मानस में कूटनीति और विदेश नीति
Thursday, June 1, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • Podcast Series
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • Podcast Series
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत

मानस में कूटनीति और विदेश नीति

रामचरितमानस में परराष्ट्र नीति यानी विदेश नीति और कूटनीति के सूत्र मिलते हैं। इसमें श्रीराम, हनुमान, अंगद अनेक स्थानों पर आदर्श विदेश नीति, कूटनीति और सार्वजनिक विदेश नीति (पब्लिक डिप्लोमेसी) के उदाहरण प्रस्तुत करते हैं

प्रशांत बाजपेई by प्रशांत बाजपेई
Mar 28, 2023, 06:42 pm IST
in भारत, संस्कृति
Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

आज एक बार फिर भारत और भारतीयों के साथ संवाद करने के लिए दुनिया ने भारत के आध्यात्मिक प्रवाह को सेतु के रूप में मान्यता देना प्रारंभ कर दिया है। योग, होली, दीपावली, गीता और रामकथा विश्व की राजधानियों, संसदों, राष्ट्राध्यक्षों के आवासों और संबोधनों में स्थान बना रहे हैं।

प्राचीनकाल से रामकथा, दुनिया और भारत के बीच संबंधों की महत्वपूर्ण कड़ी रही है। सैकड़ों-हजारों वर्ष पूर्व यह अफ्रीका, इंडोनेशिया, श्रीलंका, बाली, थाईलैंड, कम्बोडिया, बर्मा, मलेशिया, जापान, फिलिपींस, चीन, लाओस, रूस, मंगोलिया और इटली तक पहुंच चुका था। आज एक बार फिर भारत और भारतीयों के साथ संवाद करने के लिए दुनिया ने भारत के आध्यात्मिक प्रवाह को सेतु के रूप में मान्यता देना प्रारंभ कर दिया है। योग, होली, दीपावली, गीता और रामकथा विश्व की राजधानियों, संसदों, राष्ट्राध्यक्षों के आवासों और संबोधनों में स्थान बना रहे हैं।

याद करें, जब गलवान में चीनी सेना के दुस्साहस का भारत के सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया, तब ताईवान के मीडिया ने चित्र एक ट्वीट किया था, जिसमें श्रीराम चीनी ड्रैगन का वध कर रहे हैं। ट्वीट में लिखा था, ‘हम जीतेंगे और हम मारेंगे।’ कोरोना काल में भारत की ‘वैक्सीन डिप्लोमेसी’ का धन्यवाद करते हुए ब्राजील के राष्ट्रपति ने संजीवनी बूटी लाते हनुमान का चित्र ट्वीट किया था। बराक ओबामा का वह वीडियो साक्षात्कार भी याद होगा, जिसमें वह अपनी जेब से हनुमान की छोटी-सी मूर्ति निकालते हैं और कहते हैं कि वह प्रेरणा के लिए हनुमान मूर्ति को हमेशा साथ रखते हैं।

भारत की सनातन धारा की विशेषता है इसका बहुआयामी होना। जीवन के हर पहलू पर अवतारों और ऋषियों की प्रज्ञा प्रकाश डालती है। रामकथा का घटनाक्रम उत्तर से दक्षिण तक अनेक राज्यों और श्रीलंका तक फैला है। अनेक राजा हैं, राजदूत हैं। स्वाभाविक है कि विदेश नीति और कूटनीति के सूत्र इसमें मिलते हैं। श्रीराम, हनुमान, अंगद अनेक स्थानों पर आदर्श विदेश नीति, कूटनीति और सार्वजनिक विदेश नीति (पब्लिक डिप्लोमेसी) के उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

आदर्श राजनय के सूत्र
राजनय के तीन पहलू हैं- परराष्ट्र नीति (विदेश नीति), कूटनीति और सार्वजनिक कूटनीति (पब्लिक डिप्लोमेसी)। विदेश नीति किसी देश की स्पष्ट और व्यक्त नीति होती है, जिसमें उसके हित और दृष्टिकोण शामिल होते हैं। कूटनीति विदेश नीति के उद्देश्यों को साधने की कुशलता है, जिसमें रणनीति, चतुराई और संवाद कौशल शामिल होते हैं। सार्वजनिक कूटनीति किसी देश द्वारा अन्य देशों की जनता, वहां के विभिन्न समूहों को सीधे संबोधित करने, जोड़ने का काम है। तीनों के गुर रामायण में मिलते हैं। इन तीन उद्देश्यों को साकार करने वाली दो प्रकार की शक्तियों- ‘हार्ड पावर’ अर्थात् आर्थिक व सैन्य शक्ति तथा ‘सॉफ्ट पावर’ यानी संस्कृति, संवाद, शिक्षा, आपातकाल में सहायता आदि का सटीक प्रयोग देखने को मिलता है।

