झारखंड सरकार की लापरवाही का एक और नमूना बोकारो जिले में देखने को मिला है। यहां के कसमार प्रखंड के सेवाती घाटी में पश्चिम बंगाल सरकार ने अपना एक बोर्ड लगा दिया है। बता दें कि सेवाती घाटी के बाद पश्चिम बंगाल का क्षेत्र शुरू हो जाता है।
यहां बंगाल के वन विभाग द्वारा झारखंड की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए वहां के वन विभाग की ओर से झारखंड के अंदर लगभग 100 फीट तक अतिक्रमण कर बोर्ड लगा दिया गया है। इस घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय विधायक डॉक्टर लंबोदर महतो उक्त स्थान का जायजा लेने पहुंचे और उन्होंने अपनी आपत्ति दर्ज कराई।
डॉक्टर लंबोदर महतो के अनुसार यह घटना 3 मई की है। जब उन्हें पता चला कि बंगाल वन विभाग की ओर से झारखंड की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है तो वे खुद उस स्थान पर गए और उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई। उनका कहना है कि इस घटना की जानकारी स्थानीय प्रशासन को देने के बाद भी घटनास्थल पर कोई नहीं पहुंचा। इस वजह से पश्चिम बंगाल के वन विभाग के अधिकारी अपना बोर्ड लगा कर आराम से चलते बने।
उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले सेवाती घाटी के इलाके में झारखंड सरकार द्वारा पीसीसी पथ और एक पुलिया का निर्माण कराया गया था। इसके साथ ही इस जगह को झारखंड सरकार की पर्यटन सूची में भी शामिल किया गया है। इधर झारखंड सरकार इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है और उधर बंगाल सरकार द्वारा सीमा विवाद उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि पर्यटन विकास भी बाधित हो सके। उन्होंने कहा कि झारखण्ड सरकार इस मामले को जल्दी से जल्दी सुलझा ले नहीं तो स्थानीय लोग इसके लिए सड़कों पर उतरेंगे।
सेवाती घाटी झारखंड की आस्था और सांस्कृतिक धरोहर भी है। यहां कई दशकों से टुसू मेले का आयोजन किया जाता है। ऐसी स्थिति में बंगाल सरकार द्वारा यहां अतिक्रमण करने से एक नया विवाद शुरू हो सकता है, जो किसी के लिए भी ठीक नहीं होगा।
सवाल यह उठता है कि आखिर प्रशासन को सारी जानकारी देने के बाद भी प्रशासनिक लापरवाही क्यों की गई? अगर यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में झारखंड सरकार के हाथ से एक पर्यटक स्थल बंगाल के हाथों जा सकता है।
हालांकि इस मामले के तूल पकड़ने के बाद बोकारो के जिला वन पदाधिकारी रजनीश कुमार ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि घटना की जानकारी होते ही उन्होंने बंगाल के वन विभाग से बातचीत की और वहां से बोर्ड जल्द से जल्द हटा लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि वहां पर बोकारो वन विभाग की ओर से बोर्ड लगाकर खाली पड़ी जमीन पर पेड़ पौधे लगाने की कोशिश की जाएगी ताकि कोई गैर वानिकी कार्य ना हो सके।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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