यह जंगल राज है
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम सम्पादकीय

यह जंगल राज है

ममता बनर्जी लगातार जिस राजनीतिक ढीठता का प्रदर्शन करती आ रही हैं, उसका खामियाजा प्रदेश की जनता को क्यों भुगतना चाहिए?

by हितेश शंकर
May 2, 2023, 11:42 am IST
in सम्पादकीय, पश्चिम बंगाल
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

ममता बनर्जी की सरकार के गठन के बाद से ही पश्चिम बंगाल में हिंसा की, व्यापक और सामूहिक हिंसा की असंख्य घटनाएं घट चुकी हैं। यह मात्र एक उदाहरण है कि हावड़ा और दलखोला जिलों और पश्चिम बंगाल के अन्य हिस्सों में रामनवमी के दौरान की गई जिस हिंसा को ममता बनर्जी ने बाहरी लोगों द्वारा की गई हिंसा करार देकर उसका राजनीतिक औचित्य जताने की कोशिश की थी

पश्चिम बंगाल में कानून और व्यवस्था अब बहस-परिहास का विषय नहीं, बल्कि विद्रूपता का आख्यान है। वहां हिंसा को रोजमर्रा की सामान्य बात बना दिया गया है। ममता बनर्जी की सरकार के गठन के बाद से ही पश्चिम बंगाल में हिंसा की, व्यापक और सामूहिक हिंसा की असंख्य घटनाएं घट चुकी हैं। यह मात्र एक उदाहरण है कि हावड़ा और दलखोला जिलों और पश्चिम बंगाल के अन्य हिस्सों में रामनवमी के दौरान की गई जिस हिंसा को ममता बनर्जी ने बाहरी लोगों द्वारा की गई हिंसा करार देकर उसका राजनीतिक औचित्य जताने की कोशिश की थी, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उस हिंसा की जांच राज्य पुलिस से छीन कर एनआईए को स्थानांतरित कर दी है। माने जो ममता बनर्जी के लिए कोई विषय नहीं था, वह अदालत की दृष्टि में कहीं न कहीं आतंकवाद से जुड़ा विषय हो सकता है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार की गंभीरता और हिंसा के प्रति उसका दृष्टिकोण क्या है।

एक अवयस्क बालिका अचानक गायब हो जाती है, कुछ दिनों बाद उसका शव मिलता है। पुलिस उस शव को घसीट कर ले जाती हुई वीडियो में नजर आती है। स्थानीय लोगों में रोष फैलता है। उसके कारण फिर नए सिरे से हिंसा होती है और फिर एक वीडियो स्वयं सत्तारूढ़ पार्टी के प्रवक्ता द्वारा ट्विटर पर जारी किया जाता है, जिसमें दर्शाया जाता है कि स्थानीय लोगों ने पुलिसकर्मियों को बंधक बना रखा है और उनके साथ मारपीट की जा रही है। प्रश्न उठता है कि सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ता यह शिकायत किससे कर रहे थे? अगर वह यह शिकायत मीडिया से कर रहे थे, तो जाहिर तौर पर सत्तारूढ़ पार्टी को भी राज्य की सरकार पर या उसकी पुलिस पर या कानून-व्यवस्था पर विश्वास नहीं रह गया है।

कोरोना काल में ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में रात को कर्फ्यू लागू करने के केंद्र के आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया था। जब प्रधान मंत्री ने कोरोना महामारी के समय देश के नागरिकों से रविवार को कर्फ्यू लगाने की अपील की, तो ममता बनर्जी ने उसी रविवार को स्कूलों में चावल और आलू बांटने का निर्देश जारी कर दिया। राज्यपाल का, केंद्र का, संविधान का, संघीय ढांचे का अपमान करने का प्रयास, एक भ्रष्ट अधिकारी के पक्ष में धरने पर बैठने का मामला – ममता बनर्जी ने अराजकता को ही अपनी राजनीतिक शैली बना रखा है।

