नैनीताल। उत्तराखंड के चार मैदानी जिलों में रह रहे बाहरी व्यक्तियों को कड़ी सत्यापन प्रक्रिया से गुजरना होगा। नैनीताल पुलिस ने ये प्रक्रिया अब तेज कर दी है। जिसके तहत यहां काम के सिलसिले में आए श्रमिक, वेंडर, मैकेनिक को अपने मूल क्षेत्र के पुलिस थाने से वेरिफिकेशन करवा कर लाना होगा।
एसएसपी पंकज भट्ट के मुताबिक शासन के निर्देशों के तहत जिले भर में रहने वाले अप्रवासी लोगों को अपने मूल स्थान से सत्यापन स्वयं करवाकर लाना होगा। इसके लिए उन्हें एक फार्म उपलब्ध करवाया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक ये लोग ग्राम प्रधान अथवा पार्षद के द्वारा सत्यापन करवा कर यहां आ रहे थे, किंतु अब उन्हें पुलिस थाने का वेरिफिकेशन लाना जरूरी कर दिया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि बहुत से आपराधिक प्रवृत्ति के लोग यहां आकर काम करने के बहाने बस रहे हैं। जिले में अपराध का आंकड़ा न बढ़ने पाए, इसलिए यह प्रक्रिया शुरू की गई है।
जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड पुलिस ने पूरे राज्य में सत्यापन की यही प्रक्रिया अपनाने का निर्णय लिया है। नैनीताल पुलिस अचानक सुबह या शाम को श्रमिक बस्तियों में जाती है और घर-घर जाकर सत्यापन की प्रक्रिया शुरू कर देती है। इस दौरान किसी भी व्यक्ति को पुलिस के घेरे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जाती।
डीजीपी अशोक कुमार कहते हैं कि बाहरी लोगों का सत्यापन कराने के लिए पहले कई प्रयास हुए और जिसका सत्यापन होना है उसकी सूचना उत्तराखंड पुलिस द्वारा उसके मूल स्थल की पुलिस थाने से मांगी जाती थी। किंतु अधिकांश मामलों में कोई जवाब नही आता था ऐसे में अब यहां काम करने वालो को खुद सत्यापन करवा कर लाना होगा। यहां पुलिस थाने में उसे लाकर जमा कराना होगा और इसकी रिसीविंग प्रति वे अपने पास रखेंगे। पुलिस के इस अभियान से नैनीताल जिले में हड़कंप मचा हुआ है और यहां बाहर से आए श्रमिक, प्लंबर, मिस्त्री, रेहड़ी, ठेली वाले काम छोड़ कर अपने-अपने घरों की तरफ जाने लगे हैं ताकि वे सत्यापन करवा कर ला सकें।
उधर, वन विभाग ने मुनादी करवा कर नदी क्षेत्रों में अवैध रूप से बसे लोगों को भी हटाना शुरू कर दिया है। नदी से खनन बंद होने पर इन्हें यहां से जाने को कह दिया गया है।
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