विस्तारवादी चीन की कम्युनिस्ट सत्ता नहीं चाहती कि देश जिन की काफी जनता गरीबी के जिन हालात से गुजर रही है वह दुनिया के सामने आए। लेकिन तो भी कुछ ‘गरीब’ मौका देखकर ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर साझा कर देते हैं और अपना दुखड़ा सुना देते हैं ताकि दुनिया इसे जाने और हो सके तो उनकी तरफ से बहरी सत्ता के सामने मदद की गुहार लगाए। इधर चीन के चालाक शासक भी असली तस्वीर को दुनिया के सामने नहीं आने देने पर आमादा हैं। वे सोशल मीडिया से ‘गरीबी’ वाले वीडियो हटाने में जुटे हैं।
अमेरिका के एक बड़े अखबार ने चीनियों की इस चाल की पोल खोली है। इस अखबार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने सोशल मीडिया से अपने यहां की गरीबी को दुनिया के सामने लाने वाले वीडियो हटा दिए हैं। इतना ही नहीं, अधिकारियों ने सख्त हिदायत दी हुई है कि कोई ऐसी हिमाकत न करे।
लेकिन क्या लोग मानेंगे? नहीं मानेंगे, इसी लिए ऐसे ‘गरीब’ चीनी लोगों पर बीजिंग की कड़ी नजर है और जहां तक जानकारी मिली है, उन पर सरकार शिकंजा कस रही है। रिपोर्ट आगे बताती है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जो नीतियां बनाई हैं उनकी वजह से आर्थिक रूप से लोगों को दिक्कतें आई हैं और सरकार के कान बंद होने की वजह से वे सोशल मीडिया पर अपना दुखड़ा रोते हैं। अब सरकार ने उस ‘दुखड़े’ को ही मिटाए डाल रही है। न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी! न दिखेगी ‘गरीबी’ तो ‘चमकेगी तरक्की’।
हू ने जो वीडियो बनाया उसमें वह चीनी महिला खाने को चावल तक नहीं खरीद पाने की पीड़ा सुनाते हुए रोती दिखाई गई है। उसमें उसके संघर्षमय जीवन की एक झलक दिखती है। प्रशासन ने हरकत में आते हुए फौरन वह वीडियो सोशल मीडिया से हटाया। इतना ही नहीं, कम्युनिस्ट राज का गुस्सा तब थमा जब हू के खातों को चीन के दो मशहूर वीडियो प्लेटफॉर्म से हमेशा के लिए बंद ही नहीं, प्रतिबंधित भी कर दिया गया।
हैरानी की बात है कि चीन अपने नागरिकों पर भरोसा भी नहीं करती है। वहां के ‘साइबरस्पेस’ के अधिकारियों ने गत मार्च में घोषणा करवा दी थी कि यदि कोई नागरिक सोशल मीडिया पर कोई वीडियो अथवा पोस्ट डालता है जिसमें जानते—बूझते तथ्यों को ‘जोड़-तोड़कर’ दिखाता है, गुटबाजी की बात करता है, कम्युनिस्ट पार्टी तथा सरकार की गलत छवि दिखाता है, नुकसानदेह जानकारी फैलाता है तथा आर्थिक व सामाजिक उन्नति को बाधा पहुंचाता है तो उसे सजा दी जाएगी। इतना ही नहीं, घोषणा यह भी की गई है कि चीन में अमीरी—गरीबी में अंतर या दिक्कतों को झेल रहे नागरिकों को भी किसी पोस्ट में दिखाना अपराध माना जाएगा।
आखिर यह मामला उभरा कहां और कैसे? यह मामला तब उभरा जब एक कंटेंट बनाने वाले हू नाम के एक आदमी ने चीन के शहर चेंगदू में रहने वाली 78 साल की एक विधवा का साक्षात्कार लिया। हू ने जो वीडियो बनाया उसमें वह चीनी महिला खाने को चावल तक नहीं खरीद पाने की पीड़ा सुनाते हुए रोती दिखाई गई है। उसमें उसके संघर्षमय जीवन की एक झलक दिखती है। प्रशासन ने हरकत में आते हुए फौरन वह वीडियो सोशल मीडिया से हटाया। इतना ही नहीं, कम्युनिस्ट राज का गुस्सा तब थमा जब हू के खातों को चीन के दो मशहूर वीडियो प्लेटफॉर्म से हमेशा के लिए बंद ही नहीं, प्रतिबंधित भी कर दिया गया।
और एक दिलचस्प बात। एक पोस्ट में कमेंट में जहां लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया में चीन की गरीबी का जिक्र किया तो उसे भी काटछांट दिया गया। यानी चीन के लोग चीन में गरीबी पर बात तक नहीं कर सकते। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की कुल जमा कोशिश यही है कि उसकी छवि पर आंच न आने पाए। शायद दिखाने को, कम्युनिस्ट पार्टी ने ‘गरीबी उन्मूलन’ की अपनी कोशिश तेज की है। 2021 में पार्टी ने जिनपिंग के राज में ‘गरीबी के विरुद्ध संघर्ष’ में चीन की ‘जीत’ का उत्सव मनाया था।
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