कर्नाटक द्वितीय पीयूसी परीक्षा परिणाम जारी हो चुके हैं। आर्ट्स स्ट्रीम से उच्चतम स्कोर करने वालों में तबस्सुम शेख रहीं, जिन्होंने 600 में से 593 अंक प्राप्त किए और प्रथम स्थान पर रहीं। इसमें से उसने हिंदी, मनोविज्ञान और समाजशास्त्र में परफेक्ट 100 अंक हासिल किए। अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों के बारे में मीडिया से बात करते हुए, तबस्सुम शेख ने कहा कि वह “हिजाब पर शिक्षा” को चुनना पसंद करती हैं।
तबस्सुम शेख बेंगलुरु, कर्नाटक में नागरत्नम्मा मेदा कस्तूरीरंगा सेट्टी राष्ट्रीय विद्यालय (NMKRV) की छात्रा हैं। पिछले साल कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब या बुर्का जैसे मजहबी पोशाक पर प्रतिबंध लगाने के एक सरकारी आदेश को बरकरार रखा और स्टूडेंट्स से शिक्षण संस्थानों के ड्रेस कोड का पालन करने को कहा। जिसके बाद कई मुस्लिम स्टूडेंट फैसले के विरोध में सड़कों पर उतर आए, तो कई कक्षाओं में हिजाब और टोपी पहन रहने लगे, परीक्षा का बहिष्कार भी किया था। वहीं इन सब से जुदा तबस्सुम शेख ने शिक्षा को प्राथमिकता देने का फैसला किया था।
तबस्सुम शेख ने इंडियन एक्सप्रेस से खास बातचीत में कहा की कोर्ट के आदेश जारी होने तक वह हर दिन हिजाब में अपनी क्लास में जाती थीं, लेकिन अपनी पढ़ाई को जारी रखने की उनकी इच्छा और अपने माता-पिता से कानून का सम्मान करने के सबक ने उन्हें हिजाब पहनने से रोकने का फैसला लेने में सहयोग किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, तबस्सुम के माता-पिता ने अपनी बेटी के इस फैसले का सम्मान करते हुए, उसकी शिक्षा के प्रति उसके प्रयास का समर्थन भी किया। तबस्सुम ने कहा कि उनके पिता अब्दुल खौम शेख ने उनसे कहा था कि कानून का पालन करना जरूरी है, और शिक्षा बच्चों के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है ।
तबस्सुम ने बताया कि वह सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों का पालन करती थी। वह कॉलेज परिसर में अपना हिजाब पहनती थी, और क्लास में जाने से पहले उसे उतार देती थीं। उसने आगे कहा कि जिस दिन वह टॉपर बनी, उसी दिन उसने अपना हिजाब पहन लिया और अपने प्रिंसिपल से मिलने पहुंची थीं। जिसके बाद से किसी ने भी उसके फैसले पर आपत्ति नहीं जताई थी।
बता दें, पिछले साल जनवरी में कर्नाटक में हिजाब विवाद ने उस वक्त तूल पकड़ लिया था, जब उडुपी कॉलेज की आठ मुस्लिम लड़कियों को क्लास में प्रवेश करने से रोक दिया गया था, क्योंकि उन्होंने हिजाब पहन रखा था। इसी के साथ कॉलेज प्रशासन ने सूचित किया था कि हिजाब छात्रों के लिए अनिवार्य यूनिफॉर्म ड्रेस कोड का हिस्सा नहीं। जिसके बाद हिजाब पहनने की जिद पर अड़ी मुस्लिम लड़कियों ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर हिजाब पहनकर क्लास में जाने की अनुमति मांगी थी। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 और इस्लाम के तहत हिजाब पहनना उनका मौलिक अधिकार है।
इतने पर भी विवाद नहीं थमा, और यह तब और ज्यादा बढ़ गया जब कर्नाटक में हिंदू स्टूडेंट्स ने अपने गले में केसरिया स्कार्फ डाल लिया और मुस्लिम लड़कियों द्वारा कॉलेज में हिजाब पहनना जारी रखने का विरोध किया। बताते चलें, कि छात्रों ने अक्टूबर 2021 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की छात्र शाखा कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया (CFI) से मिलने के बाद स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पहनना शुरू किया था, और छात्रों ने कबूल किया कि उन्होंने सीएफआई से बात की थी।
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