैध निर्माण को लेकर भोपाल कलेक्टर को शिकायत की गई थी, जिस पर एक्शन लेते हुए यहां उन्होंने एक जांच टीम भेजी। टीम को कलियासोत डैम के किनारे सीमेंट से बने हुए चबूतरे मिले। जांच में पाया गया कि अंदर से यह सभी खाली हैं, चूना, पत्थर, मिट्ठी और सीमेंट से तैयार किया गया है। यहां पास-पास में बनी ऐसी 6 मजारों का होना सामने आया था। इतना ही नहीं खुशीलाल आयुर्वेदिक महाविद्यालय के पास लगे घने जंगल के बीच मजार तक जाने के लिए पक्का रास्ता भी बना लिया गया था। जिसे की अब पूरी तरह से उखाड़ दिया गया है।
इस संबंध में भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग का कहना है कि मध्य प्रदेश में जो भी निर्माण नियम विरुद्ध और कानून के खिलाफ होगा, वह कभी मान्य नहीं है। इस मामले में भी नियमानुसार कार्रवाई होगी। वहीं भोपाल की हुजूर विधानसभा सीट से विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि यहां सरकारी जमीन पर कब्जे के लिए यह निर्माण किया जा रहा था। ऐसे कब्जे बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। इसी प्रकार अन्य तमाम नेताओं की भी इस मामले को लेकर प्रतिक्रिया आई है।
एसडीएम टीटीनगर संतोष बिटोलिया का इस संबंध में कहना है कि खुशीलाल आयुर्वेदिक संस्थान के पास अवैध मजार पाई गईं, इन्हें यहां किसने बनवाया, इसका पता लगाने का प्रयास हुआ तो तत्काल में कोई सामने नहीं आया। ऐसे में जब प्रशासन को अतिक्रमणकारियों का पता लगा तो अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सुनिश्चित की गई। अब पता लगाया जा रहा है कि आखिर इसे बनाने वाले कौन लोग हैं।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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