रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि आज भारत ने दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित की है। भारत जो कहता है उसे पूरी दुनिया सुनने लगी है। अब दुनिया के लोग भारत में अपने सपने देखने लगे हैं। हमें अपने भारत को इससे भी ऊंचाइयों तक ले जाना है। यह जिम्मेदारी देश के युवाओं पर है। देश के नौजवान ही अपनी ऊर्जा से भारत को विश्वगुरु बनाएंगे।
रक्षामंत्री सिंह शनिवार को उदयपुर में जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के 16वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि अभी भारत दुनिया की पांच टॉप इकोनॉमी में शामिल है। युवा शक्ति अपने उद्यमी पराक्रम से देश को टॉप मोस्ट इकोनॉमी के रूप में स्थापित करे। स्वामी विवेकानंद की विदेश यात्रा का दृष्टांत सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब वहां पर उनके परिधान को देखकर किसी ने टिप्पणी की तब स्वामी जी ने अपने उद्बोधन में इसका उत्तर दिया। स्वामी विवेकानंद का जिक्र कर उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति ने सदैव चरित्र का पाठ पढ़ाया है। यही वजह है कि भारतीय संस्कृति में भौतिक विकास के साथ आध्यात्मिक विकास को भी उतना ही महत्वपूर्ण माना गया है।
रक्षामंत्री सिंह ने अपनी बात कहते हुए माता-पिता के प्रति भी युवाओं को जिम्मेदारी का ध्यान कराया। उन्होंने कहा कि युवा नौकरी के लिए विदेशों में जाते हैं और माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ जाते हैं। इस स्थिति को ठीक नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने कोटा में कोचिंग सेंटर्स के विद्यार्थियों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं पर चिंता जताई और कहा कि चिंताएं कुछ क्षण ही रहनी चाहिए। उनके बारे में लगातार सोचना नहीं चाहिए। उन्होंने इसे समाज का कलेक्टिव फेल्योर बताते हुए अभिभावकों से कहा कि हमें बच्चों को उनके परिणाम से नहीं आंकना चाहिए। उन्होंने युवाओं से कहा कि हमेशा यह ध्यान रखें कि फेल्योर्स आपको डिफाइन नहीं करते बल्कि फेल्योर्स हमें रिफाइन करते हैं।
राजनाथ ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर कहा कि प्रतिमाएं महान व्यक्तियों के विचारों को सहेजकर उन्हें अगली पीढ़ी तक पहुंचाने एवं उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने की प्रतीक होती हैं। उन्होंने महाराणा प्रताप के बलिदान का स्मरण करते हुए कहा कि देश के हर नागरिक के मन में देश के प्रति समर्पण का भाव होना चाहिए और यह भाव शिक्षा और शिक्षण पद्धति से स्थापित होता है। शिक्षा के साथ राष्ट्रप्रेम के भाव को भी स्थापित करने की जिम्मेदारी नई पीढ़ी की है। उन्होंने कहा कि एक लेखक ने इनफोसिस और अलकायदा पर तुलनात्मक लेख लिखा जिसमें उन्होंने यह लिखा कि दोनों से जुड़े युवा कार्य उतनी ही सक्रियता से करते हैं, लेकिन एक के कार्य का लक्ष्य कल्याणकारी है और दूसरे के कार्य करने का लक्ष्य विनाशकारी।
रक्षामंत्री सिंह ने मन को बड़ा रखने से अनुभूत होने वाले आनंद को गणितीय सूत्र में पिरोते हुए कहा कि मन को यदि एक सर्कल मान लिया जाए तो उस सर्कल के आकार का सीधा संबंध सुख की विशालता से होगा। आपके मन का आकार जितना बड़ा होगा उतना ही आपको आनंद की अनुभूमि होगी और यह तभी होगा जब आप ईर्ष्या, जलन, दूसरों की टांग खिंचाई जैसी भावनाओं से दूर रहें। यह प्रवृत्ति व्यक्ति को अन्य की नजरों में गिराती है।
समारोह से पूर्व, कुलपति प्रो. एसएस सारंदेवोत ने रक्षामंत्री सिंह का स्वागत किया। रक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में दो करोड़ की लागत से तैयार पवेलियन, क्रिकेट स्टेडियम एवं वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की चेतकारूढ़ प्रतिमा का लोकार्पण किया। समारोह में रक्षामंत्री ने 32 छात्रों को पी.एचडी. की उपाधि प्रदान की। दीक्षांत समारोह में कर्नाटक भाजपा उपाध्यक्ष डॉ. तेजस्विनी अनंत कुमार को जनार्दनराय नागर संस्कृति रत्न सम्मान प्रदान किया गया। इसके तहत उन्हें रजत पत्र, प्रतीक चिह्न, पगड़ी, प्रशस्ति पत्र एवं एक लाख रुपये नकद राशि प्रदान की गई। यह सम्मान उन्हें अपने फाउंडेशन द्वारा भारतीय समाज, संस्कृति की उन्नति के लिए विशिष्ट कार्य करने पर प्रदान किया गया।
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