श्रीराम जब अयोध्या से चलते हैं तो सारे मार्ग में ऋषियों, मुनियों और समाज के प्रतिनिधियों से मिलते हैं। संस्कृति और परस्पर हित की माला में सबको पिरोते बढ़ते हुए हैं। सबके महत्त्व और स्वभाव को समझते हुए संवाद करते हैं। राजनय व्यवहार में अलग-अलग सभ्ताओं और संस्कृतियों से संवाद करना होता है। रामायणकाल में भी पूरे भारतवर्ष में एक ही सनातन संस्कृति थी, जिसे बाद में हिंदू संस्कृति कहा गया, पर इस संस्कृति में गुंथी हुई अलग-अलग रहन-सहन परंपराओं वाली अनेक सभ्यताएं थीं।

संस्कृति एक थी, तभी तो जटायु से लेकर वानर और रीछ (वानर, रीछ आदि संकेतों को स्थानीय जनजातियों के टोटम नाम, सामूहिक पहचान चिह्न के रूप में देखना चाहिए) तक नारी अपमान के प्रश्न पर रावण जैसी महाशक्ति से भिड़ने को तैयार हो जाते हैं। अग्नि को साक्षी मानकर (सुग्रीव और श्रीराम) कोई वचन देते है तो उस वचन पर प्राण न्यौछावर करने को भी तैयार रहते हैं। राम सभी सभ्यता के लोगों से आत्मीय संवाद करते हैं। वह सुग्रीव से मित्रता करते हैं और उसे किष्किंधा का राज्य दिलाते हैं। सुग्रीव सीता की खोज में सहायता का आश्वासन देते हैं, लेकिन जब वषार्काल बीत जाने के बाद भी राज्य प्राप्ति के आमोद-प्रमोद में डूबे सुग्रीव सीता की खोज की ओर दुर्लक्ष्य करते हैं तो लक्ष्मण सुग्रीव की राजधानी पहुंच कर अपने बल का प्रदर्शन कर सुग्रीव को उचित मार्ग पर लाते हैं।

लंका को जीतने के बाद राम अपने व्यवहार से लंका की प्रजा का हृदय जीतते हैं। रावण वध के बाद जब राम पूरे सम्मान से रावण का अग्नि संस्कार करवाते हैं, तो निश्चित रूप से लंका की प्रजा को वैरभाव त्याग और भयमुक्त होने का संदेश देते हैं। लंका की संपत्ति और राजकोष को स्पर्श नहीं करते। पुष्पक विमान का मोह नहीं करते। लंका की प्रजा को अयोध्या का मित्र बनाकर और लंका में अयोध्या के मित्र विभीषण का राज्याभिषेक कर वापस लौट आते हैं। लंका जाते समय समुद्र पर सेतु बांधते हैं और लौटते समय मित्रता का सेतु बनाकर आते हैं। राम के इस आचरण से वैदिक आर्य संस्कृति का सब ओर विस्तार होता है। सब ओर राजाओं और राज्यों के लिए अलिखित संहिता स्थापित होती है।

हनुमान महावीर मात्र नहीं हैं। वे समर्पण के कैलाश पर्वत हैं। वे बुद्धिमान, धैर्यवान हैं। उनके इन गुणों का दर्शन उनके आदर्श राजनयिक के रूप में होता है। राजनयिक का कार्य अपने देश का प्रतिनिधित्व और हित संरक्षण करना, रणनीतिक समझौतों की योजना और क्रियान्वयन, सूचना का आदान-प्रदान, अपने देश का प्रभाव और मैत्रीपूर्ण गठजोड़ करना होता है।

राम कथा में हनुमान का प्रथम परिचय ही इन गुणों के साथ होता है। बाली से बचने के लिए ऋष्यमूक पर्वत पर शरण लिया हुआ सुग्रीव दो धनुर्धारियों को पर्वत की तलहटी में देखता है और उन्हें बाली द्वारा अपनी तलाश में भेजे गए वधिक होने की आशंका से बेचैन हो उठता है। वह अपने मंत्री हनुमान को दूत बनाकर भेजता है। यहां भारत में जर्मनी के वर्तमान राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन द्वारा हाल ही में कही गई बात ध्यान आती है कि ‘‘एक राजनयिक को इस धरती पर किसी से भी संवाद करने को तैयार रहना चाहिए। आप अपने हितों की रक्षा करना चाहते हैं तो समझना होता है कि सामने वाले को सुनने के लिए तैयार कैसे किया जाए।’’ हनुमान वृद्ध ब्राह्मण का रूप धर कर जाते हैं ताकि दोनों अजनबी (राम-लक्ष्मण) आशंकित न हों और सहज होकर बात करें। उनके बारे में जानकारी लेते हैं, उनकी सोच, उद्देश्य आदि को भली-भांति समझकर अपने असली रूप को प्रकट करते हैं और उन्हें सुग्रीव के पास लाकर उसकी राम से संधि करवाते हैं।

एक आदर्श राजनयिक को अपने देश का प्रभाव भी जमाना होता है और सामने वाले का मूल्यांकन भी करना होता है। उसे देखना होता है कि जिससे आप बात या समझौता अथवा मोल-तोल कर रहे हैं, उनके समझने का ढंग कैसा है। हनुमान जब लंका पहुंच कर रावण से संवाद करने का विचार करते हैं, लेकिन इससे पहले अशोक वाटिका में अपना महापराक्रम दिखाते हैं। उसके बाद रावण के दरबार में पहुंचते हैं। इस पराक्रम के बिना यदि वह सीधे रावण के पास पहुंच जाते तो शायद रावण उनसे मिलने को भी तैयार नहीं होता। फिर दरबार में उसे अनेक तरह से समझाने का प्रयत्न करते हैं। वह श्रीराम की ओर से आश्वासन भी देते हैं कि इतने गंभीर अपराध के बाद भी यदि वह माता सीता को लौटा दे, तो श्रीराम शत्रुता नहीं रखेंगे, बल्कि करुणा करेंगे। यहां ‘हार्ड पावर’ और ‘सॉफ्ट पावर’ का अद्भुत संतुलन यहां देखने को मिलता है।

एक राजनयिक के रूप में आपको अंदाज होना चाहिए कि दूसरा व्यक्ति कैसी प्रतिक्रिया देगा और आप उसी अनुसार अपनी बात रखते हैं। यहां आपको संवाद भी स्थापित करना होता है और निर्णय भी लेने होते हैं। शत्रु की स्पष्टता से पहचान भी करनी होती है और शत्रु पक्ष में अपने मित्र भी बनाने होते हैं। रावण के इनकार के बाद वह लंका दहन करके लंकापति की सेना और प्रजा पर मनोवैज्ञानिक जीत हासिल करते हैं और विभीषण को धर्मात्मा जानकर उनके मन में राम की शरण में आने का बीज डाल आते हैं। अंतत: विभीषण श्रीराम के अत्यंत समर्पित सहयोगी सिद्ध होते हैं और युद्ध विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

अंगद-रावण का संवाद भी कूटनीति के मनोवैज्ञानिक पक्ष को मजबूती से उकेरता है। अंगद चेतावनी देने जाते हैं। वे पैर जमाकर उसे हिलाने की चुनौती देते हैं और लंका के समस्त वीरों पर धाक जमाते हैं। परन्तु रावण को सम्मान देकर मीठी वाणी बोलते हैं कि ‘‘तुम्हारा उत्तम कुल है। तुम पुलस्त्य ऋषि के पौत्र हो। शिवजी की और ब्रह्माजी की तुमने बहुत प्रकार से पूजा की है। उनसे वर प्राप्त किए हैं और सब काम सिद्ध किए हैं। लोकपालों और सब राजाओं को तुमने जीत लिया है। राजमद से या मोहवश तुम जगत जननी सीताजी को हर लाए हो। अब तुम मेरी हितभरी सलाह सुनो! प्रभु श्रीरामजी तुम्हारे सब अपराध क्षमा कर देंगे।’’ इस पर अपने मद में डूबा रावण जब स्वयं को महान रावण कहता है तो उसे हतोत्साहित करते हुए हनुमान जी कहते हैं, ‘‘एक रावण तो बलि को जीतने पाताल में गया था, तब बच्चों ने उसे घुड़साल में बांध दिया था। बालक खेल-खेल में जा-जाकर उसे मारते थे। बलि को दया आई, तब उन्होंने उसे छोड़ दिया। फिर एक रावण को सहस्रबाहु ने देखा और उसे बांधकर तमाशे के लिए अपने घर ले आया। बाद में पुलस्त्य मुनि ने जाकर उसे छुड़ाया। एक रावण की बात कहने में तो मुझे बड़ा संकोच हो रहा है। वह बहुत दिनों तक बाली की कांख में दबा रहा। तुम इनमें से कौन से रावण हो?’’

