सूडान में छिटपुट घटनाओं को छोड़कर कुछ दिन के संघर्षविराम के बाद, तनाव एक बार फिर बढ़ता दिख रहा है। वहां आपस में भिड़े दोनों पक्ष, सैन्य और सुरक्षाबल शांति के किसी भी प्रस्ताव को मानने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। ताजा घटनाक्रम यह है कि सेनाध्यक्ष ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुतारेस को एक पत्र लिखकर मांग की है कि यूएन ने सूडान में जिस दूत को तैनात किया है उसे हटा लिया जाए।
सेनाध्यक्ष जनरल अब्देल फतह बुरहान ने आखिर ऐसी मांग क्यों की? पत्र में उसकी वजह बताई गई है कि यूएन का दूत पक्षपाती बर्ताव कर रहा है। सेनाध्यक्ष का यह एक तरह से यूएन पर सीधा आरोप ही है। हालांकि उसी पत्र में जनरल बुरहान ने यह भी कहा है कि इस दूत को वापस बुलाकर उसकी जगह दूसरे किसी को दूत के तौर पर भेजा जाए।
उल्लेखनीय है कि फिलहाल सूडान में यूएन के दूत वोल्कर पर्थेस कार्यरत हैं। उनका वहां मुख्य काम आपस में उलझे दो सुरक्षा बलों को मनाना है। एक तरह से वे वहां मध्यस्थ की भूमिका निभाने गए हैं। इस ताजा विवाद पर संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रवक्ता ने प्रेस को बताया है कि जनरल बुरहान ने दो दिन पहले यह चिट्ठी यूएन महासचिव को लिखी है।
उधर यूएन के महासचिव अंतोनियो गुतारेस जनरल बुरहान की इस बात को पढ़कर हैरान हैं। वोल्कर पर्थेस के सूडान में अब तक किए कामों से गुतारेस संतुष्ट ही नहीं, प्रसन्न भी हैं। पर्थेस उनके विश्वस्त माने जाते हैं। इसलिए वे पर्थेस पर एक प्रकार से गर्व भी करते हैं। उन्होंने इस चिट्ठी के मिलने के बाद भी अपने दूत पर पूरा भरोसा व्यक्त किया है। सूडान की सेना के एक बड़े अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि जनरल ने अपने पत्र में वोल्कर पर्थेस की बजाय किसी और को दूत बनाकर भेजने की मांग की है।
यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि गत वर्ष भी इन्हीं जनरल बुरहान ने वोल्कर पर्थेस पर आरोप लगाया था कि वे संयुक्त राष्ट्र के बताए काम से परे हटते हुए, सूडान के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहे हैं। तब उन्होंने दूत पर्थेस को सूडान से निकाल देने की एक प्रकार से धमकी दी थी।
जनरल ने यह भी कहा था कि पर्थेस सेना के जनरल तथा लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों के बीच युद्ध से पहले की बातचीत में अपना जो मत व्यक्त किया था, उससे संघर्ष और भड़का था। उल्लेखनीय है कि उस वार्ता में लोकतांत्रिक तौर पर आए बदलाव को बहाल करना शामिल था। यह व्यवस्था तब राह से भटक गई थी जब अक्तूबर 2021 में वहां फौजी तख्तापलट हुआ था।
चिंता की बात यह है कि आज सूडान में गत एक सप्ताह से जारी संघर्षविराम खत्म होने जा रहा है। आपस में उलझी सेना और अर्धसैनिक बल के बीच कई दिनों से चल रहे हिंसक संघर्ष के और बढ़ने की संभावना है। हालांकि अमेरिका तथा सउदी अरब, दोनों देशों ने संघर्षरत गुटों से संघर्षविराम को और आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है। लेकिन सत्ता की चाबी अपने हाथ में रखने के मुद्दे पर दोनों ही गुट कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।
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