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गंगा जमुना स्कूल : हिन्दू बच्चे कलमा सुनाकर बता रहे स्कूल के अंदर का सच !

कन्वर्जन की मानसिकता बना देने के ये खुलासे हैरान कर देनेवाले हैं, हिजाब, नमाज, कलमा के आगे, कई एकड़ जमीन, अकूत संपत्‍ति, भारत के नक्‍शे से छेड़छाड़ का अब तक हुआ है खुलासा, टेरर फंडिंग का एंगल भी आया है सामने

by डॉ. मयंक चतुर्वेदी
Jun 8, 2023, 12:22 am IST
in भारत, मध्य प्रदेश
गंगा जमुना स्कूल का पोस्टर

गंगा जमुना स्कूल का पोस्टर

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भोपाल। बच्चे भोले होते हैं, मन के सच्चे होते हैं, उन्हें नहीं मालूम होता कि जिस स्कूल में वह शिक्षा लेने जा रहे हैं वहां जो वे कर रहे हैं वह सामाजिक जीवन में कितना सही और कितना गलत है। वे रोज वही कर रहे होते हैं जो उनसे उनके शिक्षक करवाते हैं। कई बार ऐसे में परिवार भी भ्रम में रहते हैं कि उनके बच्चे जिस स्कूल में जाते हैं, उसका बड़ा नाम है और इसलिए बच्चे भी आनेवाले समय में बड़ा नाम कमाएंगे। लेकिन जरूरी नहीं कि माता-पिता जो सोच रहे हैं, वह भविष्य में सच ही हो। मध्य प्रदेश के दमोह में शिक्षा की आड़ में कन्वर्जन एवं इस्लाम की शिक्षा दे रहा ”गंगा जमुना स्कूल” तो यही संकेत दे रहा है।

इस स्कूल में हिंदू लड़कियों को हिजाब पहनाने से जिस विवाद की शुरुआत हुई, उसके बाद से खुलासे रुकने का नाम ही नहीं ले रहे। शासन ने स्कूल की मान्यता रद्द कर दी है। प्रबंधक, संचालकों पर एफआईआर दर्ज की गई है, किंतु एक के बाद एक कई नए मामले सामने आ रहे हैं।

केजी फर्स्ट के बच्चों को पढ़ाया जा रहा था ”5 पिलर्स ऑफ इस्लाम”

गंगा जमुना स्कूल की पढ़ाई बहुसंख्यक हिन्दू समाज के बच्चों को ही नहीं, अन्‍य गैर मुसलमानों को अपने परिवारिक संस्कारों से दूर कर इस्लाम के लिए प्रेरित कर रही थी। स्कूल में सैकड़ों बच्चे हैं, जिन्हें अल्पसंख्यक संस्थान में पढ़ाई कराने के नाम पर वह सब सिखाया और पढ़ाया जा रहा था जोकि आपत्तिजनक की श्रेणी में आता है। केजी फर्स्ट के बच्चों को ”5 पिलर्स ऑफ इस्लाम” पढ़ाया जा रहा था।

हिंदू लड़कियों के एडमिशन फॉर्म पर हिजाब वाला पासपोर्ट फोटो लगाना अनिवार्य था और तो और यहां खुलेआम हिन्दू बच्चों को ”कलमा” पढ़ाया जा रहा था। इनके लिए भी शुक्रवार की नमाज करना जरूरी था। वहीं, भारत के नक्शे से छेड़छाड़ करते हुए आधा भारत को ही ग़ायब कर दिया गया है।

भोले-भाले बच्चे समझ रहे थे कि वह तो प्रार्थना कर रहे हैं, लेकिन प्रार्थना की आड़ में कैसे मनोवैज्ञानिक रूप से अबोध बालकों के मन परिवर्तित करने का यहां सिलसिला चल रहा था, वह न तो बच्चे समझ पा रहे थे और न ही अभिभावक। किंतु अब जो साक्ष्य राज्य बाल आयोग के माध्यम से सभी के सामने आए हैं, वह सभी को चौंका रहे हैं।

