शरणार्थियों को उजाड़ने का षड्यंत्र
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शरणार्थियों को उजाड़ने का षड्यंत्र

1965 में पूर्वी पाकिस्तान से आए कुछ हिंदू शरणार्थियों को राजमहल में गंगा के किनारे बसाया गया था। अब उनकी जमीन पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाने के लिए षड्यंत्र रचा गया है

by रितेश कश्यप
Apr 7, 2023, 02:28 pm IST
in भारत, झारखण्‍ड
हिंदू शरणार्थियों के गांव का एक दृश्य

हिंदू शरणार्थियों के गांव का एक दृश्य

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700 हिंदू शरणार्थी परिवार घर बनाकर रह रहे हैं और बाकी जमीन पर खेती कर गुजारा करते हैं। इस समय इनकी कुल जनसंख्या लगभग 7,000 है। इन हिंदुओं के सामने एक बार फिर से उजड़ने की स्थिति पैदा हो गई है।

तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में 1965 में ऐसी स्थिति पैदा कर दी गई थी कि वहां के हिंदू जान-माल बचाने के लिए भारत में शरण लेने लगे थे। उस समय लाखों हिंदू भारत आए और भारत सरकार ने मानवीय आधार पर उन्हें शरणार्थी माना। यही कारण है कि ऐसे हिंदुओं को भारत की नागरिकता दी गई और जगह-जगह उन्हें विधिवत बसाया भी गया। ऐसे ही कुछ हिंदुओं को झारखंड के राजमहल में गंगा किनारे जमीन अधिग्रहित कर बसाया गया था। अब इन हिंदुओं के सामने एक बार फिर से उजड़ने की स्थिति पैदा हो गई है। दुर्भाग्य से इन हिंदुओं को वे मुस्लिम घुसपैठिए उजाड़ने का प्रयास कर रहे हैं, जिनकी पिछली पीढ़ी ने इन्हें बांग्लादेश से भागने के लिए विवश किया था।

मामला राजमहल प्रखंड के अंतर्गत पड़ने वाली पूर्वी नारायणपुर पंचायत का है। बता दें कि इस पंचायत में चार टोले हैं, जहां 1965 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से आए हिंदुओं को बसाया गया था। भारत सरकार ने इन लोगों को भारत की नागरिकता दी थी। यही नहीं, 1987 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने इन शरणार्थियों के लिए 2,500 बीघा जमीन का प्रबंध किया था। राज्य सरकार ने यह जमीन स्थानीय राजा से ली थी। इसके लिए राजा को मुआवजा भी दिया गया था।

उसी जमीन के कुछ हिस्से पर 700 हिंदू शरणार्थी परिवार घर बनाकर रह रहे हैं और बाकी जमीन पर खेती कर गुजारा करते हैं। इस समय इनकी कुल जनसंख्या लगभग 7,000 है। इन हिंदुओं के सामने एक बार फिर से उजड़ने की स्थिति पैदा हो गई है। इसके दो कारण हैं-एक, जिहादी षड्यंत्र और दूसरा, झारखंड सरकार। विशेषज्ञ मान रहे हैं वोट बैंक को खुश करने के लिए सोरेन सरकार ने न्यायालय में इस मामले की सही तरीके से पैरवी नहीं की। इस कारण इन शरणार्थियों के सामने फिर से संकट खड़ा हो गया है।

गांव में जमीन की माप किए जाने का विरोध करते ग्रामीण

प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस जमीन पर ये लोग बसे हैं, उसका वर्षों से सर्वेक्षण नहीं हुआ है। सरल शब्दों में कहें तो इस जमीन का मालिकाना हक शरणार्थियों को नहीं मिल पाया है। कहा जा रहा है कि इसी का लाभ उठाते हुए एक गिरोह ने इस जमीन के फर्जी कागजात बनवा लिए। पहले इस गिरोह का नेतृत्व मोहम्मद यूसुफ करता था। उसकी मौत के बाद उसकी जगह मखदूम हाजी ने ले ली है। कुछ लोगों ने बताया कि इस गिरोह के पीछे कई बड़े लोग हैं। यही कारण है कि ये लोग मनमाने तरीके से कहीं भी दावा कर देते हैं।
पता चला है कि फर्जी कागजातों के आधार पर इस जमीन पर मोहम्मद यूसुफ ने 2012-13 में अपना दावा जताया था। इसके बाद उसने साहिबगंज के उपायुक्त न्यायालय में एक वाद दाखिल किया।

