भारत के हाथ आने वाला है कोहिनूर! ब्रिटेन के अखबारों ने जताई शंका
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भारत के हाथ आने वाला है कोहिनूर! ब्रिटेन के अखबारों ने जताई शंका

दुनिया में इ​कलौता कोहिनूर हीरा 1849 से अंग्रेजों के हाथ में बना हुआ है। लेकिन अब भारत के इस हीरे को अपने यहां वापस लाने के एक कूटनीतिक अभियान को शुरू करने की तैयारी पूरी होने को है

by WEB DESK
May 15, 2023, 05:30 pm IST
in विश्व
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भारत से जिस कोहिनूर हीरे को अंग्रेज भारत से लंदन ले गए थे अब वह फिर से चर्चा में छाया हुआ है। गत 6 मई को ब्रिटेन में नए राजा की ताजपोशी के साथ यह बात जोर पकड़ने लगी है कि भारत से गया यह नायाब हीरा भारत में लौटकर आना चाहिए। इसलिए ब्रिटेन के मीडिया में इन दिनों ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारत ने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार जल्दी ही ऐसा एक अभियान शुरू करने जा रही है।

भारत का यह अपने में अनोखा और दुनिया में इ​कलौता कोहिनूर हीरा 1849 से अंग्रेजों के हाथ में बना हुआ है। लेकिन अब भारत के इस हीरे को अपने यहां वापस लाने के एक कूटनीतिक अभियान को शुरू करने की तैयारी पूरी होने को है। यूनाइटेड किंग्डम के राजनयिकों में इसे लेकर नए सिरे से बातें सुनाई देने लगी हैं।

इस ​अभियान के अंतर्गत भारत की मोदी सरकार कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से कोहिनूर को स्वदेश में लाने को प्रयासरत है। 1849 में इस ​हीरे पर ब्रिटेन के शाही परिवार का कब्जा हो गया था और यह तबसे ही इस कुनबे के पास बना हुआ है। इसे पहली बार यूके की रानी विक्टोरिया ने अपनी पोशाक में तमगे की तरह लगाया था।

हो सकता है यह मुद्दा दोनों देशों के बीच कूटनीति तथा व्यापार की होने वाली आगामी वार्ता में उठे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) देश से ‘तस्करी’ करके विदेशों में ले जाई गईं मूर्तियों और ऐतिहासिक महत्व की अन्य चीजों को देश में वापस लाने में सक्रिय रूप से शामिल है।

लंदन में यह चर्चा इसलिए बढ़—चढ़कर सुनाई दे रही है क्योंकि भारत ब्रिटेन में सरंक्षित भारतीय प्रतिमाओं और औपनिवेशिक युग की दूसरी कलाकृतियों को वापस लाने की कोशिश में है। इसके लिए बाकायदा एक प्रत्यावर्तन अभियान चल रहा है। कई अन्य देशों के साथ भी इसी तरह का एक अभियान चल रहा है जिसके अंतर्गत अनेक प्राचीन मूर्तियां लाई भी गई हैं।

ब्रिटेन के समाचार पत्र ‘द डेली टेलीग्राफ’ ने अपनी एक रिपोर्ट में जोर देकर कहा है कि इस मुद्दे पर गंभीरता से काम चल रहा है और इसमें संदेह की वजह इसलिए नहीं है ​क्योंकि यह विषय मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक माना जाता है। हो सकता है यह मुद्दा दोनों देशों के बीच कूटनीति तथा व्यापार की होने वाली आगामी वार्ता में उठे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) देश से ‘तस्करी’ करके विदेशों में ले जाई गईं मूर्तियों और ऐतिहासिक महत्व की अन्य चीजों को देश में वापस लाने में सक्रिय रूप से शामिल है।

पता यह भी चला है कि भारतीय अधिकारी इस संदर्भ में ब्रिटेन के राजनयिकों के साथ संपर्क में हैं। इनका मकसद है दासता के युग में ‘भारत से हुई लूट’ या जब्त की गईं कलाकृतियों और साथ व्यक्तिगत रूप से कुछ लोगों द्वारा संग्रहित ऐसी चीजों को वापस देश में लाया जाए। टेलीग्राफ की रिपोर्ट बताती है कि वस्तुओं के इस लंबे—चौड़े प्रत्यावर्तन कार्य को अलग अलग स्तर से शुरू किया जाना है। पहले कुछ आसानी से, छोटे संग्रहालयों तथा निजी संग्रहकर्ताओं के पास की चीजें वापस ले जाई जाएंगी।

भारत के वरिष्ठ अधिकारियों का ​कहना है कि ऐतिहासिक कलाकृतियां किसी देश की सांस्कृतिक पहचान का प्रतिनिधित्व करती हैं। भारत के संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव लिली का मानना है कि प्राचीन वस्तुएं अमूल्य होती हैं। वे सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय पहचान से जुड़ी होती हैं। ऐसा ही कोहिनूर हीरा है। गत सप्ताह ब्रिटेन के राजा के राज्याभिषेक के वक्त रानी कैमिला ने परंपरा से अलग हटे हुए अपने ताज के लिए दूसरे वैकल्पिक हीरे को चुना था। माना जा रहा है कि इससे एक बड़ा राजनयिक विवाद टल गया था।

Topics: kingcharlesmodienglandukdiplomacyमोदीkohinoorकोहिनूरbritishersmuseumभारतceremonybritain
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