यहां कक्षा छह में पढ़नेवाली एक बच्ची ने बताया कि स्कूल में उसे जो प्रार्थना याद कराई गई है, वह कुछ इस प्रकार से है – ”ला इलाहा इलल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहि…अशहदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह दहु ला शरी-क लहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु…सुब्हानल्लाही वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इलल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौल वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अज़ीम…ला इलाह इल्लल्लाहु वह्दहु ला शरीक लहू लहुल मुल्कू व लहुल हम्दु युहयी व युमीतु वहुवा हय्युल ला यमूतु अबदन अबदा ज़ूल जलालि वल इकराम बियदिहि-हिल खैर वहुवा अला कुल्ली शैइन क़दीर…अस्तग़फिरुल्लाहा रब्बी मिन कुल्ली ज़म्बिन अज्नब्तुहू अमदन अव खता अन सिर्रन अव अलानियतन व अतूबू इलैह मिनज़ ज़म्बिल लज़ी आलमु व मिनज़ ज़म्बिल लज़ी ला आलमु इन्नका अंता अल्लामुल गूयूबी व सत्तारिल उयूबी व गफ्फारिज़ ज़ुनूबी वला हौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यिल अज़ीम…अल्लाहुम्मा इन्नी ऊज़ुबिका मिन अन उशरिका बिका शय अव व अना आलमु बिही व अस्ताग्फिरुका लिमा ला आलमु बिही तुब्तु अन्हु व तबर्रअतू मिनल कुफरी वश शिरकी वल किज्बी वल गीबती वल बिदअति वन नमीमति वल फवाहिशी वल बुहतानी वल मआसी कुल्लिहा व अस्लमतु व अकूलू ला इलाहा इल्ललाहू मुहम्मदुर रसूलुल लाह…। तमाम तारीफें अल्‍लाह ताला के लिए हैं जो तमाम जहानों को पालनेवाला है, निहायती रहम करनेवाला है। जो इंसान के दिल का मालिक है। ऐ अल्‍लाह हम तेरी इनायत करते हैं, हम तुझी से मदद चाहते हैं।”

अब इसके बारे में किसी मुसलमान से पूछा जाए तो वह बता देगा कि यह ”कलमा” है, वह भी एक नहीं छह कलमों को एक साथ बोला गया है।

इसका अर्थ भी हम सभी को जान लेना चाहिए –
पहला कलमा तय्यब तर्जुमा- जिसमें कहा गया….
لَآ اِلٰهَ اِلَّااللهُ مُحَمَّدٌ رَّسُولُ اللہِ
”ला इलाहा इलल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहि”
”अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल है।”
दूसरा कलमा शहादत
اَشْهَدُ اَنْ لَّآ اِلٰهَ اِلَّا اللهُ وَحْدَہٗ لَاشَرِيْكَ لَہٗ وَاَشْهَدُ اَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهٗ وَرَسُولُہٗ
”अशहदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह दहु ला शरी-क लहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु”
”मैं गवाही देता हुँ के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं और मैं गवाही देता हुँ के हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है।”
तीसरा कलमा तमजीद
سُبْحَان اللهِ وَالْحَمْدُلِلّهِ وَلا إِلهَ إِلّااللّهُ وَاللّهُ أكْبَرُ وَلا حَوْلَ وَلاَ قُوَّةَ إِلَّا بِاللّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيْم
”सुब्हानल्लाही वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इलल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौल वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अज़ीम”
”अल्लाह की ज़ात हर ऐब से पाक है और तमाम तारीफे अल्लाह ही के लिए है। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और अल्लाह सबसे बड़ा है और किसी में ना तो ताकत है न बल, ताकत और बल तो अल्लाह ही में है, जो बहुत मेहरबान निहायत रेहम वाला है।”
चौथा कलमा तौहीद
لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللهُ وَحْدَهٗ لَا شَرِيْكَ لَهٗ لَهُ الْمُلْكُ وَ لَهُ الْحَمْدُ يُحْىٖ وَ يُمِيْتُ وَ هُوَحَیٌّ لَّا يَمُوْتُ اَبَدًا اَبَدًاؕ ذُو الْجَلَالِ وَالْاِكْرَامِؕ بِيَدِهِ الْخَيْرُؕ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شیْ قَدِیْرٌؕ
”ला इलाह इल्लल्लाहु वह्दहु ला शरीक लहू लहुल मुल्कू व लहुल हम्दु युहयी व युमीतु वहुवा हय्युल ला यमूतु अबदन अबदा ज़ूल जलालि वल इकराम बियदिहि-हिल खैर वहुवा अला कुल्ली शैइन क़दीर”
”अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, वह एक है और उसका कोई साझीदार नहीं, सबकुछ उसी का है और सारी तारीफ़ें उसी अल्लाह के लिए है। वही ज़िंदा करता है और वही मारता है और वोह मौत से पाक है। वोह बड़े जलाल और बुजुर्गी वाला है। अल्लाह के हाथ में हर तरह की भलाई है और वोह हर चीज़ पर क़ादिर है।”

पांचवाँ कलमा इस्तिग़फ़ार
اَسْتَغْفِرُ اللهِ رَبِّىْ مِنْ كُلِِّ ذَنْۢبٍ اَذْنَبْتُهٗ عَمَدًا اَوْ خَطَا ًٔ سِرًّا اَوْ عَلَانِيَةً وَّاَتُوْبُ اِلَيْهِ مِنَ الذَّنْۢبِ الَّذِیْٓ اَعْلَمُ وَ مِنَ الذَّنْۢبِ الَّذِىْ لَآ اَعْلَمُ اِنَّكَ اَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوْبِ وَ سَتَّارُ الْعُيُوْبِ و َغَفَّارُ الذُّنُوْبِ وَ لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللهِ الْعَلِىِِّ الْعَظِيْمِؕ‎
”अस्तग़फिरुल्लाहा रब्बी मिन कुल्ली ज़म्बिन अज्नब्तुहू अमदन अव खता अन सिर्रन अव अलानियतन व अतूबू इलैह मिनज़ ज़म्बिल लज़ी आलमु व मिनज़ ज़म्बिल लज़ी ला आलमु इन्नका अंता अल्लामुल गूयूबी व सत्तारिल उयूबी व गफ्फारिज़ ज़ुनूबी वला हौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यिल अज़ीम।”

”मै अपने परवरदिगार (अल्लाह) से अपने तमाम गुनाहो की माफ़ी मांगता हुँ जो मैंने जान-बूझकर किये या भूल-चूक मे किये, छिप कर किये या खुल्लम-खुल्ला किये और तौबा करता हूँ मैं उस गुनाह से, जो मैं जनता हूँ और उस गुनाह से भी जो मैं नहीं जानता. या अल्लाह बेशक़ तू गैब कि बाते जानने वाला है और ऐबों को छिपाने वाला है और गुनाहो को बख्शने वाला है | (हम मे) गुनाहो से बचने और नेकी करने की ताक़त नहीं अल्लाह के बगैर जो के बोहोत बुलंदी वाला है।”

इसके साथ ही इस प्रार्थना का अंतिम कलाम छठवां कलमा रद्दे कुफ्र है –
اَ للّٰهُمَّ اِنِّیْٓ اَعُوْذُ بِكَ مِنْ اَنْ اُشْرِكَ بِكَ شَيْئًا وَّاَنَآ اَعْلَمُ بِهٖ وَ اَسْتَغْفِرُكَ لِمَا لَآ اَعْلَمُ بِهٖ تُبْتُ عَنْهُ وَ تَبَرَّأْتُ مِنَ الْكُفْرِ وَ الشِّرْكِ وَ الْكِذْبِ وَ الْغِيْبَةِ وَ لْبِدْعَةِ وَالنَّمِيْمَةِ وَ الْفَوَاحِشِ وَ الْبُهْتَانِ وَ الْمَعَاصِىْ كُلِِّهَا وَ اَسْلَمْتُ وَ اَقُوْلُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللهُ مُحَمَّدٌ رَّسُوْلُ اللهِؕ‎

”अल्लाहुम्मा इन्नी ऊज़ुबिका मिन अन उशरिका बिका शय अव व अना आलमु बिही व अस्ताग्फिरुका लिमा ला आलमु बिही तुब्तु अन्हु व तबर्रअतू मिनल कुफरी वश शिरकी वल किज्बी वल गीबती वल बिदअति वन नमीमति वल फवाहिशी वल बुहतानी वल मआसी कुल्लिहा व अस्लमतु व अकूलू ला इलाहा इल्ललाहू मुहम्मदुर रसूलुल लाह।”

जिसका कि अर्थ हुआ, ”ऐ अल्लाह में तेरी पन्हा मांगता हूँ इस बात से के में किसी शेय को तेरा शरीक बनाऊ जान बूझ कर और बख्शीश मांगता हूँ तुझ से इस (शिर्क) की जिसको में नहीं जानता और मेने इससे तौबा की और बेज़ार हुआ कुफ्र से और शिर्क से और झूट से और ग़ीबत से और बिदअत से और चुगली से और बेहयाओं से और बोहतान से और तमाम गुनाहो से और में इस्लाम लाया और में कहता हूँ के अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं और हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल है।”

केवल ”अल्लाह” की इबादत करने की बात

इसकी इस पंक्तियों पर गहराई से जोर डालिए, ”मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको, नेक जो राह हो उस राह पे चलाना मुझ को”। अब इन पंक्तियों की तुलना कुरान की इन आयतों से करिए: 1.6 और 7 ”हमें सीधा रास्ता दिखा। उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने फ़ज़्ल किया। उनका नहीं जिन पर तेरा गज़ब हुआ और न उन लोगों का जो रास्ते से भटक गए।” आयात 1.5 पढ़ने से भी यह पूरी तरह समझा जा सकता है कि यह अल्लाह को मानने और केवल और केवल उसी की इबादत से संबंधित है। 1.5 ”हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद चाहते हैं।”

कई मौलानाओं ने इसे लेकर साफ कहा है कि यहाँ अर्थ यह है कि हम किसी भी और की इबादत नहीं करते। यह केवल ”अल्लाह” की इबादत करने की बात है, साथ ही किसी की भी इबादत करने की मनाही भी है। इस अर्थ में यहां सिर्फ अल्लाह की ही इबादत मान्य है। और ये कौन हैं जिन पर गज़ब हुआ अल्लाह का? तो मौलानाओं के अनुसार वे लोग जो अल्लाह के अलावा किसी और की इबादत करते हैं । इस तरह से यह आखिरी पंक्तियां सिर्फ और सिर्फ अल्लाह को, और किसी को भी नहीं, मानने से संबंधित हैं ।

देश की संप्रभुता को भी चुनौती दे रहा है स्‍कूल !

स्कूल में देश के नक्शे के साथ छेड़छाड़ की गई है। नक्शे को आधा हरा दिखाना और ऊपर से उसके भाग को गायब कर देना, यह बताने के लिए यहां पर्याप्त है कि इस स्कूल प्रशासन के मंसूबे बिल्‍कुल भी ठीक नहीं हैं। इस मामले को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने गंभीरता से लिया है और सरकार को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश देने की बात कही है। उन्‍होंने कहा है कि ‘दमोह, मध्यप्रदेश में जिस स्कूल में हिंदू बच्चों को हिजाब पहनाने व इस्लामिक शिक्षा दिए जाने तथा धर्मांतरण का प्रयास किए जाने के मामले में जाँच चल रही है यह उसका प्रतीक चिन्ह (लोगो) है जिसमें भारत के नक़्शे के साथ छेड़छाड़ करके आधा भारत ही ग़ायब कर दिया गया है। यही नहीं इसके मालिक के सभी अन्य व्यावसायिक संस्थानों में यही नक़्शा प्रतीक चिन्ह (लोगो) की तरह उपयोग किया जा रहा है। शैक्षणिक संस्थान द्वारा हमारे संप्रभु राष्ट्र भारत के नक़्शे के साथ इस प्रकार की छेड़खानी क़तई सहन नहीं की जाएगी। इसको एनसीपीसीआर ने बेहद गम्भीरता से लिया है।’

कलेक्‍टर को भेजा नोटिस, दिए नए निर्देश

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा है कि ”इस मामले में कलेक्‍टर दमोह को नया नोटिस जारी किया गया है, जिसमें ज़िला प्रशासन द्वारा दर्ज एफआईआर में बच्चों के बयान के आधार पर मध्यप्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम,राष्ट्र के मानचित्र के साथ छेड़खानी एवं संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन की धाराएँ बढ़ाने तथा स्कूल के अस्थाई निलम्बन के स्थान पर स्थाई रूप से मान्यता समाप्त करने के लिए कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।”

मध्‍य प्रदेश सरकार करेगी कठोर से कठोर कार्रवाई – मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

इस विद्यालय को लेकर जैसे-जैसे समय बीतने के साथ जांच आगे बढ़ रही है, खुलासे हर रोज नए हो रहे हैं। अब इसका टेरर फंडिंग से जुड़े होने की जानकारी सामने आ रही है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा, ”दमोह के गंगा जमुना स्कूल से सामने आए मामले पर उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं, मध्यप्रदेश की धरती पर कोई भी किसी बेटी या बच्चे को हिजाब बांधने या अलग ड्रेस पहनने पर विवश नहीं कर सकता। इसके लिए हम कठोर से कठोर कार्रवाई करेंगे।”

टेरर फंडिंग से जुड़ी जानकारी सामने आने पर गृहमंत्री ने कहा-

मध्‍यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने दमोह में टेरर फंडिंग से जुड़ी जानकारी सामने आने पर कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात कही है। डॉ. मिश्रा ने कहा कि दमोह की गंगा जमुना स्कूल के संबंध में पुलिस को निर्देश दिए हैं कि प्रथम दृष्टया जो जानकारी आई है उस पर आज ही प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही करें। इस प्रकार की सोच रखने वालों को मध्य प्रदेश में नेस्तनाबूद कर दिया जाएगा। दमोह स्कूल केस में पीएफआई से संबंध या टेरर फंडिंग की जानकारी पर भी कार्यवाही की जाएगी।

राज्‍य के गृहमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा का कहना यह भी है कि जो भारत के नक्शे में छेड़छाड़ का मामला आया है उस संबंध में भी जांच की जाएगी। इसके साथ ही स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार द्वारा पूरे मामले में दमोह कलेक्टर की भूमिका संदिग्ध बताए जाने पर गृहमंत्री ने कहा कि मैं उनसे बात करुंगा और जानकारी लूंगा।

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