15वीं शताब्दी की बावड़ी महाराणा प्रताप की राजतिलक स्थली पर स्थित है, यह बावड़ी जल संरक्षण हेतु प्रयुक्त प्राचीन ज्ञान की परिचायक और भारतीय स्थापत्य कला को प्रदर्शित करती
गत दिनों उदयपुर में पर्यावरण संरक्षण गतिविधि की देखरेख में ‘मेरी धरोहर, मेरी शान’अभियान चलाया गया। इसके अंतर्गत उदयपुर के आम लोगों ने श्रमदान करके गोगुन्दा स्थित बावड़ी की सफाई की।
यह बावड़ी महाराणा प्रताप की राजतिलक स्थली पर स्थित है, जो 15वीं शताब्दी की है। यह बावड़ी जल संरक्षण हेतु प्रयुक्त प्राचीन ज्ञान की परिचायक और भारतीय स्थापत्य कला को प्रदर्शित करती एक अद्वितीय धरोहर है। रखरखाव के अभाव में यह बावड़ी क्षतिग्रस्त हो गई थी।
इसके संरक्षण के लिए लोगों ने श्रमदान शुरू कर बावड़ी में पड़ी मिट्टी और पत्थरों को बाहर निकाला। समाज ने प्रत्येक रविवार को श्रमदान कर इस ऐतिहासिक बावड़ी को संरक्षित करने का संकल्प भी लिया।
टिप्पणियाँ