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होम विज्ञान और तकनीक

सेमीकंडक्टर विनिर्माण में परिश्रम का मौका

‘इंटरनेट आफ थिंग्स’ की बदौलत हम स्मार्ट घरों, स्मार्ट कार्यालयों से लेकर स्मार्ट शहरों तक में सेमीकंडक्टरों की भारी जरूरत और किल्लत को देख रहे हैं, भारत ने इस दिशा में ध्यान दिया है

WEB DESK by WEB DESK
Mar 18, 2023, 08:00 pm IST
in विज्ञान और तकनीक
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चीन, हांगकांग, वियतनाम, सिंगापुर, कोरिया और अमेरिका पर आश्रित है। हमारा एक चौथाई से अधिक आयात चीन से होता है। लेकिन वर्तमान संकट को देखते हुए सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर उद्योग को स्थापित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।

भारत सेमीकंडक्टरों के आयात के लिए चीन, हांगकांग, वियतनाम, सिंगापुर, कोरिया और अमेरिका पर आश्रित है। हमारा एक चौथाई से अधिक आयात चीन से होता है। लेकिन वर्तमान संकट को देखते हुए सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर उद्योग को स्थापित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। दिसंबर 2021 में इस उद्योग के लिए 10 अरब डॉलर का पैकेज स्वीकृत किया गया था और ताजा बजट में सेमीकंडक्टर मिशन को 3000 करोड़ रुपये की राशि और दी गई है। कर्नाटक और गुजरात में सेमीकंडक्टर कारखाने लग रहे हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था और विकास में चिप्स और सेमीकंडक्टरों की भूमिका को देखते हुए बेहतर होगा कि हम न सिर्फ अपनी मांग पूरी करने की सोचें बल्कि दुनिया के अथाह बाजार का लाभ उठाने के लिए भी बड़े कदम उठाएं। जिस अंदाज में तकनीकी उपकरणों और सुविधाओं का विस्तार हो रहा है, उसे देखते हुए यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें लाभ ही लाभ है।

इलेक्ट्रॉनिक्स क्रांति के बाद कंप्यूटरों, फिर स्मार्टफोन तथा स्मार्टवॉच की बदौलत सेमीकंडक्टरों की मांग आसमान छू रही थी। अब इंटरनेट आफ थिंग्स का जमाना है जब दर्जनों उपकरणों के भीतर प्रॉसेसिंग की शक्ति है और वे इंटरनेट से जुड़े हुए हैं- कैमरे, स्पीकर, बत्तियां, दरवाजे, ताले, कारें, फर्नीचर, फ्रिज, एसी, स्मार्ट रिमोट, ट्रैफिक लाइटें, बिलबोर्ड और न जाने क्या-क्या। इंटरनेट आफ थिंग्स की बदौलत हम स्मार्ट घरों, स्मार्ट कार्यालयों से लेकर स्मार्ट शहरों तक में सेमीकंडक्टरों की भारी जरूरत और किल्लत को देख रहे हैं। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती ताकत और लोकप्रियता डिजिटल उपकरणों की मांग में और वृद्धि करने जा रही है। भारत जैसे देश में, जहां विनिर्माण की लागत अधिकांश देशों से कम है, माहौल निवेश के अनुकूल है, नवाचार तथा स्टार्टअप्स का बोलबाला है, वहां इस क्षेत्र में निजी तथा सरकारी, दोनों क्षेत्रों के लिए शानदार अवसर मौजूद हैं। केंद्र सरकार को इसकी महत्ता और मौके की नजाकत का अहसास है। हाल ही में पेश किया गया बजट भी इस तरफ इशारा करता है।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिए इस बार 16,549 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है जो पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक है। भारतीय सेमीकंडक्टर मिशन को मिले 3,000 करोड़ रुपये से सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण का पूरा तंत्र विकसित करने में मदद मिलेगी। इनमें से 1,799 करोड़ रुपये भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर, सिलिकॉन फोटोनिक्स, सेमीकंडक्टर असेंबली, परीक्षण, अंकन और पैकेजिंग (एटीपीपी), आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट (ओएसएटी) सुविधाओं आदि की स्थापना के लिए आवंटित किए गए हैं। सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन संयंत्रों की स्थापना की संशोधित योजना के लिए 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

भारत को अपने पारंपरिक दबदबे वाली आईटी सेवाओं और सॉफ़्टवेयर से आगे सोचने की जरूरत है। मौजूदा प्रौद्योगिकीय दशक (टेकेड) के अंत तक अगर भारत हार्डवेयर, विशेषकर सेमीकंडक्टर, डिस्प्ले, स्मार्टफोन, और नए उभरते हुए क्षेत्रों, जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मेटावर्स, इंटरनेट आॅफ थिंग्स आदि क्षेत्रों में दबदबा बना ले तो हमारे लक्ष्य आसान हो जाएंगे।

स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में लंबी उदासीनता के बाद मोदी सरकार के दौर में हमने इस क्षेत्र में शुरुआत की है। याद रहे, दिसंबर 2021 में सरकार ने भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए 76,000 करोड़ रुपये के कोष की घोषणा की थी। केंद्र सरकार विभिन्न कॉरपोर्रेट संस्थाओं द्वारा सेमीकंडक्टर वेफर फैब्रिकेशन संयंत्रों संबंधी प्रस्तावों को बढ़ावा देने के लिए बड़े अग्रिम निवेश करेगी और 50% राजकोषीय सहायता देगी।

पिछली दस जनवरी को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने हैदराबाद में एंबेडेड सिस्टम्स पर 22वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और वीएलएसआई डिजाइन पर 36वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि 2014 से पहले भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था सिर्फ चंद कंपनियों द्वारा संचालित तकनीकी सेवा उद्योग तक सीमित थी। सरकार ने पिछले साल नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई सोच के साथ डिजिटल और प्रौद्योगिकीय ढांचे को नए सिरे से स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया था। अब सरकार सिर्फ इंटरनेट के भविष्य के बारे में ही नहीं सोचती, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर्स के बारे में भी सोचती है। सेमीकॉन इंडिया फ्यूचर डिजाइन कार्यक्रम के तहत कल्पना की गई है कि 2024 तक घरेलू स्टार्टअप बड़ी वैश्विक कंपनियों के  साथकाम करेंगे।

सन् 2030 में सात हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत को अपने पारंपरिक दबदबे वाली आईटी सेवाओं और सॉफ़्टवेयर से आगे सोचने की जरूरत है। मौजूदा प्रौद्योगिकीय दशक (टेकेड) के अंत तक अगर भारत हार्डवेयर, विशेषकर सेमीकंडक्टर, डिस्प्ले, स्मार्टफोन, और नए उभरते हुए क्षेत्रों, जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मेटावर्स, इंटरनेट आफ थिंग्स आदि क्षेत्रों में दबदबा बना ले तो हमारे लक्ष्य आसान हो जाएंगे।
(लेखक माइक्रोसॉफ्ट में निदेशक- भारतीय भाषाएं और सुगम्यता के पद पर कार्यरत हैं)

Topics: सेमीकंडक्टरइंटरनेट आफ थिंग्सइलेक्ट्रॉनिक्स क्रांतिस्मार्टफोन तथा स्मार्टवॉचहैदराबाद में एंबेडेड सिस्टम्सEmbedded Systems in SemiconductorInternet of ThingsElectronics RevolutionSmartphones and SmartwatchesHyderabad
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