पुलिस के भय से दुबका फिर रहा अलगाववादी संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ का अध्यक्ष भगोड़ा अमृतपाल आज एक विदेशी यूट्यूब चैनल के जरिए सोशल मीडिया पर लाइव हुआ और उसने झूठ की चाशनी में डूबा हूआ जहर उगला। आज सारा दिन अनुमान लगाया जा रहा था कि कुछ शर्तों पर अमृतपाल आत्मसमर्पण कर सकता है। परन्तु शाम को पांच बजे के करीब वह फेसबुक पर लाइव हुआ।
फेसबुक लाइव पर वह यह कहता दिखाई पड़ रहा है कि वह पुलिस का घेरा तोडक़र निकलने में कामयाब रहा और इस समय चढ़दीकला में है। वह पंजाब सरकार पर जहां सिख युवाओं पर अत्याचार किए जाने की बात कहता सुनाई पड़ रहा है वहीं उसने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से बैसाखी के मौके पर तख्त साहिब पर सरबत्त खालसा बुलाने की अपील की है।
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उसने बड़े घल्लुघारे (अहमदशाह अबदाली द्वारा किए गए सिखों के नरसंहार) के समय बुलाए गए सरबत्त खालसा की तर्ज पर इसका अह्वान किया है। ज्ञात रहे कि सरबत्त खालसा सिखों की महापंचायत कही जा सकती है जिसमें सभी पन्थों व संप्रदायों को बुलाया जाता है और सामयिक विषयों पर विचार विमर्श किया जाता है।
अमृतपाल ने अपने वीडियो में कहा कि पुलिस ने जिस प्रकार से युवाओं में भय का माहौल पैदा किया है उन्हें उस डर से निकालने के लिए जत्थेदार साहिब गांव गांव वहीर(मार्च) निकालें। इसमें सभी पंथक संगठन, संप्रदाय और लोग शामिल हों। इसमें कौम के मसलों की बात करें। उसने कहा कि हमारी कौम छोटे छोटे मामलों को लेकर मोर्चे लगाती रही।
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इससे पहले आज अनुमान लगाया जा रहा था कि अमृतपाल तलवण्डी साबो (सिखों के पवित्र तख्त श्री दमदमा साहिब, जिला बठिंडा) या अमृतसर में आत्मसमर्पण कर सकता है। इसी के चलते उक्त स्थानों पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए थे। बीती रात उसके होशियारपुर जिले में होने की खबर मिली थी परन्तु वहां से वह कथिततौर पर फरार हो गया।
पुलिस ने हलफनामा दायर कर कहा- अमृतपाल को नहीं किया गिरफ्तार
वहीं दूसरी तरफ अमृतपाल प्रकरण में पंजाब पुलिस ने हाई कोर्ट में हलफनामा देकर कहा है कि पुलिस ने अमृतपाल को अभी तक न तो गिरफ्तार किया है और न ही उसे डिटेन किया गया है। हाई कोर्ट में अमृतपाल के वकीलों द्वारा दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर मंगलवार को भी सुनवाई हुई थी। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पंजाब पुलिस के आईजी तथा अमृतपाल के वकीलों को हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए थे। अमृतपाल के वकील पंजाब पुलिस पर लगातार उसे अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप लगा रहे थे।
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