हनुमान जन्मोत्सव : महावीर हनुमान के व्यक्तित्व में समाहित हैं लाइफ मैनेजमेंट के अनूठे सूत्र
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम धर्म-संस्कृति

हनुमान जन्मोत्सव : महावीर हनुमान के व्यक्तित्व में समाहित हैं लाइफ मैनेजमेंट के अनूठे सूत्र

हनुमान जी रुद्र के अंशावतार अवतार हैं और सूर्य नारायण के शिष्य। सूर्य से ज्ञान प्राप्त करते हुए उन्होंने आठ सिद्धियां हासिल की थीं

by पूनम नेगी
Apr 23, 2024, 09:48 am IST
in धर्म-संस्कृति
Hanuman Jayanti special

हनुमान जी

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत की सनातन संस्कृति के अष्ट चिरंजीवियों में शुमार संकटमोचन हनुमान राम कथा के ऐसे अविस्मरणीय अमर पात्र हैं जिनके सबल आधार पर ही राम –रावण के महासमर में रामविजय की पटकथा लिखी गयी थी। शास्त्र कहते हैं कि स्वयं भगवान श्रीराम ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था। यदि उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को गढ़ने वाला प्रमुख सूत्रधार कहें तो जरा भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। पौराणिक मान्यता के अनुसार महावीर हनुमान का जन्म अब से तकरीबन एक करोड़ 85 लाख 58 हजार 112 वर्ष पहले चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सूर्योदय काल में माता अंजना के गर्भ से हुआ था। तभी से हिन्दू धर्मावलम्बी प्रति वर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा को महावीर हनुमान जन्मोत्सव मनाते आ रहे हैं।

ज्ञात हो कि भारतीय-दर्शन में निष्काम सेवाभाव को सर्वोच्च मान्यता मिली हुई है। इस निष्काम सेवा भावना जैसे महान सदगुणों के सर्वाधिक ज्वलंत प्रतीक हैं महावीर हनुमान। केसरीसुत और अंजनी नंदन महाबली हनुमान का जीवन हमें यह शिक्षण देता है कि बिना किसी अपेक्षा के सेवा करने से व्यक्ति भक्त ही नहीं, वरन भगवान तक बन सकता है। बलवानों में भी महाबलवान ने रावण और मेघनाद को ही नहीं, भीम के भी अहंकार को समाप्त कर उनकी भूल का अहसास कराया था।

अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता

आप जानते हैं क्या था हनुमान के महाशक्तिशाली होने का राज? हनुमान चालीसा के एक दोहे “अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता अस वर दीन्ह जानकी माता।” में हनुमान जी की शक्ति का राज छुपा हुआ है। हनुमान जी रुद्र के अंशावतार अवतार हैं और सूर्य नारायण के शिष्य। सूर्य से ज्ञान प्राप्त करते हुए उन्होंने आठ सिद्धियां हासिल की थीं। इनमें पहली है ‘अणिमा’ सिद्धि। यह ऐसी सिद्धि है जिससे व्यक्ति अपने आकार में मनचाहा आकर दे सकता है। इसी सिद्धि के बल पर हनुमान ोजी ने सूक्ष्म रूप धर कर अशोक वाटिका में माता जानकी के सामने प्रकट हुए थे। दूसरी है ‘लघिमा’ सिद्धि- इसके बल से हनुमान जी सैकड़ों योजन का सागर एक ही छलांग में लांघ कर लंका में प्रवेश करने में सफल हुए थे। तीसरी है ‘गरिमा’ सिद्धि- इस सिद्धि से शरीर को जितना चाहे भारी बनाया जा सकता है। इसी सिद्धि से हनुमान जी ने अपनी पूंछ को इतना भारी बना दिया था कि भीम जैसा महाबलशाली भी उसे हिला तक नहीं सके। चौथी सिद्धि है ‘प्राप्ति’- अपने नाम के अनुसार यह ऐसी सिद्धि है जिससे इच्छा मात्र से मनचाही वस्तु सामने आ जाती है।