कुछ वर्ष बाद उपायुक्त न्यायालय ने उस जमीन का सीमांकन कराने का निर्देश दिया, लेकिन कई वर्ष तक यह कार्य नहीं हो पाया। इसके बाद यूसुफ 2019-20 में रांची उच्च न्यायालय पहुंचा। उच्च न्यायालय ने भी 2020 में उपायुक्त को सीमांकन कार्य कराने का निर्देश दिया। लेकिन किसी न किसी कारणवश वह टलता गया। मुसलमान पक्ष ने एक बार फिर से उच्च न्यायालय से गुहार लगाई। इसके बाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में उपायुक्त से अपने आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट मांगी है। यही कारण है कि पिछले दिनों राजमहल के अंचलाधिकारी ने इन परिवारों को नोटिस देकर बताया कि जहां ये लोग रह रहे हैं उच्च न्यायालय के आदेश पर उसका सीमांकन कराया जाएगा।

घुसपैठियों को बसाने की साजिश
इसके बाद से ही हिंदू शरणार्थियों को उजड़ने का डर सताने लगा है। हालांकि साहिबगंज के उपायुक्त रामनिवास यादव ने कहा है कि अभी किसी का विस्थापन नहीं होगा, न ही किसी को उनकी जमीन से बेदखल किया जाएगा। लेकिन प्रशासन के प्रति हिंदुओं में भरोसा पैदा नहीं हो पा रहा है। गांव के एक बुजुर्ग राजकुमार मंडल ने बताया कि मुसलमानों ने फर्जी कागजात बनाकर हमारी जमीन पर दावा किया और दुर्भाग्य से उनके दावे को एक तरह से मान लिया गया है।

इस कारण हमें प्रशासन के आश्वासन पर भरोसा नहीं है। एक अन्य ग्रामीण गौतम राय कहते हैं, ‘‘हम लोगों के माता-पिता पूर्वी पाकिस्तान में जिहादी अत्याचार से पीड़ित करते थे। इसलिए 1965 में उन लोगों ने भारत में शरण ली। उन्हें भारत की नागरिकता दी गई और इस जगह पर बसाया गया। अब एक बार फिर से हमें उजाड़ने की कोशिश की जा रही है। हमें जमीन से बेदखल कराने के लिए कुछ भूमाफिया लगे हुए हैं, जो खुद बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं। ये लोग इस जमीन पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाना चाहते हैं।’’ उन्होंने यह भी बताया कि ये लोग निरंतर हिंदुओं को परेशान कर रहे हैं। कभी फसल में आग लगा देते हैं, तो कभी और किसी तरीके से परेशान करते हैं।

पहले मोहम्मद यूसुफ इस जमीन पर कब्जा करना चाहता था। अब उसकी मौत के बाद मखदूम हाजी इस जमीन की माप करवाकर इस पर कब्जा करना चाहता है। बता दें कि यह क्षेत्र बांग्लादेशी घुसपैठियों से प्रभावित हो चुका है। यहां मुसलमानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस कारण हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं।

कुछ लोगों ने हिंदुओं को पूरी तरह से धोखे में रखा। उन्होंने मुसलमान पक्ष से मिलकर एक ऐसा षड्यंत्र रचा, जिसकी जानकारी हिंदुओं को समय पर नहीं हुई। इसलिए वे लोग कहीं अपने पक्ष को नहीं रख पाए। अब यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह षड्यंत्रकारियों को सजा दिलाए, ताकि हिंदुओं को फिर एक बार उजड़ना न पड़े। 

इस पूरे मामले को राजमहल के विधायक अनंत कुमार ओझा ने विधानसभा में उठाया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इसका शीघ्र समाधान किया जाए। उनका यह भी कहना है कि सरकार ने हिंदू पक्ष की बात को ठीक से न्यायालय में नहीं रखा। इस कारण यह समस्या पैदा हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि पूरे इलाके में तेजी से जनसांख्यिक बदलाव हो रहा है। बार-बार सरकार और प्रशासन को बताने के बाद भी इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।

इस मामले में यह भी कहा जा रहा है कि कुछ लोगों ने हिंदुओं को पूरी तरह से धोखे में रखा। उन्होंने मुसलमान पक्ष से मिलकर एक ऐसा षड्यंत्र रचा, जिसकी जानकारी हिंदुओं को समय पर नहीं हुई। इसलिए वे लोग कहीं अपने पक्ष को नहीं रख पाए। अब यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह षड्यंत्रकारियों को सजा दिलाए, ताकि हिंदुओं को फिर एक बार उजड़ना न पड़े।

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