रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस के दौरे पर पहुंचे हुए हैं। वे वहां खुद को ‘शांति का मसीहा’ दिखाने की पूरी कोशिश करते दिख रहे हैं। उनका घोषित इरादा ‘युद्ध को रुकवाने में भूमिका निभाना’ है। इसको लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनकी बातचीत पर दुनिया की निगाहें टिकी हैं। उधर खुद पुतिन का भी इस संदर्भ में एक बयान देखने में आया है।
राष्ट्रपति पुतिन ने क्रेमलिन में शी जिनपिंग के साथ चर्चा के शुरु में यूक्रेन में ‘गंभीर समस्या’ को हल करने के लिए चीन की ‘योजना’ का जिक्र किया। असल में, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस के दौरे से पहले 12 सूत्रों वाला एक षांति प्रस्ताव जारी कर चुके हैं। वे इस दौरे पर आए ही हैं अपनी ‘युद्ध विरोधी’ सोच सामने रखने के लिए।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कहा कि वे यूक्रेन शांति योजना पर बात करेंगे। उधर जिनपिंग ने यह भी कहा है कि उन्हें भरोसा है कि पुतिन को अगले साल रूस में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले ही रूस के नागरिकों का समर्थन प्राप्त है।
शी के रूस दौरे पर स्वाभाविक तौर पर अमेरिका का भी बयान आया है। बाइडेन प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि चीन द्वारा अपने को शांतिदूत बताना उन्हें मंजूर नहीं है।
शुरुआती बातचीत में दोनों नेताओं ने आपसी रिश्तों पर बल दिया और कहा कि रूस तथा चीन के बीच मजबूत संबंध होने चाहिए। जिनपिंग ने कहा कि पुतिन के नेतृत्व में देश ने काफी प्रगति की है। मास्को में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अनेक पोस्टर लगे देखे गए हैं। पोस्टर चीनी भाषा में हैं और वे पुतिन तथा जिनपिंग की ‘दोस्ती’ का उल्लेख करते हैं। इतना ही नहीं, जिनपिंग के विशाल होर्डिंग भी लगे हैं। वैसे भी, जिनपिंग के इस दौरे के पहले से कयासों का बाजार गर्म था। विशेषज्ञों में चर्चा थी कि क्या जिनपिंग सच में यूक्रेन युद्ध में कोई बड़ा बदलाव ला पाएंगे। क्या खुद को विस्तारवादी सत्ता के एकछत्र नेता घोषित करने वाले जिनपिंग खुद को ‘शांतिदूत’ दिखाने के पैंतरे में कामयाब हो पाएंगे।
शी के रूस दौरे पर स्वाभाविक तौर पर अमेरिका का भी बयान आया है। बाइडेन प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि चीन द्वारा अपने को शांतिदूत बताना उन्हें मंजूर नहीं है। किर्बी ने आगे कहा कि अगर ये होता है तो इसका मतलब होगा पुतिन को नए सिरे से तैयार करने, प्रशिक्षित करने तथा अपने हिसाब से फिर से योजना बनाने के लिए और वक्त देना।
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