लंबे समय तक पाठ्यपुस्तकों और मीडिया में रामायण को भक्ति काव्य मात्र कहा गया, परन्तु रामायण के पक्ष अब उभर कर दुनिया में जा रहे हैं। भारत की विदेश नीति और विदेशियों की भारत नीति पर रामायण का प्रभाव दिख अब रहा है।

Topics: रामभारत की सनातन धाराramवैक्सीन डिप्लोमेसीDiwaliराम कथा में हनुमानदीपावलीGita and Ram Kathaश्रीरामIndia's Sanatan DharaShri RamVaccine DiplomacyहनुमानHanuman in Ram KathaHanumanDiplomacy and Foreign Policy in ManasmanasAyodhyaमानसअयोध्यागीता और रामकथा
Share9TweetSendShareSend
Previous News

माफिया अतीक अहमद को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, कहा- अब सुनवाई का नहीं बनता कोई मामला

Next News

उत्तराखंड : देवघार वन में बनाए गए अवैध मदरसे वन विभाग ने किए ध्वस्त

संबंधित समाचार

अमेरिका में दिवाली पर मिलेगी छुट्टी, न्यूयॉर्क विधानसभा में प्रस्ताव पेश

अमेरिका में दिवाली पर मिलेगी छुट्टी, न्यूयॉर्क विधानसभा में प्रस्ताव पेश

सावरकर और स्वातंत्र्य तीर्थ

सावरकर और स्वातंत्र्य तीर्थ

भगवान श्रीराम के बारे में अमर्यादित टिप्पणी करने वाला गिरफ्तार

भगवान श्रीराम के बारे में अमर्यादित टिप्पणी करने वाला गिरफ्तार

सब पर भारी पड़ी भाजपा

सब पर भारी पड़ी भाजपा

रामायणकालीन स्थलों को विकसित करेगा श्रीलंका

रामायणकालीन स्थलों को विकसित करेगा श्रीलंका

अयोध्या: देखें कितना बन गया है भगवान राम का मंदिर, लेने लगा है आकार

अयोध्या: देखें कितना बन गया है भगवान राम का मंदिर, लेने लगा है आकार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मध्य प्रदेश : सलकनपुर में भव्य देवीलोक का शिलान्यास हुआ, महाकाल लोक की तर्ज पर 211 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा देवीलोक

मध्य प्रदेश : सलकनपुर में भव्य देवीलोक का शिलान्यास हुआ, महाकाल लोक की तर्ज पर 211 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा देवीलोक

कश्मीर : नए बने आतंकी संगठनों के ठिकानों पर NIA की छापेमारी, आपत्तिजनक सामग्री सहित कई डिजिटल उपकरण किए जब्त

कश्मीर : नए बने आतंकी संगठनों के ठिकानों पर NIA की छापेमारी, आपत्तिजनक सामग्री सहित कई डिजिटल उपकरण किए जब्त

राम मंदिर परिसर में बनेगा राम कथा कुंज

अयोध्या : श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए 10 सदस्यीय समिति का होगा गठन, गर्भगृह में तैयारियां अंतिम चरण की ओर

शौहर ने जेठ और तीन भतीजों से कराया रेप, महिला ने मायके आकर जनसुनवाई में की शिकायत

शौहर ने जेठ और तीन भतीजों से कराया रेप, महिला ने मायके आकर जनसुनवाई में की शिकायत

नहीं थमा राजस्थान कांग्रेस का घमासान, पायलट ने कहा- मेरे कमिटमेंट हवाई बातें नहीं,भ्रष्टाचार की जांच पर कोई समझौता नहीं

नहीं थमा राजस्थान कांग्रेस का घमासान, पायलट ने कहा- मेरे कमिटमेंट हवाई बातें नहीं,भ्रष्टाचार की जांच पर कोई समझौता नहीं

अब अहिल्या देवी नगर के नाम से जाना जाएगा अहमदनगर

अब अहिल्या देवी नगर के नाम से जाना जाएगा अहमदनगर

संवैधानिक पदों का मनमाना आदर क्यों ?

संसद पर सांसत में इकोसिस्टम

उत्तराखंड : वन भूमि पर आखिर कैसे दबंग वन गुर्जरों ने अवैध कब्जे कर लिए ?

उत्तराखंड : वन भूमि पर आखिर कैसे दबंग वन गुर्जरों ने अवैध कब्जे कर लिए ?

केंद्रीय कैबिनेट : सहकारिता के माध्यम से 700 लाख टन भंडारण क्षमता विकसित करेगी केंद्र सरकार

केंद्रीय कैबिनेट : सहकारिता के माध्यम से 700 लाख टन भंडारण क्षमता विकसित करेगी केंद्र सरकार

सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस ने बढ़ाई वायु सेना की सटीक मारक क्षमता : एयर चीफ

सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस ने बढ़ाई वायु सेना की सटीक मारक क्षमता : एयर चीफ

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies