गांव ‘नादिया कल्लां’, जल संरक्षण की अद्भुत मिसाल
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

गांव ‘नादिया कल्लां’, जल संरक्षण की अद्भुत मिसाल

विश्व जल दिवस (22 मार्च) पर विशेष: थार मरुस्थल वाले इन सरहदी शहरों जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर का मिजाज देसी है और यही खूबी सैलानियों को यहां खींच लाती है। ये इलाके बेहद तपिश के लिए जाने जाते हैं। सूरज का प्रचंड ताप सबसे ज्यादा यहीं दिखता है

by WEB DESK
Mar 18, 2023, 08:41 pm IST
in भारत, राजस्थान
गांव नादिया कल्लां

गांव नादिया कल्लां

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

मारवाड़ का इलाका यानी भारत और राजस्थान, दोनों का पश्चिमी छोर। थार मरुस्थल वाले इन सरहदी शहरों जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर का मिजाज देसी है और यही खूबी सैलानियों को यहां खींच लाती है। ये इलाके बेहद तपिश के लिए जाने जाते हैं। सूरज का प्रचंड ताप सबसे ज्यादा यहीं दिखता है। यहां की बस्तियों में कुछ रंग अगर फीके हैं, कुछ तड़प है तो सिर्फ पानी की कमी के चलते। इतिहास की गाथाओं को जानने के लिए हम यहां के किलों, स्मारकों, मन्दिरों, संग्रहालयों में जाते हैं, दाल, बाटी, चूरमे का लुत्फ लेते हुए लोक गायकी को मन में बसाए हुए लौट भी आते हैं, मगर सुदूर बसे गांवों की प्यास से वाकिफ नहीं हो पाते।

जोधपुर से करीब 70 किलोमीटर अन्दर है गांव ‘नादिया कल्लां’। साल 2008 में महाराणा प्रताप यूथ क्लब बनाकर युवाओं ने यहां की रंगत बदल दी। महाराणा प्रताप युवा मण्डल के सक्रिय साथियों में गणपत राम मेघवाल, तुलछ पूरी गोस्वामी के अलावा भरत सिंह, शेर सिंह, कान सिंह, रातूराम, श्याम सेन, दयाल सिंह शामिल हैं।

इस मंडली के सक्रिय सदस्य जसवंत के साथ मिलकर पूरी टीम ने पिछले चार साल में जल-स्रोतों के संरक्षण, वृक्षारोपण और वाटिकाएं बनाने के साथ ही गोपाल गौशाला में पशुओं के लिए पानी के काम हाथ में लिये। गांव में बड़ और पीपल के पेड़ लगाने और ताल-नाड़ियों की खुदाई के लिए जंगली बबूलों की कटाई सबसे भारी काम है। प्रदेश भर में ये बबूल तालाबों की खुदाई, खेती, गोचर विकास जैसे हर काम में अड़चन बने हैं। बबूल की झाड़ियों को काटने, मिट्टी की खुदाई और समुदाय के हर काम में गांव के बुजुर्ग, युवा और महिलाएं सब साथ जुटते हैं। चार साल में पूरे गांव में करीब 6 हजार पौधे रोपकर एक-एक की देखभाल की गई है।

महाराणा प्रताप वाटिका, भीमराव आम्बेडकर वाटिका, नारायण वाटिका सहित अब तक 6 वाटिकाओं यानी नर्सरी तैयार करने का काम कतई आसान नहीं है, क्योंकि पानी की किल्लत के बीच पौधों को जिन्दा रखना मुश्किल काम है। इसीलिए वाटिकाओं में भी भामाशाहों यानी दानदाताओं की मदद लेकर टांके बनाए गए हैं ताकि पौधों को आसानी से पानी पिलाया जा सके। स्थानीय जड़ी-बूटियों और औषधीय गुण वाले पौधों के लिए खासतौर से धन्वतरी वाटिका बनाई गई है, जिसके लिए जोधपुर के आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने मार्गदर्शन दिया।

शुष्क इलाकों में वनस्पतियों और पारिस्थितिकी पर शोध के लिए बने ‘काजरी’ जैसे कई प्रतिष्ठित संस्थानों की टीम ने यहां दौरा कर पर्यावरण और आजीविका के सुझाव दिए हैं, लेकिन असल काम खेती, पानी और मिट्टी की जुगलबंदी का है। यहां बाजरा, मोठ, ज्वार, जीरा, प्याज सहित हर मौसम का अनाज और हर मौसम की सब्जियां होती हैं। लेकिन पानी अब भी 600-700 फुट नीचे है, इसलिए न खेती करना आसान है न आजीविका चलाना।

75 घेरे, दर्जन भर तालाब

फिलहाल जो बात सबकी समझ में बैठी है, वह यह कि बड़े बदलाव और पानी के ठौर के लिए पहले पेड़ों की घनी आबादी चाहिए। इसके लिए पौधों और ट्री गार्ड का इन्तजाम कुछ संस्थाएं कर देती हैं, लेकिन युवाओं ने स्थानीय तौर पर जाली से बने ट्री-गार्ड बनाकर खुद किफायत करना सीख लिया है। पौधों को सुरक्षा देते ईंटों के घेरों पर हरा, सफेद, केसरिया रंग पोतकर ‘आजादी का अमृत उत्सव’ मनाने की तैयारी में गांव अभी से जुट गया है। गांव वालों ने पूरे 75 घेरे तैयार करने के संकल्प के साथ ही चार नए तालाब और खोद दिए हैं। करीब 7-8 तालाबों को गहरा करने का काम पूरा हुआ है। गांव वाले खुद ही जेसीबी से खुदाई और डीजल के लिए करीब 5 लाख रुपये का सहयोग दे चुके हैं।

हजारों ट्रॉली मिट्टी बाहर निकाली गई। कुछ ट्रैक्टर मालिक तो निस्वार्थ ही करीब डेढ़ महीने तक इस काम में जुटे रहे। यहां के सबसे पुराने कल्याण सागर को गहरा किया गया है। दुनिया भर में साल 2030 तक हासिल किए जाने वाले जिस टिकाऊ विकास लक्ष्य की बात बड़े मंचों पर की जा रही है, उनमें ‘नादिया कल्लां’ जैसे जमीनी काम और कुदरत के साथ तालमेल वाले जीवन की बात ही ज्यादा सुनाई देनी चाहिए।

जल संरक्षण की अद्भुत मिसाल
पूरा गांव जल और वृक्षों को लेकर बेहद सजग है। पहाड़, रेत, आस्था, परंपरा, सौहार्द सब इसके हिस्से हैं। गांव की महिलाओं के स्वयं सहायता समूह भी बन गए हैं और उनकी भागीदारी इन सब कामों में बढ़-चढ़कर है। युवा बुजुर्गों की पारंपरिक समझ का भी पूरा मान रखते हैं। कुछ साल पहले तक जंगली बबूल और सुनसान रास्तों से आना-जाना अखरता था। खुले में जंगली जानवरों का खतरा भी रहता था। अब पानी और वृक्षारोपण के काम से जैसे पूरे इलाके में सुकून है।

Topics: जल संरक्षणWater Conservationworld water dayविश्व जल दिवसविश्व जल दिवस पर विशेषराजस्थान में जल संरक्षणगांव नादिया कल्लां
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Uttarakhand water crisis

Analysis : जल आपदा की त्रासदी और समाधान की राह

World Environment Day

विश्व पर्यावरण दिवस : भारतीय शास्त्रों में प्रकृति पूजन, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और पर्यावरण संरक्षण की परंपरा

अस्तित्व खो चुकी मटुका नदी पुनर्जीवित : भदोही से वाराणसी तक हटे अवैध कब्जे, अब किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ

जलागम योजनाओं को धरातल में उतारे : सीएम धामी

जल पूजन करते कार्यकर्ता

जल संरक्षण के लिए जल पूजन

प्रतीकात्मक तस्वीर

विश्व जल दिवस विशेष: भारतीय मनीषा के सबसे प्राचीन स्रोत में ‘जल’ ब्रह्मांड का पालनकर्ता है

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

सावन के महीने में भूलकर भी नहीं खाना चाहिए ये फूड्स

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ विश्व हिंदू परिषद का प्रतिनिधिमंडल

विश्व हिंदू परिषद ने कहा— कन्वर्जन के विरुद्ध बने कठोर कानून

एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त

Ahmedabad Plane Crash: उड़ान के चंद सेकंड बाद दोनों इंजन बंद, जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

पुलिस की गिरफ्त में अशराफुल

फर्जी आधार कार्ड बनवाने वाला अशराफुल गिरफ्तार

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

अहमदाबाद विमान हादसा

Ahmedabad plane crash : विमान के दोनों इंजन अचानक हो गए बंद, अहमदाबाद विमान हादसे पर AAIB ने जारी की प्रारंभिक रिपोर्ट

आरोपी

उत्तराखंड: 125 क्विंटल विस्फोटक बरामद, हिमाचल ले जाया जा रहा था, जांच शुरू

उत्तराखंड: रामनगर रेलवे की जमीन पर बनी अवैध मजार ध्वस्त, चला बुलडोजर

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies