नई संसद का नाता प्रयागराज से जुड़ने जा रहा है। जब भारत को आज़ाद किया गया, तब इसी सेंगोल के माध्यम से अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरित की थी। अत्यंत गर्व का विषय है कि इस सेंगोल को संग्रहालय से निकाल कर नई संसद में स्थापित किया जाएगा। देश के स्वतंत्र होने के बाद इस सेंगोल को संग्रहालय में क्यों रखवा दिया गया था, यह प्रश्न हरेक हिंदुस्थानी को चुभ रहा है। भारतीय परंपरा और आज़ादी के इतिहास से जुड़ा यह सेंगोल बरसों-बरस से इलाहाबाद संग्रहालय में रखा हुआ था। गत 4 नवंबर 2022 को केंद्र सरकार ने इसे इलाहाबाद संग्रहालय से मंगवा लिया था और अब यह सेंगोल नई लोकसभा के उद्घाटन के बाद हर हिंदुस्थानी को अपने स्वर्णिम इतिहास की याद दिलाता रहेगा।
इलाहाबाद संग्रहालय की नेहरू वीथिका में दशकों तक यह सेंगोल रखा रहा। इलाहाबाद संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. वामन वानखेड़े ने बताया कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के व्यक्तिगत संग्रहालय ने यह सेंगोल रखा हुआ था। वर्ष 1942 में सतीश काला, इलाहाबाद संग्रहालय के पहले क्यूरेटर तैनात किये गए। उन्होंने इस सेंगोल को इलाहाबाद संग्रहालय में लाने का प्रयास किया। वर्ष 1954 में सतीश काला इस सेंगोल को इलाहाबाद संग्रहालय में लाने में सफल हुए थे। गत 15 सितंबर 2022 को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन की तरफ से आदेश आया कि इस ऐतिहासिक सेंगोल को नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में भिजवाने का इंतजाम किया जाए। आदेश प्राप्त होने के बाद सेंगोल को गत वर्ष 4 नवम्बर को दिल्ली भिजवा दिया गया।
इलाहाबाद संग्रहालय से भेजे गए गए राजदंड को नई संसद में स्थापित किया जाएगा। जानकारी के अनुसार जब देश के स्वतंत्र होने की तारीख करीब आ गई थी तब अंग्रेजों की तरफ से पूछा गया था कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए। उस समय काफी सोच विचार के बाद इस राजदंड के प्रस्ताव पर विचार किया गया था। सभी की सहमति के बाद सेंगोल का निर्माण किया गया और फिर सत्ता हस्तांतरण के समय नेहरू ने इसे ग्रहण किया था।
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