अपनी इसी सिद्धि के कारण हनुमान जी परम संतोषी कहलाए और उन्होंने भगवान राम के द्वारा दिए मोतियों को भी कंकड़ के समान माना और आजीवन श्रीराम की भक्ति में लीन रहे। पांचवीं सिद्धि है ‘प्राकाम्य’- इस सिद्धि से व्यक्ति जो भी कामना करता है वह तुरन्त पूरी हो जाती है। छठी है ‘महिमा’ सिद्धि-यह ऐसी सिद्धि है जिसे हासिल करके व्यक्ति अपने व्यक्ति की महत्ता कहीं भी स्थापित कर सकता है। हनुमान जी ने लंका पर चढ़ाई के समय कई बार इस सिद्धि का प्रयोग किया था। सातवीं है-‘ईशित्व’ सिद्धि- इस सिद्धि से व्यक्ति में ईश्वरत्व का वास हो जाता है यानी व्यक्ति में ईश्वर की शक्ति आ जाती है और वह पूजनीय हो जाता है। इसी सिद्धि के कारण हनुमान जन-जन के आराध्य व पूज्य बन गये। आठवीं सिद्धि है ‘वशित्व’ सिद्धि- इस सिद्धि को प्राप्त करके किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है। इन्हीं सिद्धियों के बल पर महावीर हनुमान जितेन्द्रिय कहलाते हैं। जानना दिलचस्प हो कि हनुमान के चरित्र में लाइफ मैनेजमेंट के कई ऐसे अनूठे सूत्र समाये हुए हैं जिन्हें अपने जीवन में उतार कर हम सफल व सार्थक जीवन जी सकते हैं।

इस महामनीषी के जन्मोत्सव के पुण्य अवसर पर आइए जानते हैं उनके व्यक्तित्व के दिव्य गुणों के बारे में-

लोकमंगल के अप्रतिम साधक

“रामकाज कीन्हें बिना मोहिं कहां विश्राम” के सूत्र को जीवनमंत्र बनाने वाले महावीर हनुमान के व्यक्तित्व लोकमंगल के अप्रतिम साधक के दिग्दर्शन होते हैं। जनसामान्य को लोकसेवा का कल्याणकारी मंत्र देने वाले भक्त शिरोमणि हनुमान का जीवन यह सीख देता है कि व्यक्ति को धरती के समान सहनशील होना चाहिए, तभी बल स्थिर रह सकेगा। प्रभु श्रीराम के जीवन का प्रत्येक महत्वपूर्ण कार्य हनुमान के द्वारा सम्पन्न हुआ। चाहे प्रभु श्रीराम की वानरराज सुग्रीव से मित्रता करानी हो, सीता माता की खोज में अथाह सागर को लांघना हो, स्वर्ण नगरी को जलाकर लंकापति का अभिमान तोड़ना हो, संजीवनी लाकर लक्ष्मण जी की प्राण-रक्षा करनी हो, प्रत्येक कार्य में भगवान राम के प्रति उनकी अनन्य आस्था प्रतिबिंबित होती है।

बल, बुद्धि व विद्या का अद्भुत संतुलन

हनुमान जी अपार बलशाली हैं तो वहीं तो विद्वता में भी उनका सानी नहीं है। फिर भी उनके भीतर रंचमात्र भी अहंकार नहीं। किसी भी कार्य की सफलता के लिए व्यक्ति में बल, बुद्धि व विद्या; इन तीनों गुणों का संतुलन होना अनिवार्य होता है। इन तीनों में एक भी गुण की कमी हो तो साधना का उद्देश्य सफल नहीं हो सकता है। पहला साधना के लिए बल जरूरी है। निर्बल व कायर व्यक्ति साधना का अधिकारी नहीं हो सकता। दूसरे, साधक में बुद्धि और विचारशक्ति होनी चाहिए। इसके बिना साधक पात्रता विकसित नहीं कर पाता और तीसरे विद्या, क्योंकि विद्यावान व्यक्ति ही आत्मज्ञान हासिल कर माया की ग्रंथि खोल सकने में सक्षम हो सकता है। महावीर हनुमान इन तीनों गुणों के समन्वय के अद्वितीय उदाहरण हैं।

अटूट ईशभक्ति

महावीर हनुमान के व्यक्तित्व में अपने आराध्य प्रभु राम के प्रति अटूट भक्ति दिखायी देती है। वे अपने किये बड़े से बड़े कार्य का श्रेय भगवान राम को देते हैं। विशाल समुद्र को लांघ कर रावण की लंका में आग लगाकर जब पवनपुत्र ने जब भगवान राम के पास पहुंचे तो उन्होंने हनुमानजी की प्रशंसा करते हुए कहा कि हे अंजनिनंदन! इतना बड़ा कार्य, सौ योजन का समुद्र तुमने कैसे लांघा। तब हनुमंत लला ने बड़ी विनम्रता से कहा, प्रभु ये सब सिर्फ आपकी कृपा है। ‘’प्रभू मुद्रिका मेल मुख माही ’’ अर्थात ये सब प्रताप तो आपकी मुद्रिका यानि अंगुठी का था जिसे मुंह में रख कर ही मैं सागर पार कर पाया।

