मंदिर किसके
September 29, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • Podcast
    • पत्रिका
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • Podcast
    • पत्रिका
No Result
View All Result
Panchjanya
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • पत्रिका
  • My States
  • Vocal4Local
होम भारत

मंदिर किसके

मंदिरों पर किसका नियंत्रण हो, समाज का, सरकार का या किसी अन्य का? क्या मान्यता और विधान के स्तर पर विभिन्न मंदिरों को एक चश्मे से देखा जा सकता है, क्या इनकी व्यवस्था में धार्मिक-आध्यात्मिक से इतर शक्तियों को हस्तक्षेप करना चाहिए? मंदिर हिंदू समाज की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक इकाई हैं, इसलिए ये प्रश्न महत्वपूर्ण हैं। प्रस्तुत है इन प्रश्नों पर ट्विटर स्पेस पर चर्चा में शामिल लोगों की राय

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Apr 10, 2023, 08:01 am IST
in भारत, विश्लेषण, संस्कृति
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

फिलहाल सरकार के नियंत्रण में लगभग 4 लाख मठ-मंदिर हैं। लगभग 18 राज्य सरकारों ने मठ-मंदिरों पर नियंत्रण किया हुआ है। सरकारी नियंत्रण में जाने से मठ-मंदिर लूट के केंद्र बन गए हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने पुरी के जगन्नाथ मन्दिर में सभी पंथों के लोगों को जाने की अनुमति देते हुए मंदिर के प्रबंधन के लिए 2019 में कई दिशानिर्देश जारी किए थे। अब सर्वोच्च न्यायालय ने इन निर्देशों के अनुपालन पर ओडिशा सरकार से विस्तृत स्थिति रिपोर्ट तलब की है। हर मंदिर का एक विशेष चरित्र होता है। स्थान, मत, परंपरा, देवी-देवता के आधार पर हर मंदिर का स्वरूप और मान्यताएं अलग-अलग हो सकती हैं। वे सभी पर लागू (अप्लाइड टू आल) नहीं होतीं। एक जगह पर बलि चढ़ती है तो दूसरी जगह मांस-मदिरा वर्जित होते हैं।

मंदिरों का यह जो वैविध्य भरा वैशिष्ट्य है, यह मंदिरों को अनूठापन देता है। ऐसा कहीं और नहीं है। यदि किसी और चश्मे से आप देखेंगे तो मंदिर समझ में नहीं आएंगे। मंदिरों का विषय पूरी तरह से उस स्थान, देवी-देवता से जुड़ी मान्यताओं के साथ नत्थी है। अन्य आधार पर उसमें हस्तक्षेप उस मंदिर के स्वरूप, महात्म्य को नष्ट करता है। तो मंदिर किसके हैं, मंदिरों पर किसका स्वामित्व होना चाहिए, मंदिरों की व्यवस्था में हस्तक्षेप कौन कर सकता है, इन प्रश्नों पर हमने ट्विटर स्पेस पर विमर्श का आयोजन किया।

प्रस्तुत है विमर्श में शामिल लोगों की राय :
स्वामी शैलेषानंद जी कहते हैं कि जब हम अपने मंदिरों-मठों पर शासकीय नियंत्रण देखते हैं तो हास्यास्पद लगता है। उनके व्यापारीकरण से हम आहत होते हैं। हमारा धर्म आमजन के लिए है न कि किसी विशिष्टजन के लिए। ईश्वर के सामने प्रत्येक दर्शनार्थी, श्रद्धालु एकसमान है। विशिष्टता का सिद्धांत सनातन धर्म पर लागू हो रहा है जो निंदनीय है। मंदिरों पर शासकीय नियामक हो सकता है पर शासकीय नियंत्रण नहीं। इसके अलावा, मंदिर श्रद्धा के केंद्र हैं। अन्य पंथों-मजहबों के लोगों को हमारी संस्कृति का वैभव, व्यापकता देखनी है तो महाकाल मंदिर की तर्ज पर गलियारा बना कर उन्हें अनुमति दी जा सकती है परंतु इसमें भी एक अनुशासन निर्धारित होना चाहिए। मैं यहां यह पूछना चाहूंगा कि क्या हम सनातनियों को उनके मक्का-मदीना स्थित मजहबी स्थलों या वेटिकल सिटी स्थित चर्च के भीतर जाने की अनुमति है? हमें इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है।

मंदिर हिंदुओं की सांस्कृतिक इकाई हैं। जैसे 1906 में गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी बनी, उसी तरह मंदिरों के प्रबंधन का पूरा अधिकार हिंदू समाज को होना चाहिए। जहां तक मंदिरों में अन्य मत-मजहबों के लोगों के प्रवेश का प्रश्न है तो धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थल, दोनों अलग विषय हैं। इसलिए मंदिरों के आसपास उनकी गरिमा बनी रहनी चाहिए।

-डॉ. ब्रजेश कुंतल

सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि मठ-मंदिरों के पास गौशाला, वेदशाला, यज्ञशाला और आयुर्वेदशाला होती थी जिससे वहां भारतीय संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती थी और उसका प्रचार-प्रसार होता था। अंग्रेजों ने उन पर नियंत्रण के लिए, भारतीय संस्कृति को विनष्ट करने के लिए दो कानून बनाए। स्वतंत्रता मिलने के पश्चात भारत सरकार ने इन कानूनों को समाप्त करने के बजाय 33 कानून और बना दिए। फिलहाल सरकार के नियंत्रण में लगभग 4 लाख मठ-मंदिर हैं। जिस मठ-मंदिर की आर्थिक स्थिति मजबूत है, उस पर सरकारी नियंत्रण हो गया है। लगभग 18 राज्य सरकारों ने मठ-मंदिरों पर नियंत्रण किया हुआ है। सरकारी नियंत्रण में जाने से मठ-मंदिर लूट-खसोट के केंद्र बन गए और पूजन, अध्यात्म जैसी भावनाएं लुप्त होने लगीं। मठ-मंदिरों से सरकारों को लगभग 1 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हो रहे हैं। लेकिन इस पैसे का उपयोग मठ-मंदिरों के विकास या सनातन संस्कृति के विकास पर होने के बजाय अन्य मजहबों को रेवड़ियां बांटने में हो रहा है।

उदाहरण के लिए तमिलनाडु सरकार की तरफ से अल्पसंख्यक आधार पर बच्चों को प्रतिमाह 1000 रुपये दिए जाते हैं। यदि किसी हिंदू बच्चे की माली हालत खराब है तो उसे पैसा नहीं मिलेगा परंतु यदि वह मुस्लिम या ईसाई है तो उसे पैसे मिलेंगे। ऐसे में उस पैसे के लालच में कई लोग रिलीजन के कॉलम में मुस्लिम-ईसाई बन गये हैं। जिन मठ-मंदिरों के जरिए कन्वर्जन को रोका जा सकता था, उन्हीं मठ-मंदिरों के धन से कन्वर्जन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसलिए मठ-मंदिर स्वतंत्र होने चाहिए और इनका पूरा पैसा सनातन संस्कृति के लिए खर्च होना चाहिए। इसके लिए समान धर्मस्थल संहिता होनी चाहिए। इसमें सरकार तय कर ले कि धार्मिक विषयों में कितना दखल देना है, जो भी हो, वह सबके लिए होना चाहिए। ऐसा न हो कि मठ-मंदिरों के लिए नियम कुछ और हों और अन्य पंथों-मजहबों के आस्था केंद्रों के लिए अलग।

विश्व हिंदू परिषद के विनोद बंसल कहते हैं कि मंदिर कोई पर्यटन स्थल नहीं हैं। वे ऊर्जा के केंद्र हैं और पात्रों को ही वहां जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। शासकीयकरण और व्यापारीकरण ने मंदिरों के सामने बड़ी समस्या उत्पन्न कर दी है। ये मंदिर ऊर्जा के केंद्र हुआ करते थे, समाज को संस्कारित करने के केंद्र होते थे परंतु शासकीयकरण से ये उद्देश्य लुप्त से हो गए हैं। अब समाज जाग गया है और शासन को भी जागना होगा। मंदिरों को मुक्ति दिलाकर उनके पास स्वतंत्रता आनी चाहिए। हर मंदिर में अलग-अलग स्थान और ईश्वर के रूप एवं मान्यताओं के अनुसार परिवर्तन होता है। हमारी संस्कृति बहुत वृहद है। अनेकता में एकता को लिये हुए मंदिरों की एक विराट परंपरा है। यह बनी रहनी चाहिए।

रुद्र विक्रम सिंह ने कहा कि मंदिरों में अभी कई ऐसे लोग पहुंच जाते हैं जिनकी मंदिर के प्रति कोई आस्था नहीं होती। मंदिरों पर नियंत्रण के जो पुराने कानून हैं, जब तक वे निरस्त नहीं होंगे, तब तक मंदिरों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त नहीं होगा। आकांक्षा ओझा ने कहा कि आस्था केंद्रों पर भीड़ बहुत बढ़ गई है परंतु आस्थावान लोग बहुत कम दिखते हैं। हर मोड़ पर सेल्फी लेने वाले मिल जाएंगे, मंदिर परिसर में होटल-रेस्तरां खुल गए हैं जिससे उनके तीर्थत्व का क्षरण हो रहा है। पहले मंदिर एकता और संपर्क के केंद्र हुआ करते थे। अब नई व्यवस्थाओं में लोग-एक-दूसरे से मिलते तक नहीं। डॉ. ब्रजेश कुंतल कहते हैं कि मंदिर हिंदुओं की सांस्कृतिक इकाई हैं। जैसे 1906 में गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी बनी, उसी तरह मंदिरों के प्रबंधन का पूरा अधिकार हिंदू समाज को होना चाहिए। जहां तक मंदिरों में अन्य मत-मजहबों के लोगों के प्रवेश का प्रश्न है तो धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थल, दोनों अलग विषय हैं। इसलिए मंदिरों के आसपास उनकी गरिमा बनी रहनी चाहिए।

Topics: गौशालाMuslim-ChristianSanatan DharmaTemple centers of reverenceJagannath TempleGurdwara Management Committeeजगन्नाथ मन्दिरTemples ofवेदशालामंदिर हिंदुओं की सांस्कृतिक इकाईसर्वोच्च न्यायालययज्ञशाला और आयुर्वेदशालासनातन धर्ममुस्लिम-ईसाईSupreme Courtमंदिर श्रद्धा के केंद्रVishwa Hindu Parishadगुरुद्वारा प्रबंधन कमेटीविश्व हिंदू परिषदVedshalaGaushalaYagyashala and Ayurvedashala
Share4TweetSendShareSend

संबंधित समाचार

सनातन का अपमान अस्वीकार

सनातन का अपमान अस्वीकार

सनातन धर्म मानवता और विज्ञान की नींव

सनातन धर्म मानवता और विज्ञान की नींव

हिन्दू समाज की दरारों को पाटना ही जिनके जीवन का उद्देश्य था

श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के सूत्रधार अशोक सिंहल जी, हिंदू समाज की दरारों को पाटना जिनके जीवन का उद्देश्य था

श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

मनी लांड्रिंग मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर 18 अक्टूबर को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

राजस्थान: तिलक लगाकर स्कूल जाने पर छात्र को पीटा, इस्लाम अपनाने का भी दबाव डाला, अलवर की घटना

सनातन का विरोध करने वालों को वोट की पेटी में दफन करके घर बैठा दें : सीपी जोशी

श्रेय, अड़चनें डालने का!

श्रेय, अड़चनें डालने का!

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

कंगाल पाकिस्तान ने सऊदी अरब और चीन के सामने फैलाई झोली, मांगे 11 अरब अमेरिकी डॉलर

कंगाल पाकिस्तान ने सऊदी अरब और चीन के सामने फैलाई झोली, मांगे 11 अरब अमेरिकी डॉलर

नेपाल में भारत के 4000 करोड़ के निवेश से पांच वर्ष में बनेगा रक्सौल-काठमांडू रेलमार्ग

नेपाल में भारत के 4000 करोड़ के निवेश से पांच वर्ष में बनेगा रक्सौल-काठमांडू रेलमार्ग

America ने त्रूदो को धीरे से दिया जोर का झटका, कहा-Canada पर कोई बात नहीं हुई जयशंकर और ब्लिंकेन के बीच

America ने त्रूदो को धीरे से दिया जोर का झटका, कहा-Canada पर कोई बात नहीं हुई जयशंकर और ब्लिंकेन के बीच

वन्यजीव बोर्ड की बैठक : लंबित योजनाओं पर काम करने पर जोर

लंदन में हुआ 12500 करोड़ के निवेश का करार : मुख्यमंत्री

देश के लिए यह समय हर क्षेत्र में प्रथम बनने के लिए अनुकूल : अमित शाह

देश के लिए यह समय हर क्षेत्र में प्रथम बनने के लिए अनुकूल : अमित शाह

अमेरिका: खालिस्तानियों के विरुद्ध सड़कों पर उतरे भारतीय-अमेरिकी, हिंदू विरोध नहीं स्वीकार

अमेरिका: खालिस्तानियों के विरुद्ध सड़कों पर उतरे भारतीय-अमेरिकी, हिंदू विरोध नहीं स्वीकार

PM Narendra modi to visit Uttarakhand

11-12 अक्टूबर को उत्तराखंड के दौरे पर पीएम मोदी, शिवालय का करेंगे भूमिपूजन

विधायक खैरा की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में ‘आप’ व कांग्रेस में कड़वाहट बढ़ी

विधायक खैरा की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में ‘आप’ व कांग्रेस में कड़वाहट बढ़ी

खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फार जस्टिस ने अन्य पंजाबी गायकों को भी दी धमकी

खालिस्तानी आतंकी पन्नू की क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खालिस्तानी झंडा फहराने की धमकी

स्वच्छ भारत एक साझा जिम्मेदारी, हर प्रयास महत्वपूर्ण : प्रधानमंत्री

स्वच्छ भारत एक साझा जिम्मेदारी, हर प्रयास महत्वपूर्ण : प्रधानमंत्री

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • बोली में बुलेटिन
  • Podcast
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • पत्रिका
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies