सावरकर और स्वातंत्र्य तीर्थ
September 29, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • Podcast
    • पत्रिका
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • Podcast
    • पत्रिका
No Result
View All Result
Panchjanya
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • पत्रिका
  • My States
  • Vocal4Local
होम भारत

सावरकर और स्वातंत्र्य तीर्थ

अंदमान की सेल्यूलर जेल हर भारत भक्त के लिए एक स्वातंत्र्य तीर्थ है। इस जेल का हर कोना जैसे आज भी भारत माता की जय, वंदे मातरम् जैसे नारों से गुंजायमान है। जेल की तीसरी मंजिल की वह काल कोठरी आज भी सावरकर के तप की साक्षी के रूप में मौजूद है जो प्रत्येक व्यक्ति को देश प्रेम का मर्म बताती प्रतीत होती है।

by WEB DESK
May 27, 2023, 09:27 am IST
in भारत
सेल्यूलर जेल हर भारतवासी के लिए है राष्ट्रभक्ति का तीर्थ

सेल्यूलर जेल हर भारतवासी के लिए है राष्ट्रभक्ति का तीर्थ

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अंदमान की सेल्यूलर जेल हर भारत भक्त के लिए एक स्वातंत्र्य तीर्थ है। इस जेल का हर कोना जैसे आज भी भारत माता की जय, वंदे मातरम जैसे नारों से गुंजायमान है। जेल की तीसरी मंजिल की वह काल कोठरी आज भी सावरकर के तप की साक्षी के रूप में मौजूद है जो प्रत्येक व्यक्ति को देश प्रेम का मर्म बताती प्रतीत होती है। पाञ्चजन्य के सहयोगी संपादक आलोक गोस्वामी ने सेल्यूलर जेल से लौटकर लिखा था यह आंखों देखा हाल, जो 19 मई, 2002 के अंक में प्रकाशित     हुआ था

अंदमान एक पौराणिक तीर्थ है और स्वातंत्र्य तीर्थ भी। पौराणिक कथा के अनुसार श्रीराम की सेना ने लंका पर चढ़ाई के लिए इसी द्वीप का चयन किया था। लेकिन बाद में योजना में परिवर्तन हुआ और धनुषकोटि से लंका पर धावा बोला गया। कहते हैं, इस द्वीप समूह का नाम हनुमान ही पहले हण्डुमान हुआ और कालान्तर में अंदमान हो गया।

दूसरी शताब्दी में प्रसिद्ध रोमन भूगोलशास्त्री टोलेबी ने भी इन टापुओं का उल्लेख किया था और दुनिया के सबसे पहले मानचित्र पर उन्हें स्थान दिया था। टोलेबी ने इन टापुओं का नाम दिया था- आदमाते यानी सौभाग्य के टापू। और धीरे-धीरे इन टापुओं की ओर लोग आकर्षित हुए, सभी तरह के लोग आने लगे, पंथ-प्रचारक आए, भटके हुए मल्लाह और भाग्य आजमाने वाले जहाजी आए, लुटेरे भी आए।

कोलकाता से लगभग 1400 किमी. और चेन्नई से लगभग 1300 किमी. दूर बंगाल की खाड़ी में स्थित इस द्वीप समूह का सौन्दर्य वाकई अनूठा है। इन टापुओं का दर्शन मात्र इनके प्रति अनुराग पैदा कर देता है। यही कारण था कि 18वीं सदी के अंत में ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ यानी गोरों ने इस ओर रुख किया। उन्होंने योजना बनाई कि मुख्य धरती से जघन्य अपराध में बंद कैदियों को यहां लाकर एक बस्ती बसाई जाए। सैकड़ों की संख्या में जहाजों में भरकर कैदी पहुंचाए जाने लगे।

इधर भारत में स्वतंत्रता संग्राम में तेजी आने लगी थी। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम ने ब्रिटिश राज की जड़ें हिला दी थीं। इसी के बाद 15 जनवरी, 1858 को गोरों ने योजना बनाई कि स्वतंत्रता संग्राम में पकड़े जाने वाले क्रांतिकारियों को भी मुख्य धरती से दूर इन टापुओं पर लाकर कैद किया जाए। और वीरान कैदखाने में उनके मानसिक संबल को चूर-चूर किया जाए और तब अंदमान की पुरानी पहाड़ी पर बसे टापू का नाम पोर्ट ब्लेयर रखकर मुजरिमों की बस्ती के अलावा कारागार की योजना आकार लेने लगी।

सेल्यूलर जेल में सावरकर कोठरी में रखे सावरकर जी के चित्र को नमन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

अंदमान में बंद कैदियों में उस समय वहाबी आंदोलन में शामिल रहा सरहदी सूबे का एक पठान शेर अली भी था। शेर अली ने 1872 में भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड मेयो की हत्या की थी। वाइपर टापू पर शेर अली को फांसी दे दी गई।