यह सुनकर श्रीराम ने मुस्कुरा कर, कहा चलो मान लिया किंतु वापस आते समय तो तुम्हारे पास मुद्रिका नहीं थे वो तो तुम जानकी को दे आये थे फिर कैसे सागर पार किया? इस पर हनुमानजी बड़ी विनम्रता से बोले, ‘’प्रभु! समुद्र के इस पार से उस पार तो आपकी मुद्रिका ने लगाया और वापसी में मां जानकी द्वारा दी गयी चूड़ामणि ने। अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा व भक्ति का ऐसा उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है। आज की इन विषम स्थितियों हमें भी उनकी तरह अपने इष्ट पर पूरा विश्वास रखना चाहिए कि वे हमें हर समस्या से उबार लेंगे।

विवेक के अनुसार निर्णय

अवसर के अनुसार खुद को ढाल लेने की हनुमानजी की प्रवृत्ति अद्भुत है। जिस वक्त लक्ष्मण रणभूमि में मूर्छित हो गए, उनके प्राणों की रक्षा के लिए वे पूरे पहाड़ उठा लाए, क्योंकि वे संजीवनी बूटी नहीं पहचानते थे। अपने इस गुण के माध्यम से वे हमें तात्कालिक विषम स्थिति में विवेकानुसार निर्णय लेने की प्रेरणा देते हैं। हनुमान जी हमें भावनाओं का संतुलन भी सिखाते हैं। लंका दहन के बाद जब वह दोबारा सीता जी का आशीष लेने पहुंचे, तो उन्होंने उनसे कहा कि वे अभी उन्हें वहां से ले जा सकते हैं, लेकिन वे ऐसा करना नहीं चाहते हैं। रावण का वध करने के पश्चात ही प्रभु श्रीराम ही आपको यहां से आदर सहित ले जाएंगे। इसलिए उन्होंने सीता माता को उचित समय पर आकर ससम्मान वापिस ले जाने को आश्वस्त किया।

आदर्शों से समझौता नहीं

महावीर हनुमान ने अपने जीवन में आदर्शों से कोई समझौता नहीं किया। लंका में रावण के उपवन में हनुमान जी और मेघनाथ के मध्य हुए युद्ध में मेघनाथ ने ‘ब्रह्मास्त्र’ का प्रयोग किया। हनुमान जी चाहते तो वे इसका तोड़ निकाल सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वे उसका महत्व कम नहीं करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने ब्रह्मास्त्र का तीव्र आघात सह लिया। गोस्वामी जी हनुमानजी की मानसिकता का चित्रण करते हुए लिखते हैं, ‘’ब्रह्मा अस्त्र तेहि सांधा, कपि मन कीन्ह विचार। जौ न ब्रहासर मानऊं, महिमा मिटाई अपार।।‘’ हनुमान के जीवन से हम शक्ति व साम‌र्थ्य के अवसर के अनुकूल उचित प्रदर्शन का गुण सीख सकते हैं। ‘’ सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा।‘’ सीता के सामने उन्होंने खुद को लघु रूप में रखा, क्योंकि यहां वह पुत्र की भूमिका में थे, लेकिन संहारक के रूप में वे राक्षसों के लिए काल बन गए।

 

feat

Topics: हनुमान जयंतीHanuman Jayantihanuman chalisaSanatan DharmaLord Ramभगवान रामपाञ्चजन्य विशेषलाइफ मैनेजमेंटLife Managementसनातन धर्महनुमान चालीसा
Share3TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त

Air India Crash Report: उड़ान के तुरंत बाद बंद हुई ईंधन आपूर्ति, शुरुआती जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

पुलिस की गिरफ्त में अशराफुल

फर्जी आधार कार्ड बनवाने वाला अशराफुल गिरफ्तार

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

अहमदाबाद विमान हादसा

Ahmedabad plane crash : विमान के दोनों इंजन अचानक हो गए बंद, अहमदाबाद विमान हादसे पर AAIB ने जारी की प्रारंभिक रिपोर्ट

आरोपी

उत्तराखंड: 125 क्विंटल विस्फोटक बरामद, हिमाचल ले जाया जा रहा था, जांच शुरू

उत्तराखंड: रामनगर रेलवे की जमीन पर बनी अवैध मजार ध्वस्त, चला बुलडोजर

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies