देहरादून मास्टर प्लान 2041 पर छिड़ी बहस के बीच एक परिचर्चा कार्यक्रम में दून वासियों ने देहरादून ड्राफ्ट मास्टर प्लान को लेकर कई सवाल उठाये. चीफ टाउन प्लानर शशि मोहन श्रीवास्तव की मौजूदगी में मास्टर प्लान को लेकर हुए इस कार्यक्रम में लोगों ने एमडीडीए पर कई सवाल उठाये. चर्चा का आयोजन सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी, इंटेक और एसडीसी फाउंडेशन की ओर से किया गया था.
शहर के अनेक रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन प्रतिनिधियों और बड़ी संख्या में आम नागरिकों ने इस चर्चा में हिस्सा लिया. परिचर्चा का संचालन एनटीपीसी के चेयर प्रोफेसर एसी जोशी और एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने किया।
परिचर्चा के दौरान लोगों ने पूछा कि शहर में जब जमीन बची ही नहीं है तो मास्टर प्लान में आज की तुलना में जो चार गुना भवन बनाने का प्रस्ताव किया गया है, वे भवन कहां बनेंगे. मास्टर प्लान के अनुसार 2041 तक दून में 4.37 लाख भवन बनाने का प्रस्ताव है, जबकि फिलहाल शहर में भवनों की संख्या 1.25 लाख बताई जाती है. इस परिस्थिति में जनसंख्या के लिए पानी कहां से मिलेगा और ट्रैफिक व्यवस्था कैसे दुरुस्त रहेगी, जबकि मापदंडों में पहले ही छुट दे कर सड़क चौड़ीकरण का कार्य ठंडे बस्ते में डाला जा चुका है.
राज्य के पहले चीफ टाउन प्लानर एस सी घिल्डियाल ने स्पष्ट तौर पर कहा कि मास्टर प्लान का ड्राफ्ट दून के अनुकूल नहीं है. उन्होंने कहा कि एमडीडीए ने इससे पहले भी जो मास्टर प्लान बनाये हैं और लागू किये हैं, वो गलत तरीके से लागू किये गये हैं. उनका कहना था कि पिछला मास्टर प्लान एक्ट की धारा 12 के तहत पास किया गया, जबकि यह धारा मास्टर प्लान पास करने की नहीं बल्कि आम लोगों से सुझाव लेने की है. लोगों ने यह भी सवाल उठाये कि जब ड्राफ्ट तैयार किया गया, आम लोगों के सुझाव नहीं लिये गये, जबकि ड्राफ्ट में साफ तौर पर ऐसा कहा गया है.
चीफ टाउन प्लानर एसएम श्रीवास्तव ने लोगों के सवालों का जवाब देने का प्रयास किया, लेकिन लोग उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुए. श्रीवास्तव जी का कहना था कि मास्टर प्लान का ड्राफ्ट केवल देहरादून के लिए नहीं बनाया गया है, बल्कि यह केन्द्र सरकार की गाइड लाइंस के अनुसार उत्तराखंड के 7 शहरों सहित देशभर के 500 शहरों के लिए बनाया गया है. उनका कहना था कि गाइड लाइन में अफोडेंबल हाउस लैंड, मिक्ड लैंड यूज और हाईडेंसिटी की व्यवस्था करने को कहा गया था, इसलिए इन सभी की व्यवस्था की गई है.
हालांकि लोगों का कहना था कि देहरादून की भौगोलिक स्थिति अन्य शहरों से अलग है. 500 शहरों की तरह दून का मास्टर प्लान बनाना संभव नहीं है. पहाड़ी शहर होने के नाते यहां की भौगोलिक स्थिति अन्य शहरों से भिन्न है.
इनटेक के कंवीनर लोकेश ओहरी ने दून में हेरिटेज साइट्स का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान में एक भी हेरिटेज को चिन्हित नहीं किया गया है. न ही इस बात का कोई जिक्र है कि इन्हें कैसे संरक्षित किया जाए.
आर्किटेक्ट भारती जैन ने सुझाव देने के अंतिम तिथि तीन महीने बढ़ाने की सलाह दी. साथ ही यह भी सवाल उठाया कि मास्टर प्लान 2011 की जनसंख्या के आधार पर बनाया गया है, जबकि अब जनसंख्या काफी ज्यादा है.
लाल बहादुर शास्त्री अकेडमी के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा और एनटीपीसी के चेयर प्रोफसर एसी जोशी ने भी मास्टर प्लान की कमियों की ओर इशारा किया. उन्होंने शहर को विरलीकरण की चर्चा की एवं सैटेलाइट टाउन्स बनाने की बात की ताकि ट्रैफिक ओवरलोड को नियंत्रित किया जा सके.
कार्यक्रम का संचालन करते हुए एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने मास्टर प्लान को लेकर स्थिति साफ की और कई सवाल चीफ टाउन प्लानर और अन्य वक्ताओं से पूछे. श्री जोशी ने बताया कि आज के कार्यक्रम के दौरान प्राप्त हुए सुझाओं को संकलित कर एमडीडीए को प्रेषित किया जाएगा।
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