रेतीली जमीन में अधिक पीएच के बावजूद अनार की फसल का अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है
राजस्थान में अधिकांश भूमि रेगिस्तानी है। पानी की भी किल्लत है। देश में उपलब्ध कुल पानी का केवल एक प्रतिशत पानी राजस्थान में है। ऐसे में इनसान को उसकी रोजमर्रा की जरूरत के लिए ही पानी मिल जाए, यही काफी है। इसी कारण राजस्थान में खेती घाटे का सौदा हुआ करती थी। लेकिन आधुनिक तकनीक और परम्परागत कृषि के समन्वित उपयोग से कुछ जागरूक किसान खेती को लाभ का सौदा बना कर दूसरे किसानों को नई राह दिखा रहे हैं। बीते कुछ वर्षों में बागवानी के क्षेत्र में राजस्थान में आशातीत वृद्धि हुई है। राज्य में खजूर, ड्रैगन फ्रूट, संतरा, स्ट्रॉबेरी जैसी फसलों की बंपर पैदावार हो रही है। ऐसे ही एक किसान हैं ओम प्रकाश, जिन्होंने खेती को लाभ का सौदा बना दिया है।
जोधपुर जिले के ओसियां क्षेत्र में धुंधाडिया गांव में रहने वाले किसान ओम प्रकाश ने स्नातक शिक्षा पूरी कर 2014 में अपनी पुश्तैनी जमीन पर परंपरागत कृषि आरंभ की। पूर्व में इस जमीन पर रेत के टीले थे। जब इन टीलों को समतल किया, तो पूरी जमीन ही रेतीली हो गई। सबसे बड़ी समस्या यह थी कि मिट्टी में पोषक तत्व न्यूनतम स्तर पर थे। साथ ही, जमीन में पानी गहरे चला गया था और उसका पीएच मान भी अधिक था। ऐसे में परंपरागत खेती से उत्पादन लागत भी नहीं निकल पा रही थी। लिहाजा, उन्होंने लगातार खेती में हो रहे घाटे के कारण खेती छोड़कर बाहर जाकर मजदूरी करने का मन बना लिया था। इस दौरान उन्हें भारतीय किसान संघ द्वारा जैविक कृषि के प्रशिक्षण कार्यक्रम में बागवानी फसलों और फल बगीचे के बारे में जानकारी मिली।
‘‘आज खेती को लेकर मेरे विचार पूरी तरह बदल गए हैं। कड़ी मेहनत, धैर्य, आधुनिक तकनीक और नवाचार से विपरीत परिस्थितियों में भी खेती में सफलता पाई जा सकती है।’’ आज ओमप्रकाश क्षेत्र के किसानों के लिए एक उदाहरण हैं।
यहां उन्हें बताया गया कि रेतीली जमीन में अधिक पीएच के बावजूद अनार की फसल का अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। इसके बाद अनार के पौधों की जानकारी लेकर उन्होंने ड्रिप सिंचाई पद्धति से अनार का बगीचा लगाया। तीन वर्ष तक धैर्य रखकर फसल की देखभाल की और पहले ही वर्ष 3 हेक्टेयर में 5 लाख रुपये का अनार उत्पादन किया। इसमें खुद की मेहनत के अतिरिक्त जो खर्च लगा, वह भी वसूल हो गया।
वे बताते हैं कि अनार में पूर्णतया जैविक आदानों का प्रयोग करने से उत्पादन तो बढ़ा ही, फल की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ। जब अनार से उन्हें नियमित कमाई होने लगी तो उन्होंने सरकार की अनुदान योजना का लाभ उठाया। उन्होंने संरक्षित खेती के तहत एक एकड़ में पॉली हाउस की स्थापना की। अब तीन हेक्टेयर में अनार का बगीचा है। एक एकड़ में पॉली हाउस है। यही नहीं, वे तीन हेक्टेयर में गाजर की खेती भी करते हैं।
इस तरह, महज आठ वर्ष में 5 हेक्टेयर में खीरा, गाजर, अनार की खेती करने वाले ओम प्रकाश हर साल 35 लाख रुपये से अधिक की कमाई कर रहे हैं। वे कहते हैं, ‘‘आज खेती को लेकर मेरे विचार पूरी तरह बदल गए हैं। कड़ी मेहनत, धैर्य, आधुनिक तकनीक और नवाचार से विपरीत परिस्थितियों में भी खेती में सफलता पाई जा सकती है।’’ आज ओमप्रकाश क्षेत्र के किसानों के लिए एक उदाहरण हैं।
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