हिंदू नववर्ष, नवसंवत्सर: इस दिन हुई सृष्टि की रचना, दक्षिण में होती है "नए युग की शुरुआत", जानिये और भी बहुत कुछ
Tuesday, May 30, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • Podcast Series
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • Podcast Series
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत

हिंदू नववर्ष, नवसंवत्सर: इस दिन हुई सृष्टि की रचना, दक्षिण में होती है “नए युग की शुरुआत”, जानिये और भी बहुत कुछ

हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है, हिंदू समाज के लिए यह अत्यंत विशिष्ट है, क्योंकि इसी दिन से नया पंचांग शुरू होता है और इस तिथि से ही साल भर के पर्व-त्योहार, विवाह, नामकरण, गृहप्रवेश इत्यादि शुभ कार्यों के शुभ मुहूर्त तय किए जाते हैं

WEB DESK by WEB DESK
Mar 22, 2023, 03:39 pm IST
in भारत, संस्कृति
भारत में पूरी श्रद्धा के साथ चैत्र नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा अवतरित हुई थीं और उन्हीं के कहने पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण का कार्य प्रारंभ किया था।

भारत में पूरी श्रद्धा के साथ चैत्र नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा अवतरित हुई थीं और उन्हीं के कहने पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण का कार्य प्रारंभ किया था।

Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है। नवसंवत्सर पूरी तरह सूर्य एवं चंद्रमा की गति पर आधारित है। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग’ की रचना की। गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार इसी दिन से ग्रहों, वार, मास और संवत्सरों का प्रारंभ माना जाता है। हिंदू समाज के लिए यह अत्यंत विशिष्ट है, क्योंकि इसी दिन से नया पंचांग शुरू होता है और इस तिथि से ही साल भर के पर्व-त्योहार, विवाह, नामकरण, गृहप्रवेश इत्यादि शुभ कार्यों के शुभ मुहूर्त तय किए जाते हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार, चैत्र प्रतिपदा से ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी। चैत्र माह में नवरात्र, गणगौर, शीतला सप्तमी, रामनवमी, हनुमान जयंती, महावीर जयंती जैसे पर्व भी आते हैं। इस बार के संवत्सर का नाम पिंगल है और इस संवत्सर के राजा बुध हैं।

चैत्र नवरात्र 

भारत में पूरी श्रद्धा के साथ चैत्र नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा अवतरित हुई थीं और उन्हीं के कहने पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण का कार्य प्रारंभ किया था। चैत्र माह की नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र के रूप में अवतार लिया था। इसलिए यह दिन रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।

नए युग की शुरुआत

दक्षिण भारत, विशेषकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में नवसंवत्सर को उगादि के रूप में मनाया जाता है। उगादि संस्कृत शब्द युग व आदि से बना है, जिसका अर्थ है- नए युग की शुरुआत। इस दिन लोग अपने घरों और पास-पड़ोस में सफाई करते हैं तथा घरों के प्रवेश द्वार पर आम के पत्ते लगाते हैं। नए कपड़े पहनने का भी रिवाज है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य सुबह उठकर शरीर पर तिल का तेल लगाते हैं, फिर मंदिर जाते हैं और भगवान को चमेली के फूलों का हार चढ़ाकर पूजा-अर्चना करते हैं। स्वादिष्ट पकवान, मिठाइयां बनाने तथा उसे कुटुंबियों में बांटने का चलन भी है। तेलंगाना में यह पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है। इस दिन एक विशेष पेय भी बनाया जाता है, जिसे पच्चड़ी कहा जाता है। यह नई इमली, आम, नारियल, नीम के फूल, गुड़ आदि को मिलाकर बनाया जाता है। कर्नाटक में पच्चड़ी के अलावा गुड़ और नीम के मिश्रण से बना बेवु-बेल्ला, जबकि आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में बोवत्तु या पोलेलु या पूरन पोली बनाया जाता है। यह इस बात का द्योतक है कि जीवन में हमें मीठे और कड़वे, दोनों तरह के अनुभवों से गुजरना पड़ता है। इसे खाते समय संस्कृत का एक श्लोक भी बोला जाता है- शतायुर्वज्रदेहाय सर्वसंपत्कराय च, सर्वारिष्टविनाशाय निम्बकं दलभक्षणम्। अर्थात् वर्षों तक जीवित रहने, मजबूत व स्वस्थ शरीर, धन प्राप्ति तथा हर प्रकार की नकारात्मकता का नाश करने के लिए हमें नीम के पत्तों का सेवन करना चाहिए।

विजय का प्रतीक, हिंदवी साम्राज्य की नींव

महाराष्ट्र, गोवा और कोंकण क्षेत्र में नववर्ष गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सूर्योदय के साथ ब्रह्मा और विष्णु की पूजा की जाती है और घरों में गुड़ी फहराई जाती है। गुड़ी का अर्थ है विजय पताका और पड़वा, प्रतिपदा को कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने दक्षिण के लोगों को बाली के अत्याचार और शासन से मुक्त किया था, जिसकी खुशी में हर घर में गुड़ी फहराई गई। एक मान्यता यह भी है कि शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना तैयार कर उसमें प्राण फूंके और फिर उससे शत्रुओं को पराजित किया था। इसलिए विजय प्रतीक के रूप में गुड़ी पड़वा मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन सारी बुराइयों का नाश हो जाता है। घर में सुख, समृद्धि और खुशियां आएं, इसलिए हिंदू घरों में गुड़ी पूजन कर इसे घर की छत या आंगन में लगाया जाता है और दरवाजे को बंदनवार से सजाया जाता है। इस दिन घरों में पूरनपोली (एक तरह का मीठा व्यंजन), श्रीखंड और मीठे चावल बनाने की परंपरा है। साथ ही, बेहतर स्वास्थ्य की कामना के लिए गुड़ के साथ नीम की कोंपलें खाने का रिवाज भी है। कहते हैं कि इससे स्वास्थ्य ही नहीं, संबंधों की कड़वाहट भी मिठास में बदल जाती है। इस पर्व पर महाराष्ट्र में जुलूस भी निकाले जाते हैं। मराठा साम्राज्य के अधिपति छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसी दिन हिन्दू पदशाही का भगवा विजय ध्वज फहराकर हिन्दवी साम्राज्य की नींव रखी थी।

सजीबू माह का पहला दिन

मणिपुर में नववर्ष को सजीबू नोंग्मा पनबा या मीती चेरोबा सा सजीबू चेरोबा कहा जाता है। यह मणिपुर के लोगों का का प्रमुख पर्व है। सजीबू नोंग्मा पनबा मणिपुरी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ ‘सजीबू माह का पहला दिन’ होता है। वहीं, सजीबू मतलब पहले माह का नाम और नोंग्मा का मतलब होता है महीने का पहला दिन। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सभी मणिपुरी लोग सुबह उठकर पूजा करते हैं। इस दिन महिलाएं नए चावल, सब्जियों, फूल व फलों से खाना पकाती हैं और फिर लाइनिंगथोउ सनामही और लेइमरेल इमा सिडबी को भोग चढ़ाते हैं। इस दिन मणिपुर के लोग संयुक्त भोज का आयोजन करते हैं और स्थानीय देवताओं के लिए घर के प्रवेश द्वार पर पारंपरिक व्यंजन परोसते हैं। भोजन के बाद दोपहर को लोग चिंगमेरोंग में चेराओ चिंग पहाड़ी या आसपास की पहाड़ियों पर चढ़कर प्रार्थना करते हैं।

समृद्धि का प्रतीक

जम्मू-कश्मीर में ‘नवरेह’ चंद्र वर्ष के तौर पर मनाया जाता है। नवरेह संस्कृत शब्द नववर्ष से बना है। यह चैत्र नवरात्र और चैत्र माह के शुक्ल पक्ष का पहला दिन होता है। कश्मीरी हिंदू इस पर्व को बहुत उत्साह से मनाते हैं। इस पर्व से एक दिन पहले कश्मीरी हिंदू पवित्र विचर नाग के झरने की यात्रा करते हैं, इसमें स्नान के पश्चात सभी लोग नए वस्त्र पहनते हैं तथा महोत्सव के अवसर का नया पवित्र धागा धारण करते हैं। इसके बाद ‘व्ये’ (प्रसाद) ग्रहण करते हैं। इसमें कई प्रकार की जड़ी-बूटियां और पिसे हुए चावल से बनी पिट्ठी डाली जाती हैं। नवरेह की सुबह लोग सर्वप्रथम चावल से भरे पात्र को देखते हैं। यह धन, उर्वरता तथा समृद्धशाली भविष्य का प्रतीक माना जाता है। पंडित परिवार के कुलगुरु, नया कश्मीरी पंचांग, जिसे ‘नेची-पत्री’ कहते हैं, अपने यजमानों को प्रदान करते हैं। इसके अलावा एक अलंकृत पत्रावली, जिसे ‘क्रीच प्रच’ कहते हैं और जिसमें देवी शारिका की मूर्ति बनी होती है, भी प्रदान की जाती है।