मुख्य आयुक्त केविन और अभियंता डब्ल्यू. जी. मैक्विलेन की निगरानी में पोर्ट ब्लेयर में 1896 में सेल्यूलर जेल बनाने का काम शुरू हुआ। सागर तट पर एक खड़ी पहाड़ी को ऊपर की ओर से काटकर सागर से 60 फुट ऊंचाई तक समतल किया जाने लगा। जंगल के जंगल काटे गए, मलबा ढोने और सागरतट को समतल करने में सैकड़ों कैदियों को दिन-रात काम में झोंक दिया गया। ईंट-दर-ईंट जेल बनने लगी। जेल के मुख्य सात लम्बे खंडों में कुल 696 काल कोठरियों का निर्माण हुआ। 7७7 फुट की एक कोठरी, जिसमें हवा और रोशनी के लिए ऊपर एक छोटा रोशनदान। सात में से (अब बचे) चार खंडों की कोठरियों के सामने बीच में तेल निकालने के कोल्हू लगाए गए।

अंग्रेजों ने तीन साल में निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा था। परन्तु यह विशालकाय कठघरा 10 वर्ष बाद 1906 में तैयार हो पाया। और तब शुरू हुआ अंदमान के काले इतिहास का सबसे काला दौर। 20वीं सदी शुरू हो चुकी थी। अंग्रेजों के विरुद्ध आजादी की जंग भी तेज हो गई थी। एक के बाद एक सैकड़ों कैदी अंदमान की सेल्यूलर जेल में ठूंसे जाने लगे। काला पानी के नाम से कुख्यात यह जेलखाना देखते-देखते स्वाधीनता सेनानियों से भरने लगा। अलीपुर षड्यंत्र केस, चटगांव डकैती कांड, काकोरी कांड, लाहौर बम कांड, मोपला नरसंहार, नासिक षड्यंत्र केस, कितने नाम गिनाए जाएं। गोरों की बर्बरता और दमन बढ़ता गया। लेकिन यह जेलखाना गवाह है क्रांति-वीरों की इठलाती चाल और बुलंद आवाज का। वे कैसे झूमते-गाते जेलखाने में कदम रखते थे, और कैसे सलाखों के पीछे से साथियों के साथ के साथ झूमकर गा उठते थे-
जिन्दगी भर को हमें भेजके कालेपानी,
कोई माता की उम्मीदों पे न डाले पानी।
या
सरफरोशी की तमन्ना…
सेल्यूलर जेल गवाह है उस जेलर डेविड बेरी की पाशविकता की, जो भूखे और निढाल स्वातंत्र्य-वीरों को खुली धूप में चाबुक लगवाता हुआ अट्टहास करता था। जेलखाना धन्य हुआ विनायक दामोदर सावरकर की चरणधूलि का स्पर्श करके। गोरों ने उन्हें दो उम्र कैद की सजा दी थी। 24 दिसम्बर, 1910 से 23 दिसम्बर, 1960 तक। जुलाई, 1911 से मई, 1921 तक तीसरी मंजिल की सबसे अंतिम कोठरी में वीर सावरकर कैद रहे।

आज, उस कोठरी के भीतर जाकर जो अनुभूति होती है, उसे शब्दों में बांधना संभव नहीं। एक देवालय। अंदमान की उष्ण कटिबंधीय जलवायु में, जहां 44-45 डिग्री तापमान रहता है, उस छोटी-सी कोठरी में वीर सावरकर ने 10 वर्ष बिताए, बिना पथ से डिगे, एक चिरंतन लौ जलाए रखी। आजादी की लौ। बर्बर बैरी ने तो उन्हें फांसीघर के ठीक ऊपर वाली कोठरी में रखा ही इसलिए था कि शायद फांसी के फंदे उनके प्रण को डिगा देंगे। पर नहीं, सावरकर ने न केवल अपनी तपस्या को साधा बल्कि काल कोठरियों में कैद अन्य साथियों को भी मानसिक संबल प्रदान किया।

इन सींखचों से घेराबंदी की थी अंग्रेजों ने सावरकर कोठरी की।

सेल्यूलर जेल में जिन प्रमुख कालखण्डों में स्वतंत्रता सेनानियों को कैद किया गया, वे हैं- 1909-1914, 1916-1920, 1932- 1938। अंग्रेजों ने जिन प्रमुख स्वाधीनता सेनानियों को काला पानी सजा में बंद करके इस जेल में यातनाएं दीं, उनमें प्रमुख थे- बरिन्द्र कुमार घोष (महर्षि अरविंद के भाई), उपेन्द्र नाथ बनर्जी, हेम चंद्र दास, उल्हासकर दत्त, इंदूभूषण राय, ऋषिकेश कांजीलाल, विभूति भूषण सरकार, सुधीर कुमार सरकार, अविनाश चंद्र भट्टाचार्य, विरेन्द्र सेन, राम हरि, नंद गोपाल, लोधा राम, होती लाल वर्मा, रामचरण पाल, विनायक दामोदर सावरकर, गणेश दामोदर सावरकर, नानी गोपाल मुखर्जी, नंद कुमार, पुलिन दास, भाई परमानंद, अनंत सिंह, ज्ञानी सज्जन सिंह, बाबा बिशन सिंह, राखाल चंद्र डे।1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ।

जापानी सेना का वर्चस्व बढ़ने लगा। 1942 से 1945 तक कुल 3 साल 6 महीने 15 दिन जापानियों का अंदमान पर कब्जा रहा। इस दौरान जापानी सेना ने लोगों पर बहुत जुल्म किए, सैकड़ों को मौत के घाट उतारा, न जाने कितने समुद्र में फेंक दिए गए। इसी कालखण्ड में नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंदमान यात्रा पर आए। उन्होंने जेल का मुआयना किया और इसी जेल के अहाते में आजाद भारत की धरती पर पहली बार तिरंगा झंडा फहराया। इतिहास के उस काले दौर की यादें संजोए सेल्यूलर जेल का अधिकांश भाग आज भी यथावत है। धन्य हैं उस जेल की दीवारें और वह कोल्हू घर, जिन्होंने वीर सावरकर का स्पर्श अनुभव किया।

आजादी मिली और सेल्यूलर जेल के फाटक खुल गए। सभी स्वतंत्रता सेनानियों को आजाद कर दिया गया। 30 अप्रैल, 1969 को भारत सरकार ने सेल्यूलर जेल को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देकर उसे लोगों के दर्शनार्थ खोल दिया।

गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी अपनी दो दिवसीय पोर्ट ब्लेयर यात्रा की शुरुआत में ही सेल्यूलर जेल गए। वहां उन्होंने आंगन में बने ‘शहीद स्तम्भ’ पर पुष्प अर्पित किए और बलिदानियों की स्मृति में मौन धारण कर अपनी श्रद्धांजलि दी।

सेल्यूलर जेल का फांसीघर, जहां न जाने कितने क्रांतिकारियों को फांसी दी गई

हवाई अड्डा नामकरण समारोह में शामिल होने आया सावरकर परिवार भी सेल्यूलर जेल आया। श्री विश्वास सावरकर ने अपनी सहधर्मिणी और पुत्रियों सहित जेल के दर्शन किए। उनके चेहरों पर आनंद और कष्ट का मिला-जुला भाव था। पाञ्चजन्य से विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि वे पहली बार अंदमान आए हैं। सावरकर जी ने और उन जैसे अन्य स्वातंत्र्य वीरों ने कितनी पीड़ा सहकर, देश को आजादी दिलाई है, उसका प्रत्यक्ष ज्ञान हुआ है। उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है जो उन्हें इस स्थान के दर्शन हो पाए हैं। श्री विश्वास सावरकर ने कहा, ‘मैंने ‘ माझी जन्मठेप’ (सावरकर जी की मराठी में लिखी जेल डायरी) पढ़ी है। यहां आकर उसमें लिखे वर्णन चित्र की तरह आंखों में घूम गए।’

सेल्यूलर जेल के सामने एक छोटा, परन्तु सुन्दर वीर सावरकर उद्यान है। इसमें एक ओर वीर सावरकर की पूर्णकाय प्रतिमा स्थापित है। 26 फरवरी, 1983 को यह प्रतिमा स्थापित की गई थी। टोपी पहने, हाथ में छतरी लिए सावरकर जी की अनूठी छवि। उद्यान में कुछ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं भी लगी हैं और सबके साथ उनका परिचय दिया गया है।

सेल्यूलर जेल में प्रतिदिन शाम को होने वाला ध्वनि एवं प्रकाश प्रदर्शन तो अद्भुत है। 4 मई,2002 को श्री आडवाणी इस प्रदर्शन को देखने पहुंचे। प्रकाश एवं ध्वनि के माध्यम से सेल्यूलर जेल और उसमें यातना भोगने वाले कैदियों का विवरण रोमांच पैदा कर देता है। पृष्ठभूमि में सागर की उत्ताल तरंगों का शोर और पक्षियों का कलरव प्रदर्शन को और जीवंत बना देता है। स्वातंत्र्य-तीर्थ की यात्रा सौभाग्य से ही सुलभ हो पाती है। राष्ट्र के प्रति निष्ठावान हर भारतीय को यह तीर्थयात्रा करनी चाहिए।

Topics: हनुमान'शहीद स्तम्भ'Hanumanराष्ट्रीय स्मारक का दर्जाGovernment of Indiaअंडमान जेलBhai ParmanandAndamanभाई परमानंदKala Paniअंदमानland of independent Indiaकाला पानी'Shaheed 'Stamba'ईस्ट इंडिया कंपनीबरिन्द्र कुमार घोष (महर्षि अरविंद के भाई)Cellular Jailवीर सावरकरउल्हासकर दत्तNational Memorial statusविनायक दामोदर सावरकरगणेश दामोदर सावरकरGanesh Damodar SavarkarVinayak Damodar Savarkarअनंत सिंहवीर सावरकर उद्यानEast India Companyसेल्यूलर जेल
Share46TweetSendShareSend

संबंधित समाचार

देवभूमि में दुर्गा की सवारी की मौजूदगी का एहसास, बाघों के घनत्व और भगौलिक दृष्टि से देश के पहले स्थान पर उत्तराखंड

देवभूमि में दुर्गा की सवारी की मौजूदगी का एहसास, बाघों के घनत्व और भगौलिक दृष्टि से देश के पहले स्थान पर उत्तराखंड

प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक को बताया कट्टर भ्रष्टाचारी सम्मेलन

ऐसा दिशाहीन और हताश विपक्ष आज तक नहीं देखा, देश के नाम के इस्तेमाल से लोगों को गुमराह नहीं किया जा सकता : प्रधानमंत्री

मंदिर किसके?

मंदिर किसके?

वीर सावरकर ने 1857 को बगावत, “म्यूटिनी” जैसे शब्दों के अपमान से मुक्त किया और भारत का प्रथम स्वातंत्र्य समर घोषित किया

मध्य प्रदेश: स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल होगी वीर सावरकर की जीवनी

अब यूपी बोर्ड के विद्यार्थी छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर सावरकर, चंद्रशेखर आजाद समेत 50 महापुरुषों की पढ़ेंगे जीवन गाथा

अब यूपी बोर्ड के विद्यार्थी छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर सावरकर, चंद्रशेखर आजाद समेत 50 महापुरुषों की पढ़ेंगे जीवन गाथा

अंग्रेजों से पूर्व मुगल नहीं, मराठा थे भारत के शासक

अंग्रेजों से पूर्व मुगल नहीं, मराठा थे भारत के शासक

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

कंगाल पाकिस्तान ने सऊदी अरब और चीन के सामने फैलाई झोली, मांगे 11 अरब अमेरिकी डॉलर

कंगाल पाकिस्तान ने सऊदी अरब और चीन के सामने फैलाई झोली, मांगे 11 अरब अमेरिकी डॉलर

नेपाल में भारत के 4000 करोड़ के निवेश से पांच वर्ष में बनेगा रक्सौल-काठमांडू रेलमार्ग

नेपाल में भारत के 4000 करोड़ के निवेश से पांच वर्ष में बनेगा रक्सौल-काठमांडू रेलमार्ग

America ने त्रूदो को धीरे से दिया जोर का झटका, कहा-Canada पर कोई बात नहीं हुई जयशंकर और ब्लिंकेन के बीच

America ने त्रूदो को धीरे से दिया जोर का झटका, कहा-Canada पर कोई बात नहीं हुई जयशंकर और ब्लिंकेन के बीच

वन्यजीव बोर्ड की बैठक : लंबित योजनाओं पर काम करने पर जोर

लंदन में हुआ 12500 करोड़ के निवेश का करार : मुख्यमंत्री

देश के लिए यह समय हर क्षेत्र में प्रथम बनने के लिए अनुकूल : अमित शाह

देश के लिए यह समय हर क्षेत्र में प्रथम बनने के लिए अनुकूल : अमित शाह

अमेरिका: खालिस्तानियों के विरुद्ध सड़कों पर उतरे भारतीय-अमेरिकी, हिंदू विरोध नहीं स्वीकार

अमेरिका: खालिस्तानियों के विरुद्ध सड़कों पर उतरे भारतीय-अमेरिकी, हिंदू विरोध नहीं स्वीकार

PM Narendra modi to visit Uttarakhand

11-12 अक्टूबर को उत्तराखंड के दौरे पर पीएम मोदी, शिवालय का करेंगे भूमिपूजन

विधायक खैरा की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में ‘आप’ व कांग्रेस में कड़वाहट बढ़ी

विधायक खैरा की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में ‘आप’ व कांग्रेस में कड़वाहट बढ़ी

खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फार जस्टिस ने अन्य पंजाबी गायकों को भी दी धमकी

खालिस्तानी आतंकी पन्नू की क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खालिस्तानी झंडा फहराने की धमकी

स्वच्छ भारत एक साझा जिम्मेदारी, हर प्रयास महत्वपूर्ण : प्रधानमंत्री

स्वच्छ भारत एक साझा जिम्मेदारी, हर प्रयास महत्वपूर्ण : प्रधानमंत्री

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • बोली में बुलेटिन
  • Podcast
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • पत्रिका
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies