प्राचीनकाल में भारत तकनीकी, व्यापार, कला, संगीत और साहित्य में अग्रणी था। इसका लोहा विश्व भी मानता है, लेकिन इस सभी के मूल में यहां के संत, आचार्य और गुरु रहे हैं। उन्होंने गुरु और शिष्य के महत्व को बताते हुए कहा कि महर्षि कण्व के आश्रम में शिक्षा लेने वाला शिष्य भी राजा दुष्यन्त को कहता है कि आश्रम के आस-पास के हिरणों को कोई मार नहीं सकता।
गत दिनों मई को शिमला में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडीज द्वारा ‘भारत में संत और आचार्य परंपरा’ विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसे संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने कहा कि प्राचीनकाल में भारत तकनीकी, व्यापार, कला, संगीत और साहित्य में अग्रणी था। इसका लोहा विश्व भी मानता है, लेकिन इस सभी के मूल में यहां के संत, आचार्य और गुरु रहे हैं। उन्होंने गुरु और शिष्य के महत्व को बताते हुए कहा कि महर्षि कण्व के आश्रम में शिक्षा लेने वाला शिष्य भी राजा दुष्यन्त को कहता है कि आश्रम के आस-पास के हिरणों को कोई मार नहीं सकता।
प्राचीनकाल में भारत तकनीकी, व्यापार, कला, संगीत और साहित्य में अग्रणी था। इसका लोहा विश्व भी मानता है, लेकिन इस सभी के मूल में यहां के संत, आचार्य और गुरु रहे हैं
-डॉ. कृष्णगोपाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह
उन्होंने गुरु आर्यभट्ट, आचार्य चाणक्य, महर्षि वाल्मीकि, नागार्जुन, घोषा, गार्गी, अपाला, शोनक ऋषि, अंगिरा, गुरु रविदास, नानक, कबीर, महर्षि अरविंद, आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय, रवींद्रनाथ ठाकुर, स्वामी श्रद्धानंद, महामना मालवीय, जे.के. मेहता, महेश चंद्र, आत्माराम, मुसलगांवकर, डॉ. सुब्रहमण्यम् शास्त्री जैसे गुरुओं और आचार्यों द्वारा स्थापित उच्च आदर्शों की भी जानकारी दी। इस अवसर पर इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ एडवांस्ड स्टडीज के पूर्व अध्यक्ष प्रो. कपिल कपूर, वर्तमान अध्यक्ष प्रो. शशि प्रभा कुमार, संस्थान के निदेशक प्रो. नागेश्वर राव सहित शिमला शहर के गणमान्य जन भी उपस्थित थे।
शंकरदेव शिशु निकेतनों के छात्रों का उत्कृष्ट प्रदर्शन
गुवाहाटी स्थित शंकरदेव शिशु निकेतन की अलग-अलग शाखाओं में पढ़ने वाले छात्रों ने असम हाई स्कूल बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। बता दें कि इन विद्यालयों का संचालन विद्या भारती से संबद्ध शिशु शिक्षा समिति, असम द्वारा होता है। शंकरदेव शिशु निकेतन, ठेकियाजुली के छात्र हृदम ठाकुरिया ने राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
तृतीय स्थान शंकरदेव शिशु निकेतन, बाहरघाट के छात्र मृगांक भट्टाचार्य, चतुर्थ स्थान बंचित चौधरी, शंकरदेव शिशु निकेतन साथेर्बारी के छात्र रितुपन दास, पंचम स्थान शंकरदेव शिशु निकेतन, अमोलापट्टी के छात्र निलोत्पल मंडल, छठा स्थान शंकरदेव शिशु निकेतन, बोरका सतगांव की छात्रा सन्दिता दास, सातवां स्थान शंकरदेव शिशु निकेतन, बाघमारा की छात्रा प्लबिता दास एवं शंकरदेव शिशु निकेतन, भवानीपुर के छात्र पिजुश नाथ, आठवां स्थान शंकरदेव शिशु निकेतन, रामदिया के छात्र अर्णव ज्योति दास तथा नवम स्थान शंकरदेव शिशु निकेतन, शिमलगुरी की छात्रा बरषा चेतिया ने प्राप्त किया है। उल्लेखनीय है कि 2022-23 में असम की हाई स्कूल परीक्षा में 336 शंकरदेव शिशु/विद्या निकेतनों से 9,956 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इनमें से 5,981 छात्रों ने प्रथम श्रेणी, 2,999 छात्रों ने द्वितीय और 506 छात्रों ने तृतीय श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण की है।
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