चेटीचंड-बोहाग बिहू

सिंधी समुदाय नववर्ष को चेटीचंड के रूप में मनाते हैं। इसे वे भगवान झूलेलाल के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। भगवान झूलेलाल को जल का देवता माना जाता है। यह पर्व सिंधी समुदाय के आपसी भाईचारे का प्रतीक है। इसी तरह, नवसंवत्सर को असम में ‘बोहाग बिहू’ के नाम से मनाया जाता है। यह असम का सबसे प्रमुख त्योहार है, जो नई फसल के तैयार होने पर मनाया जाता है।

Topics: उगादिभारत में नवसंवत्सरNavsamvatsarKnow about Navamsvatsarहिंदू नव वर्षHindu New Yearहिंदू नया सालनव संवत्सरनवसंवत्सर का महत्वक्या है नवसंवत्सर
Share2TweetSendShareSend
Previous News

बरेली में प्रिंसिपल मोहम्मद अली बना शैतान, कोचिंग से जान बचाकर भागी छात्रा

Next News

पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्टर, 36 के खिलाफ मामला दर्ज, 6 गिरफ्तार, AAP कार्यालय से निकली वैन में मिले पोस्टर

संबंधित समाचार

विक्रम संवत 2080, नवसंवत्सर : ऐसे समझें हिंदू नव वर्ष और न्यू ईयर का अंतर

विक्रम संवत 2080, नवसंवत्सर : ऐसे समझें हिंदू नव वर्ष और न्यू ईयर का अंतर

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत के साथ देवी की आराधना शुरू, घरों-मंदिरों में घट स्थापना

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत के साथ देवी की आराधना शुरू, घरों-मंदिरों में घट स्थापना

स्वत्व और स्वाभिमान से प्रकाशित होने का पर्व है गुरु पूर्णिमा

नवसंवत्सर: बेहद अनूठी है भारतीय नववर्ष की वैज्ञानिकता

संघ को न जानने वाले देश के युवाओं को गुमराह कर रहे हैं : सह प्रान्त प्रचार प्रमुख

संघ को न जानने वाले देश के युवाओं को गुमराह कर रहे हैं : सह प्रान्त प्रचार प्रमुख

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

उत्तराखंड : आज ही के दिन हुआ था तिलाडी गोलीकांड!

उत्तराखंड : आज ही के दिन हुआ था तिलाडी गोलीकांड!

भविष्य के रोजगार की तैयारी

भविष्य के रोजगार की तैयारी

उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही है पुरेला जैसी लव जिहाद की घटनाएं

उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही है पुरेला जैसी लव जिहाद की घटनाएं

मध्यप्रदेश : आज से भरे जाएंगे “लाड़ली बहना योजना” के फार्म

MP : कलाकारों को मिलने वाली सहायता राशि बढ़ाई गई, जनहानि पर अनुग्रह राशि अब 8 लाख

नाबालिग हिन्‍दू लड़की की हत्‍या पर औवेसी की चुप्‍पी, MP के गृहमंत्री ने पूछा- ये चाकू से गोदकर हत्या लव है या जिहाद?

नाबालिग हिन्‍दू लड़की की हत्‍या पर औवेसी की चुप्‍पी, MP के गृहमंत्री ने पूछा- ये चाकू से गोदकर हत्या लव है या जिहाद?

गर्मियों में रखें खाने-पीने का ध्यान

गर्मियों में रखें खाने-पीने का ध्यान

बाघों का संरक्षण बढ़ा और मौत का आंकड़ा भी

शिकारियों के फंदे में फंसी बाघिन, कॉर्बेट प्रशासन कर रहा है इलाज

16 साल की साक्षी पर दिनदहाड़े चाकू से वार : आखिर कौन-कौन है जिम्मेदार?

16 साल की साक्षी पर दिनदहाड़े चाकू से वार : आखिर कौन-कौन है जिम्मेदार?

भारतीय सेनाएं बड़े बदलाव की राह पर, थिएटर कमांड का ब्लूप्रिंट तैयार : सीडीएस

भारतीय सेनाएं बड़े बदलाव की राह पर, थिएटर कमांड का ब्लूप्रिंट तैयार : सीडीएस

तुर्किये: फिर जीते एर्दोगन, फिर जीता इस्लामी कट्टरपंथ

तुर्किये: फिर जीते एर्दोगन, फिर जीता इस्लामी कट्टरपंथ

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies