भोपाल। आज विश्व धरोहर दिवस है। मध्य प्रदेश के लिए यह दिन बेहद खास है, क्योंकि लगातार एक के बाद एक विश्व धरोहरों की सूची में राज्य की अलग-अलग प्राचीन इमारतों एवं प्रमुख स्थलों का चयन भारत सरकार के साथ ही यूनेस्को कर रहा है। पिछले दो सालों में राज्य की दो वर्ल्ड हेरिटेज साइट यूनेस्को की सूची में जुड़ी हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और भेड़ाघाट का मार्बल रॉक इसमें शामिल है।
यूनेस्को की स्थायी सूची में आएंगे ओरछा और मांडू
आने वाले दिनों में जल्द ही ओरछा और मांडू यूनेस्को की स्थायी सूची में दिखाई देंगे। इसकी उम्मीद तब और बढ़ गई है, जब यूनेस्को की इन दिनों महत्वपूर्ण बैठक राजधानी भोपाल में चल रही है। अब इसके साथ एक उपलब्धि और इसमें जुड़ने की संभावना बढ़ती दिखी है। वह है प्रदेश के अन्य 10 स्थानों का यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल करने पर सहमति बन जाने की।
यूनेस्को की अस्थायी सूची में आने वाले हैं ये 10 अन्य दर्शनीय स्थल
दरअसल, मध्य प्रदेश के ओरछा और मांडू के अलावा ये अन्य 10 स्थल ऐसे हैं जोकि अपनी प्राचीनता के लिए ही अपना महत्व नहीं रखते हैं बल्कि ऐतिहासिकता के साथ इनकी अपनी एक भव्यता है। चौसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट, ग्वालियर फोर्ट, रॉक आर्ट ऑफ चंबल वैली, खूनी भंडारा बुरहानपुर, आशेका इंसक्रिप्सन ऑफ मध्य प्रदेश, नेचुरल हैविटेट अमरकंटक, राक-कट केव धामनगर, शिव मंदिर भोजपुर, रामनगर मंडला और गुप्त कालीन मंदिरों को आप इस सूची में रख सकते हैं। वास्तव में इन सभी स्थलों में युनेस्को की गाइडलाइन के हिसाब से विश्व धरोहर में शामिल होने की पूरी योग्यता है।
राज्य सरकार ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और विकास की दिशा में कार्य कर रही
राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष विनोद गोंटिया का इसे लेकर कहना है कि प्रदेश में केंद्र सरकार के सहयोग से और जहां आवश्यक लगता है वहां राज्य सरकार स्वयं से ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और विकास की दिशा में कार्य कर रही है। इससे सभी क्षेत्रों में पर्यटन के साथ आर्थिक विकास हो रहा है और देश की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण को बढ़ावा भी मिल रहा है। हम युनेस्को की विश्व विरासत स्थल की सूची में राज्य के अधिक से अधिक पुरातात्विक महत्व के स्थलों को लेकर आने में सफल हों, इसके लिए जरूरी सभी आवश्यकताओं को इन दिनों पूरा करने का हमारा प्रयास जारी है।
अभी विश्व विरासत स्थल खजुराहो, भीमबेटका और साँची स्तूप
प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति एवं प्रबंध संचालक टूरिज्म बोर्ड शिव शेखर शुक्ला का इस संबंध में कहना है कि मध्यप्रदेश सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को सहेजने के लिए सतत प्रयास कर रहा है। राज्य में तीन यूनेस्को विश्व विरासत स्थल खजुराहो, भीमबेटका और साँची स्तूप हैं। साथ ही मांडू, ओरछा, सतपुड़ा नेशनल पार्क और भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट को संभावित सूची में सम्मिलित किया गया है, जो प्रदेश के लिए गौरव की बात है।
अभी प्रदेश के 270 से अधिक स्मारक हैं एएसआई के पास
उन्होंने बताया कि प्रदेश की दस और साइट चिह्नित की गई हैं, जिन्हें यूनेस्को की अस्थायी सूची में डालने का प्रपोजल भेजा जा रहा है। प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति शिव शेखर शुक्ला द्वारा यह भी जानकारी दी गई कि राज्य में करीब 270 ऐतिहासिक स्मारक भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के पास हैं और इनमें से साढ़े सात सौ के लगभग राज्य पुरातत्व के संरक्षण में हैं। यूनेस्को की सूची में जितने अधिक मध्य प्रदेश के पुरातात्विक स्थल शामिल होते हैं, विश्व स्तर पर उतना अधिक ध्यान हमारी ओर जाता है। यह प्रदेश के प्रर्यटन विकास के लिए बहुत लाभकारी है।
टिप्पणियाँ