राहुल या उनके सलाहकारों को इस बात का जरा भी एहसास नहीं है कि सत्य को दबाए रख सकना कभी संभव नहीं होता। आज देश की जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग सावरकर को अपने नायक के रूप में और देश के प्रति उनके अदम्य योगदान को श्रद्धा की दृष्टि से देखता है।
स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर के लिए ‘अयोग्य’ सांसद राहुल गांधी ने कहा- ‘मेरा नाम सावरकर नहीं है, मेरा नाम गांधी है। गांधी किसी से माफी नहीं मांगता’। हो सकता है, राहुल गांधी के मन में या उनके सलाहकारों के मन में इसके पीछे किसी तरह की कोई राजनीतिक सोच रही हो। वास्तव में 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन को छोड़कर काफी लंबे समय तक अंग्रेजों के विरुद्ध कोई भी आंदोलन तक न छेड़ने वाली कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह देश की स्वतंत्रता को अपने नाम लिखवाने और उसमें भी एक खास परिवार के नाम लिखवाने की कोशिश की थी, उसे देखते हुए ऐसा मानना स्वाभाविक है। लेकिन राहुल या उनके सलाहकारों को इस बात का जरा भी एहसास नहीं है कि सत्य को दबाए रख सकना कभी संभव नहीं होता। आज देश की जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग सावरकर को अपने नायक के रूप में और देश के प्रति उनके अदम्य योगदान को श्रद्धा की दृष्टि से देखता है। आइए देखते हैं, सावरकर को नीचा दिखाने की बार-बार कोशिश करने वाले राहुल गांधी अपने-आपमें क्या हैं?
मानहानि के मामले में अपनी संसद सदस्यता गंवाने वाले राहुल के खिलाफ यह एकमात्र मामला नहीं है। 6 मार्च, 2014 को ठाणे जिले के भिवंडी कस्बे में एक चुनावी रैली में राहुल ने कहा था कि ‘आरएसएस के लोगों ने गांधीजी को मार डाला।’ संघ की भिवंडी इकाई के प्रमुख राजेश कुंटे ने संघ की मानहानि करने के लिए उन पर मुकदमा दायर किया। इस मामले की सुनवाई लगभग पूरी हो चुकी है।
लेकिन राहुल गांधी की इस प्रकार की हरकतें आदतन प्रतीत होती हैं।
राहुल की एक टिप्पणी के कारण उनके खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज हुई हैं। यह मामला जून 2018 का है। तब राहुल ने अमित शाह पर अमदाबाद जिला सहकारी बैंक के निदेशक होने का आरोप लगाते हुए एक ट्वीट किया था। राहुल का आरोप था कि बैंक ने पांच दिनों के भीतर 750 करोड़ रुपये के विमुद्रीकृत धन का लेन-देन किया है। ट्वीट में उन्होंने शाह की फोटो के साथ कैप्शन दिया था- ‘जिस बैंक ने सबसे ज्यादा नोट बंद किए, उस बैंक के निदेशक। उस पार्टी के अध्यक्ष, जो नोटबंदी के बाद 80 प्रतिशत अमीर हो गए।’
इसके बाद अगस्त 2018 में, बैंक और उसके अध्यक्ष अजय पटेल ने राहुल के खिलाफ दो अलग-अलग आपराधिक मानहानि की शिकायतें दर्ज कीं। उन्होंने दावा किया कि गांधी के ‘आधारहीन’ बयानों से उनकी छवि खराब हुई है। राहुल इस मामले में जमानत पर हैं, मामला अदालत में विचाराधीन है।
सितंबर 2017 में, पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलुरु में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उसकी मौत के कुछ घंटों के भीतर, राहुल ने एक प्रेस वार्ता में कहा -‘जो कोई भी भाजपा की विचारधारा के खिलाफ, आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ बोलता है, उस पर दबाव डाला जाता है, पीटा जाता है, हमला किया जाता है और यहां तक कि उसे मार दिया जाता है।’
संघ के कार्यकर्ताओं और वकीलों – ध्रुतिमान जोशी और आदित्य मिश्रा ने इस पर क्रमश: आपराधिक मानहानि और दीवानी मुकदमा दायर किया। अदालत आरोप तय कर चुकी है और फिलहाल वे जमानत पर हैं। मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को है। दीवानी मुकदमा ठाणे की एक स्थानीय अदालत में लंबित है। इस मामले पर छह जून को सुनवाई होने की संभावना है।
सितम्बर 2018 में राफेल युद्धक विमान सौदे को लेकर राहुल ने ट्वीट किया था, ‘भारत के कमांडर-इन-थीफ के बारे में दुखद सच्चाई।’ इस ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा गया था। भाजपा के एक पूर्व नेता महेश श्रीमल ने इस पर राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया। मामला अदालत में लंबित है।
अप्रैल 2019 में, मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए, राहुल ने तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लिए कहा, ‘हत्या के आरोपी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, वाह क्या शान है…।’ भाजपा कार्यकर्ता कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट ने उन पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया। मामला लंबित है।
नेहरू का माफीनामा
सावरकर पर ‘माफीवीर’ होने का आरोप लगाने वाले राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरू को 1923 में एक मामले में गिरफ्तार कर नाभा जेल में रखा गया था। वहां की ‘कठिन परिस्थितियों’ से तंग आकर अपने पिता मोतीलाल नेहरू के जरिए उन्होंने कई दया याचिकाएं ब्रिटिश सरकार को भेजीं। परिणामस्वरूप जवाहरलाल को महज 12 दिन में उस जेल से रिहा कर दिया गया। जेल में ‘कठिन परिस्थिति’ यह थी कि जवाहरलाल के हाथ के ऊपर से एक चूहा गुजर गया था। इससे जवाहरलाल डर गए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ कहा था, लेकिन आज हम ‘रेप इन इंडिया’ देख रहे हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मजिस्ट्रेट अदालत में राहुल के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया। कोर्ट ने शिकायत को स्वीकार करते हुए मामले को सुनवाई के लिए भोपाल की विशेष अदालत में भेज दिया। -राहुल गांधी
लेकिन 2019 में, राहुल गांधी ने झारखंड में कांग्रेस के सम्मेलन के दौरान एक बार फिर अमित शाह को हत्या का आरोपी बताया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस बीजेपी की तरह किसी हत्यारे को पार्टी अध्यक्ष के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती।’ इस बयान पर मानहानि के दो मुकदमे दायर किए गए थे – एक चाईबासा जिले में भाजपा कार्यकर्ता प्रताप कटियार द्वारा और दूसरा रांची में भाजपा कार्यकर्ता नवीन झा द्वारा। राहुल गांधी की याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद से दोनों मामले लंबित हैं।
सावरकर पर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान की गई ‘अपमानजनक’ टिप्पणियों के लिए राहुल के खिलाफ मानहानि के दो मामले नवंबर 2022 में दायर किए गए हैं। एक प्रेस वार्ता में राहुल ने कहा, ‘सावरकर ने आजादी से पहले अंग्रेजों को माफीनामे पर हस्ताक्षर करके महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के साथ विश्वासघात किया था। उन्होंने अंग्रेजों की मदद की।’ इस टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) की नेता वंदना डोंगरे ने ठाणे के एक पुलिस स्टेशन में आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई।
सावरकर के खिलाफ ‘अपमानजनक’ टिप्पणी करके नागरिकों की भावनाओं को आहत करने के लिए मुंबई के शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन में सावरकर के पोते विनायक सावरकर द्वारा भी इसी तरह की शिकायत दर्ज कराई गई थी।
राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ नाम का नारा चलवाने की पूरी कोशिश की थी। लेकिन फिर सर्वोच्च न्यायालय में राहुल ने बिना शर्त माफी मांगी।
2019 में झारखंड में एक चुनावी रैली में राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ कहा था, लेकिन आज हम ‘रेप इन इंडिया’ देख रहे हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मजिस्ट्रेट अदालत में राहुल के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया। कोर्ट ने शिकायत को स्वीकार करते हुए मामले को सुनवाई के लिए भोपाल की विशेष अदालत में भेज दिया।
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