यह विडंबना नहीं विद्रूपता है, और यह वही फसल है, जो बोई गई थी। राजनीतिक तौर पर खुद ममता बनर्जी नंदीग्राम की हिंसा की रक्तसिंचित राजनीति की उपज हैं, जिसके बाद उन्हें कम्युनिस्टों की हिंसा मशीनरी, कम्युनिस्ट पार्टियों का वोट बैंक और कम्युनिस्ट पार्टियों के तौर-तरीके सहज हस्तांतरित हो गए थे। ममता बनर्जी ने इसी अराजकता को अपनी राजनीति का तरीका बना रखा है। दो वर्ष पहले, चक्रवात यास के तुरंत बाद कलाईकुंडा में चक्रवात से पश्चिम बंगाल को हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए पहुंचे प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान राज्य के मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के साथ उपस्थित हुए और मुख्यमंत्री के साथ ही बैठक से उठकर चले गए। राज्य की नौकरशाही के प्रमुख ने देश के प्रधानमंत्री को चक्रवात के बाद की स्थिति का आधिकारिक विवरण देना आवश्यक नहीं समझा।

ममता बनर्जी सरकार ने उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया। उसके एक वर्ष पहले टीएमसी सरकार के आदेश पर तीन आईपीएस अधिकारियों सहित पांच अधिकारियों ने गृह मंत्रालय के समन की अवहेलना की। ममता बनर्जी ने अनेक बार केंद्र सरकार के कई आदेशों-नियमों को मानने से इनकार किया है। कोरोना काल में ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में रात को कर्फ्यू लागू करने के केंद्र के आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया था। जब प्रधान मंत्री ने कोरोना महामारी के समय देश के नागरिकों से रविवार को कर्फ्यू लगाने की अपील की, तो ममता बनर्जी ने उसी रविवार को स्कूलों में चावल और आलू बांटने का निर्देश जारी कर दिया। राज्यपाल का, केंद्र का, संविधान का, संघीय ढांचे का अपमान करने का प्रयास, एक भ्रष्ट अधिकारी के पक्ष में धरने पर बैठने का मामला – ममता बनर्जी ने अराजकता को ही अपनी राजनीतिक शैली बना रखा है।

प्रश्न यह है कि ममता बनर्जी लगातार जिस राजनीतिक ढीठता का प्रदर्शन करती आ रही हैं, उसका खामियाजा प्रदेश की जनता को क्यों भुगतना चाहिए? ममता सरकार की कारगुजारियां ऐसी हैं कि गत वर्ष बीरभूम जिले में हिंसा को लेकर ही राज्य में अनु. 355 के प्रयोग की आवश्यकता पर बहस चल गई थी। अगर कानून व्यवस्था की स्थिति सुधारातीत है, और राज्य सरकार उसके प्रति अनिच्छुक है, तो वह नागरिकों के लिए आंतरिक सुरक्षा का प्रश्न है। जब राज्य सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षा नहीं दे सकती, जब राज्य सरकार खुद दंगाइयों की तरह व्यवहार करती हो, जब राज्य में प्रशासन और पुलिस अपनी मौलिक जिम्मेदारी भूल चुके हों, उस राज्य की जनता को भाग्य के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। भले ही राजनीतिक और संवैधानिक तौर पर केंद्र सरकार की हस्तक्षेप करने की मर्यादा हो, लेकिन इसका कोई ना कोई समाधान तो निकालना होगा।

@hiteshshankar

Topics: Nandigram violenceपश्चिम बंगालBlood-soaked politicsWest BengalViolence machinery of communistsममता बनर्जीCommunist partiesनंदीग्राम की हिंसाInsult to constitutionरक्तसिंचित राजनीतिFederal structureकम्युनिस्टों की हिंसा मशीनरीThis is jungle rajकम्युनिस्ट पार्टियांसंविधान कासंघीय ढांचे का अपमानMamta Banerjee
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

‘‘बाड़ी चाई ना, टाका चाई ना, सुधू होत्ताकारीर देर फांसी चाई’’ –चंदन की मां पारुल दास

‘‘बिना एनआरसी के बंगाल नहीं बच सकता, हिन्दुओं को जागना होगा’’– डॉ. सुकांत मजूमदार 

बंगाल में उपद्रव और आगजनी करते मजहबी उन्मादी

लोकतंत्र के विरुद्ध ‘विद्रोह’

7 दिन के नवजात को लेकर मां ने पार की नदी, BSF ने बचाई जान : मुर्शिदाबाद हिंसा में हिंदुओं के पलायन की खौफनाक कहानी

ममता बनर्जी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कार्रवाई में देरी क्यों कर रही बंगाल सरकार? कलकत्ता हाईकोर्ट का बड़ा सवाल

मुर्शिदाबाद में हिंदू परिवारों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया

मुर्शिदाबाद हिंसा : पिता-पुत्र की हत्या मामले में 4 गिरफ्तार, आते थे गांव, राज्य सरकार का ‘बाहरी’ का दावा धराशायी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies