श्री बद्रीधाम से देश के लिए खुशहाली की खबर है। धाम के कपाट खुलने के उपरांत सबसे पहले भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति पर ओढ़े गए घृतकंबल (गर्म वस्त्र) को हटाने पर उसपर लगा घी बिल्कुल ताजा अवस्था में मिला है। ये घृत कंबल घी में डुबोकर कपाट बंद होने वाले दिन भगवान को ओढ़ा जाता है।
माना जाता है कि घृत कंबल पर यदि घी सूख जाता है तो वो देश में सूखा का प्रतीक होता है।
बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी राधा कृष्ण थपलियाल के अनुसार ये घृत कंबल वस्त्र माणा गांव की महिलाए बिना कुछ खाए पिए व्रत रख कर अपने हाथो से तैयार करती आई है। परंपरा के अनुसार कपाट बंद होने के समय इस ऊनी वस्त्र को हाथ से बने घी में भिगो कर भगवान बद्री विशाल को ओढ़ा जाता है। ताकि भगवान को सर्दी न लगे।
धर्माधिकारी ने बताया कि इतनी सर्दी इतनी बर्फबारी के बावजूद कंबल पर लगा घी सूखा नही, ये एक चमत्कार ही कहा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हम लोग से देश की खुशहाली का प्रतीक माने है, जब जब ये घी सूखा निकला उस साल देश में सूखा पड़ा वातावरण गर्म हुआ।
बर्फबारी के बावजूद हजारों श्रद्धालु
बद्रीनाथ धाम में हल्की बर्फबारी के बावजूद करीब पंद्रह हजार श्रद्धालुओ ने भगवान बद्रीविशाल के दर्शन किए, आज ये संख्या और भी बढ़ जाने की संभावना है।
अभी तक चारधाम पोर्टल पर बीस लाख से भी ज्यादा श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया है।
केदारनाथ में दो दिन में पैंतालीस हजार
केदारनाथ धाम में दो दिन में करीब 45 हजार श्रद्धालु पहुंचे और बाबा केदारनाथ के दर्शन किए, यहां टोकन सिस्टम लागू किया गया है जिसकी वजह से तीर्थ यात्रियों को सुविधा हो रही है। कल से केदारनाथ में रुक रुक का हो रही बर्फबारी की वजह से सोनप्रयाग में यात्रियों को रोका गया है।आज मौसम अनुकूल होने पर यात्रियों को भेजा जाएगा।
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